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रिसर्च में हुआ दावा, गरीबों में होती है फेफड़ें की बीमारी व सांस लेने में होने वाली दिक्कतों का खतरा तीन गुना ज्यादा

Nilmani Pal
2 Jun 2021 9:35 AM GMT
रिसर्च में हुआ दावा, गरीबों में होती है फेफड़ें की बीमारी व सांस लेने में होने वाली दिक्कतों का खतरा तीन गुना ज्यादा
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12 साल से कम उम्र के बच्चों को अमीर बच्चों के मुकाबले अस्थमा का खतरा दोगुना है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अमीरों के मुकाबले गरीबों में फेफड़ी की बीमारी और सांस लेने में दिक्कत होने का खतरा तीन गुना ज्यादा है। यह बात हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की रिसर्च में सामने आई है। वहीं, 12 साल से कम उम्र के बच्चों को अमीर बच्चों के मुकाबले अस्थमा का खतरा दोगुना है।

ऐसे हुई रिसर्च
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के शोधकर्ताओं ने 1960 से 2018 के बीच हुए हेल्थ सर्वे के आंकड़े को रिसर्च में शामिल किया। यह सर्वे अमेरिका की स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने कराया था। शोधकर्ताओं का कहना है, सर्वे में 6 से 74 साल के 2,15,399 लोग शामिल किए गए थे। इन्हें परिवार की आय के आधार पर पांच ग्रुप में बांटा गया था।

अब जानिए, रिसर्च की 3 बड़ी बातें

  • रिसर्च के मुताबिक, सबसे कम आय वाले 48.8 वयस्कों को सांस लेने में दिक्कत आने की शिकायत हुई। वहीं, अधिक आय वालों में यह आंकड़ा 27.9 फीसदी था।
  • खांसी के मामले भी अमीरों के मुकाबले कम आय वाले लोगों में 3 गुना तक अधिक थे। रिपोर्ट कहती है, 20 फीसदी गरीब अमेरिकियों में जोर-जोर से सांस लेने की दिक्कत हुई, अमीरों में यह मामले मात्र 10 फीसदी ही देखे गए।
  • यही असर बच्चों में भी देखा गया है। सर्वे में शामिल कम आय वाले घरों के 15 फीसदी बच्चे अस्थमा से परेशान हुए, वहीं अमीर घर वाले बच्चों में इसके मामले मात्र 7 फीसदी नजर आए।

अमीरों में बीमारी के मामले कम क्यों?
शोधकर्ताओं का कहना है, अधिक आय वाले घरों में रहने वाले लोग स्मोकिंग छोड़ रहे हैं। यह भी एक वजह हो सकती है कि इन्हें फेफड़े और सांस की समस्या कम हो रही है।

1971 से 2018 तक के आंकड़े बताते हैं कि अधिक आय वाले लोगों में धूम्रपान करने वालों का आंकड़ा 62 से घटकर 34 फीसदी रह गया है। वहीं, कम आय वालों में यह आंकड़ा 58 से घटकर 56 हुआ है। यानी धूम्रपान करने वालों में महज 2 फीसदी की कमी हुई है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, गरीब तबके के लोग प्रदूषित हवा और स्मॉग के बीच रहते हैं, वहीं अधिक आय वालों के घरों की बनावट और सुविधाएं इसका खतरा कम करती है।


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