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आजकल हर आयु, हर लिंग, हर वर्ग और हर क्षेत्र के लोगों में त्वचा का एक रोग बड़ा आम हो रहा है और वह है-रिंगवर्म इन्फ़ेक्शन. इस रोग में त्वचा पर लाल रंग की एक रिंग बनती है जिसमे खुजली तथा जलन होती है. वास्तविक रूप से यह फ़ंगस से होता है और इसमें किसी प्रकार के वर्म्स या कृमियों का कोई योगदान नहीं है, इसका नाम इसके त्वचा पर होने वाले गोल रिंग के आकार के इन्फ़ेक्शन के कारण पड़ा है.
यह त्वचा, नाखून तथा सिर में हो सकता है. यह परजीवी फ़ंगस हमारे शरीर में पाए जाने वाले केरेटिन नामक प्रोटीन का भक्षण करती है. बच्चे इससे ज्यादा पीड़ित होते हैं. पालतू जानवरों जैसे कुत्ते बिल्लियों से भी यह संक्रमण मनुष्यों में फैल सकता है.
यह किस फ़ंगस से होता है?
-टीनिया कैपिटिस (स्कैल्प को संक्रमित करने वाली)
-टीनिया कार्पोरिस (शरीर को संक्रमित करने वाली)
-टीनिया क्रुरिस (यौनांगों के आसपास संक्रमण करने वाली)
-टीनिया अंगुइम (नाख़ूनों को संक्रमित करने वाली)
संक्रमण कैसे फैलता है?
-संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से
-संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से
-संक्रमण युक्त कपड़े पहनने या उपयोग करने से
-संक्रमण युक्त बिस्तर या टॉवल प्रयोग करने से
बचाव कैसे हो?
बचाव ही इसका श्रेष्ठतम उपचार है. संक्रमित व्यक्ति, जानवर और वस्तुओं से दूर रहें. गीले कपड़े न पहनें. टाइट और मोटे कपड़े न पहनें. अंडरगार्मेंट्स एक दिन से ज़्यादा न पहनें तथा पहनने से पहले उसे धूप में अच्छे से सूखा लें या प्रेस कर लें. पसीना ज़्यादा आने वाली जगह जैसे यौनांग के पास, बगल में और स्तनों के नीचे के हिस्सों को साफ करते रहें. यौनांगों और बगल के बालों को शेव करें. रोज़ाना कुछ देर धूप में बैठें. बिस्तरों को धूप में रोज़ाना रखें और चादर बदलते रहें. होटलों में ठहरने पर भी नई और साफ़ चादर ही प्रयोग करें. पब्लिक टॉयलेट के वेस्टर्न कमोड को प्रयोग करने के बाद उससे स्पर्श हुए हिस्से को भी अच्छे से साफ कर लें.
उपचार
आधुनिक चिकित्सा पद्धति में इस रोग में एंटीफ़ंगल लोशन या क्रीम और खाने की दवाई का प्रयोग किया जाता है लेकिन दुर्भाग्य से कई दवाइयां अब इस पर बेअसर होती हुई दिखाई पड़ रही हैं.
-आयुर्वेद में कई रक्तशोधक दवाई खाने के लिए दी जाती है.
-लगाने के लिए निम्ब का तेल, करंज का तेल, तुवरक का तेल, पवाड़ के बीजों आदि का तेल लगाया जाता है.
-मुर्दारशंख का लेप भी लाभ देता है.
-पवाड के पत्तों या बीजों का लेप भी लाभकारी है.
-गरम पानी से प्रभावित स्थान को एंटीफ़ंगल साबुन से दिन में 4 से 5 बार धो लें.
-जो जो स्थान पसीने से नम हो जाते हैं उन्हें साफ़ कपड़े या टिशू पेपर से दिन में 2 से 3 बार पोंछते रहें.
-प्रभावित स्थान पर धूप दिखाएं.
-गर्म पानी पियें और दस्तावर दवाओं से पेट साफ़ करते रहें.
-गरिष्ठ भोजन, खटाई, शुगर, जंक फ़ूड और नॉनवेज न लें.
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