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शोध में दावा, वैक्सीन की तुलना में प्राकृतिक इम्यूनिटी ज्यादा ताकतवर

Bhumika Sahu
21 Jan 2022 6:50 AM GMT
शोध में दावा, वैक्सीन की तुलना में प्राकृतिक इम्यूनिटी ज्यादा ताकतवर
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दुनियाभर में कोरोना रोधी कई टीकों का आविष्कार हुआ है, लेकिन कोविड-19 से लड़ने में टीकों के मुकाबले प्राकृतिक इम्यूनिटी ज्यादा ताकतवर है। एक नये शोध में यह दावा किया गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर में कोरोना रोधी कई टीकों का आविष्कार हुआ है, लेकिन कोविड-19 से लड़ने में टीकों के मुकाबले प्राकृतिक इम्यूनिटी ज्यादा ताकतवर है। एक नये शोध में यह दावा किया गया है।

यह शोध कहता है कि अमेरिका में डेल्टा वेरिएंट से आई कोरोना की लहर के दौरान, जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई थी और कोरोना संक्रमित हुए थे, वे उन लोगों के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित थे, जिन्होंने वैक्सीन लगवाई थी और पहले संक्रमित नहीं हुए थे।
ऐसे में इस बहस को और बल मिलता है कि कोरोना से उबरने के बाद शरीर में बनने वाली नैचुरल इम्यूनिटी (प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता) कोरोना वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा बेहतर होती है।
हालांकि, शोध के लेखकों ने चेताया कि टीकाकरण करवा चुके लोगों की तुलना में बिना टीका लेने वाले लोगों के अस्पताल में भर्ती होने, दीर्घकालिक प्रभाव और मौत होने का अधिक जोखिम होता है।
यूएस सेंटर्स फॉर डिजिज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने बयान में कहा, वायरस लगातार स्वरूप बदल रहे हैं, जिसमें कोविड-19 का कारण बनने वाला वायरस भी शामिल है। उसने कहा, वैक्सीनेशन से मिली सुरक्षा और संक्रमण के बाद मिली सुरक्षा के स्तर पर शोध की अवधि के दौरान बदलाव देखा गया है। हालांकि, कोविड-19 से बचाव के लिए टीकाकरण अब भी सबसे सुरक्षित रणनीति है।
यह विश्लेषण कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट के सामने आने से पूर्व किया गया था। ओमिक्रॉन वेरिएंट ने टीके और संक्रमण के बाद पैदा होने वाली इम्यूनिटी दोनों कमतर दिखाते हुए लोगों को संक्रमण का शिकार बनाया। नए अध्ययन में 30 मई से 30 नवंबर, 2021 के बीच न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया के मरीजों को शामिल किया गया था।
डेल्टा के कहर से पहले, वैक्सीनेशन ने संक्रमण की तुलना में अधिक प्रतिरक्षा प्रदान की, लेकिन इस स्थिति में जून अंत और जुलाई में तब बदलाव आया, जब डेल्टा ने व्यापक पैमाने पर लोगों को शिकार बनाना शुरू किया।
अक्तूबर की शुरुआत में देखा गया कि ऐसे वैक्सीनेटेड लोग जिन्हें पहले कोरोना नहीं हुआ था, उनके बीच मामलों की दर ऐसे लोगों की तुलना में कम थी, जिनका टीकाकरण नहीं हुआ था और वे कोविड का शिकार भी नहीं हुए थे।


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