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बच्‍चों की सेहत से दूर करें कीटाणु, इम्‍यूनिटी को ऐसे बढ़ाये

Kunti Dhruw
25 Aug 2021 12:40 PM GMT
बच्‍चों की सेहत से दूर करें कीटाणु,  इम्‍यूनिटी को ऐसे बढ़ाये
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वैसे तो कीटाणु एक ऐसे सूक्ष्म जीव हैं,

वैसे तो कीटाणु एक ऐसे सूक्ष्म जीव हैं, जो हर चीज में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ हमारे लिए फायदेमंद होते हैं, तो कुछ हानिकारक भी। लेकिन जब बात बच्चों के स्वास्थ्य की हो, तो बच्चों को कीटाणुओं से कोई खतरा नहीं होता।

हाल ही में हुई एक रिसर्च के मुताबिक कीटाणु वास्तव में बच्चों के लिए अच्छे होते हैं। बहुत ज्यादा साफ सफाई और हैंड सैनेटाइजर के चलते अब बच्चे कम बीमार पड़ते हैं। यहां हम आपको वो कारण बता रहे हैं, जिनसे आप समझ पाएंगे, कि आखिर कीटाणु बच्चों के लिए क्यों अच्छे साबित होते हैं।
कीटाणु इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं
एक बच्चे को कीटाणुओं के संपर्क में लाने से उसका इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। इन दिनों सैनेटाइजर, कीटाणुओं से लडऩे वाले साबुन जैसी चीजें घरों में होना आम हो गई हैं। इसलिए बैक्टीरिया का खतरा पहले से कम हो गया है।
यूएस न्यूज एंड वल्र्ड रिपोर्ट के अनुसार, जब शरीर रोगाणुओं के संपर्क में आता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली अपने कार्य को नियंत्रित कर सकती है। इसका मतलब है कि जितने ज्यादा रोगाणु पाए जाते हैं, जन्म के समय आंत के बैक्टीरिया प्रदान किए जाने के साथ रोगाणुओं के दैनिक सपंर्क में प्रतिरक्षा प्रणाली उतनी मजबूत होती है।
​एलर्जी की संभावना कम होती है
कीटाणुओं के संपर्क में आने से बच्चों को कम एलर्जी विकसित करने में मदद मिलती है। जर्नल एन्वायरमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव में प्रकाशित 2011 के एक अध्ययन के अनुसार, जो बच्चे एंटीबैक्टीरियल साबुन का इस्तेमाल करते हैं, उसमें ट्राइक्लेासन नाम का घटक पाया जाता है, जो आसानी से मानव त्वचा में अवशोषित हो जाता है।
इसका केंद्रीय तंत्रिका तंत्र पर हानिकारक प्रभाव पाया गया है। इसलिए अगर बच्चे बाहर खेलने के बाद हाथ धोते हैं, तो ऐसे साबुन का इस्तेमाल चाहिए, जिस पर एंटीबैक्टीरियल का लेबल न लगा हो। यह उसके संपर्क में आने वाले कीटाणुओं को खत्म करने की कोशिश करता है।
अस्थमा का खतरा कम करे
कीटाणुओं के संपर्क में आने वाले बच्चों में अस्थमा विकसित होने की संभावना न के बराबर होती है। ऐसा माइक्रोबायोम के कारण होता है। जिन बच्चों में जन्म से बैक्टीरिया के संपर्क में आने के लिए ज्यादा माइक्रोबायोम होता है, वे कम बीमार पड़ते हैं और सांस से जुड़ी समस्याएं भी बहुत कम देखने को मिलती हैं।
इसलिए जो बच्चे ज्यादातर कीटाणुओं के संपर्क में रहते हैं, उन्हें अस्थमा होने का खतरा भी बहुत कम हो जाता है।
नहीं होगी एक्जिमा की समस्या
जब बच्चा कीटाणुओं के संपर्क में आता है, तो बुमश्किल ही एक्जिमा होने की संभावना बनती है। दरअसल, एक्जिमा का सीधा संबंध कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली से है।
यह तब होता है, जब माइक्रोबायोम की कमी होती है। अच्छे और बुरे बैक्टीरिया को शरीर से जितना दूर रखा जाएगा , किसी भी रोगाणु के संपर्क में आने पर प्रतिरक्षा प्रणाली उतनी कम सक्षम होगी।
कीटाणु प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं
माना जाता है कि कीटाणु प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करते हैं, लेकिन बच्चों के कीटाणुओं के संपर्क में नहीं आने से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली संवेदनशील हो सकती है।
2020 में प्रकाशित एक समीक्षा के अनुसार, हाइपर सेंसिटिव इम्यून सिस्टम प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से जुड़ा है। विशेषज्ञों के अनुसार, हाइपर सेंसिटिव इम्यून सिस्टम विकसित करने के लिए बच्चों को जम्र्स से भरपूर वातावरण के संपर्क में आने की जरूरत है।
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