जनता से रिश्ता बेवङेस्क| कोरोना वायरस के लगभग आधा से ज्यादा मामले बिना लक्षण वाले लोगों से फैलते हैं.कोरोना वायरस के लगभग आधा से ज्यादा मामले बिना लक्षण वाले लोगों से फैलते हैं.ये खुलासा अमेरिका के सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के विकसित एक मॉडल से हुआ है. मॉडल के मुताबिक 59 फीसद मामलों की वजह कोरोना वायरस से पीड़ित बिना लक्षण वाले लोग होते हैं. उसमें 35 फीसद नए मामलों की वजह ऐसे लोग हैं जो लक्षण जाहिर होने होने से पहले दूसरों तक फैलाते हैं जबकि 24 फीसद नए मामलों की वजह ऐसे लोग हैं जिन्होंने कभी लक्षण जाहिर नहीं किया.
आधे से ज्यादा मामलों के पीछे बिना लक्षण वाले मरीज
सीडीसी में संक्रामक रोग के डिप्टी डायरेक्टर और शोधकर्ता जे सी बटलर ने कहा, "कोविड-19 महामारी को कंट्रोल करने के लिए जरूरी है कि खामोशी से फैलानेवाले लोगों को भी काबू किया जाए." उन्होंने कहा कि फेस मास्क का इस्तेमाल, हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे टूल्स की मदद से नए कोरोना वायरस के फैलाव की रफ्तार कम की जा सकती है, कम से कम उस वक्त तक जब तक वैक्सीन बडे़ पैमाने पर मुहैया नहीं हो जाती. उनका कहना है कि ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस की नई और ज्यादा संक्रामक किस्म एहतियाती उपायों की अहमियत उजागर करती है.
कोविड-19 फैलाव पर CDC मॉडल ने किया खुलासा
सीडीसी का ये मॉडल जामा नेटवर्क ओपेन पत्रिका में गुरुवार को प्रकाशित है. उसमें बिना लक्षण वाले लोगों से वायरस के फैलाव के शुरुआती अनुमानों को बेहतर किया गया. विशेषज्ञों ने नतीजों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना लक्षण वाले मरीजों से वायरस के फैलाव के विचार की पुष्टि होती है. ये निश्चित रूप से बहुत विश्वसनीय और ठोस नतीजे हैं. कोरोना वायरस के फैलाव में कई फैक्टर का प्रभाव होता है. शोधकर्ताओं ने इस उद्देश्य के लिए सरल दृष्टिकोण को अपनाया है. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने मॉडल में मौजूद खामियों पर सवाल उठाए हैं. वहीं इसके बजाए शोधकर्ताओं ने बताया कि बिना लक्षण वाले लोग 75 फीसद तक संक्रामक होते हैं. गौरतलब है कि अभी ये साफ नहीं है कि वैक्सीन से कोरोना वायरस के फैलाव की रोकथाम हो सकेगी और न ही इस मॉडल में बहुत ज्यादा स्पष्टता है.