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शोध का दावा : डेल्टा के 74 फीसदी संक्रमण लक्षण दिखने से पहले ही फैल गए थे
डेल्टा वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है, यह तो कोरोना की दूसरी लहर में ही स्पष्ट हो गया था। लेकिन इसके संक्रमण को लेकर नई जानकारी यह सामने आई है कि लक्षण दिखने से दो दिन पहले ही वायरस दूसरे व्यक्ति में भी फैलना शुरू हो जाता है। वैज्ञानिक अध्ययन में दावा किया गया है कि डेल्टा के 74 फीसदी संक्रमण लक्षण दिखने से पहले ही फैल गए थे।
नेचर में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। अध्ययन से जुड़े हांगकांग यूनिवर्सिटी के एपिडेमोलाजिस्ट बेंजामिन काउलिंग ने कहा कि इसका अर्थ यह है कि ऐसे संक्रमण को रोक पाना बेहद मुश्किल है। संभवत इसी कारण कई देशों में यह बीमारी बहुत तेजी से फैली। कोविड को लेकर अब तक हुए अध्ययनों में दावा किया गया था कि संक्रमित में लक्षण विकसित होने के बाद यह दूसरे को फैलता है। दूसरे, यदि कोई व्यक्ति संक्रमित है तथा उसमें बीमारी के लक्षण नहीं हैं तो फिर इसके प्रसार का खतरा न्यूनतम रहता है। लेकिन इस अध्ययन ने डेल्टा के संबंध में दोनों बातों को खारिज कर दिया है।
लक्षण विकसित होने में औसतन 5.8 दिनों का वक्त लगा
शोधकर्ताओं ने मई-जून में 101 लोगों की जांच की। उन्होंने पाया कि डेल्टा संक्रमितों में लक्षण विकसित होने में औसतन 5.8 दिनों का वक्त लगता है। लेकिन यह देखा गया कि लक्षण विकसित होने से औसतन 1.8 दिन पहले ही ऐसे रोगियों से बीमारी दूसरे लोगों को फैल रही थी। इस अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने नतीजा निकाला है कि डेल्टा के 74 फीसदी संक्रमण लक्षण दिखने से पूर्व ही फैल रहे थे।
एक अध्ययन में यह दावा किया गया था कि लक्षण विकसित होने के एक दिन पहले भी डेल्टा का प्रसार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में हो सकता है। ताजा अध्ययन से इस बात को बल मिला है। नेशनल सेंटर फार इंफेक्सियस डिजीज सिंगापुर के विशेषज्ञ वर्नबे युवांग कहते हैं कि यह अध्ययन महत्वपूर्ण है। इससे डेल्टा के प्रसार को फैलने से रोकने की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। क्योंकि लक्षण नहीं दिखने से कोई व्यक्ति यह अनुमान नहीं कर सकता है कि वह बीमारी का वाहक बन चुका है।
टीका लगा चुके लोगों में डेल्टा संक्रमण
नेचर में प्रकाशित एक अध्ययन में दावा किया गया है कि जो लोग टीका लगा चुके हैं, उनमें भी डेल्टा वेरिएंट का संक्रमण हो रहा है। इस प्रकार की बातें पहले भी आई थी लेकिन यह अध्ययन कहता है कि डेल्टा संक्रमण के मामले में टीका लगाने और न लगाने का कोई फर्क नहीं दिख रहा है। 719 लोगों पर हुए अध्ययन के अनुसार दोनों समूहों में वायरल लोड भी एक समान पाया गया है। सिर्फ एक कमी यह देखी गई है कि टीका लगा चुके लोगों में संक्रमण जल्दी खत्म हो रहा है।