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हाई ब्लड प्रैशर से हार्ट अटैक व स्ट्रोक का खतरा

Bharti Sahu 2
16 May 2024 6:11 AM GMT
हाई ब्लड प्रैशर से हार्ट अटैक व स्ट्रोक का खतरा
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वर्ल्ड हाइपरटैंशन डे से पहले विशेषज्ञों ने कहा कि व्यक्ति का ब्लड प्रैशर जितने लंबे समय तक अनियंत्रित रहेगा, वह उसके लिए उतना ही नुक्सानदायक होगा। इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर और किडनी की समस्याएं आ सकती हैं। वर्ल्ड हाइपरटैंशन डे हर साल 17 मई को मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है, ‘मेजर योर ब्लड प्रैशर एक्युरेटली, कंट्रोल इट, लिव लॉन्गर।

रेसिस्टैंट हाइपरटैंशन (दवाओं के उपयोग के बावजूद बीपी 140/90 से ऊपर) हाई बीपी है, जो उपचार पर अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देता है। हाई बीपी या उच्च रक्तचाप वाले लगभग 20 प्रतिशत रोगी रेसिस्टैंट होते हैं। नारायण हैल्थ के संस्थापक और अध्यक्ष डा. देवी शेट्टी ने बताया कि अनियंत्रित उच्च रक्तचाप निस्संदेह सबसे गंभीर स्वास्थ्य चिंताओं में से एक है। महत्वपूर्ण बात यह है कि रेसिस्टैंट हाइपरटैंशन में महीनों और वर्षों तक किसी तरह के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य खतरा पैदा कर सकता है।

दवा लेने का सही से पालन न करना और भी गंभीर

विशेषज्ञ ने बताया कि दवा लेने का सही से पालन न करना, गतिहीन जीवन शैली और अत्यधिक नमक का सेवन, किडनी रोग या ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, हार्मोनल असंतुलन, आनुवंशिक गड़बड़ी जैसे कई कारक रेसिस्टैंट हाइपरटेंशन को जन्म दे सकते हैं। डाक्टर ने कहा कि रेसिस्टैंट हाइपरटेंशन को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए दवा, जीवनशैली और तनाव जैसी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है।

हृदय रोग विशेषज्ञ ने कहा, ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, भारत में 188.3 मिलियन लोग उच्च रक्तचाप से प्रभावित हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से केवल 37 प्रतिशत व्यक्तियों को ही औपचारिक निदान प्राप्त होता है और इससे भी छोटा प्रतिशत नियमित रक्तचाप जांच की आवश्यकता पर जोर देते उपचार शुरू करता है, खासकर जब आप 20 वर्ष की आयु तक पहुंचते हैं।

पी.डी. हिंदुजा अस्पताल और एमआरसी, माहिम में कार्डियोथोरेसिक और हार्ट एंड लंग ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. मयूर जैन ने बताया कि अनियंत्रित उच्च रक्तचाप के निदान में रोगी की दवा के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के साथ-साथ मोटापा, स्लीप एपनिया और उच्च रक्तचाप के दूसरे कारणों की पहचान और प्रबंधन शामिल है। उन्होंने कहा कि हाई बीपी के कारण धमनी की दीवारों पर अत्यधिक दबाव से रक्त वाहिकाओं और शरीर के अंगों को नुक्सान पहुंच सकता है।

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