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लाइफ स्टाइल
हड्डियों को मजबूती देती है राजमा, जानें इससे जुड़ी बेहद रोचक बातें
Ritisha Jaiswal
28 Aug 2022 10:53 AM GMT
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राजमा-चावल एक ऐसी डिश है जो किसी भी भारतीय के मुंह में पानी ला सकती है और खाने के बाद उसके दिल-दिमाग, पेट को तृप्त कर सकती है.
राजमा-चावल एक ऐसी डिश है जो किसी भी भारतीय के मुंह में पानी ला सकती है और खाने के बाद उसके दिल-दिमाग, पेट को तृप्त कर सकती है. असल में राजमा शरीर के लिए बेहद लाभकारी है. यह शरीर को तो मजबूती देता ही है, साथ ही पाचन सिस्टम को भी सुधारे रखता है. राजमा को नॉनवेज का बेहतर विकल्प भी माना जाता है. उसका कारण यह है कि इसमें आम सब्जियों या दालों के मुकाबले अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है.
विश्वभर में खाया जाता है राजमा
राजमा-चावल एक ऐसी डिश है जो अब पूरे विश्व में खाई जा रही है. मसाले में बनी राजमा की गाढ़ी ग्रेवी के साथ चावल अंग्रेजों से लेकर अफ्रीकी लोगों तक को पसंद आ रहे हैं. असल में यह फलियों से निकले एक तरह के बीज है, जो सब्जी के रूप में प्रयोग होते हैं. पत्थर की तरह सख्त राजमा जब पकाया जाता है तो अंदर से यह एकदम मक्खन की तरह मुलायम हो जाता है. इसकी यही मुलायमियत इसे विश्व में प्रसिद्ध कर रही है. भारत में तो इसकी सबसे अधिक खपत होती है तो अन्य देशों में इसका उपयोग नमकीन व मीठे दोनों तरह के व्यंजन बनाने के लिए किया जा रहा है. पूरे विश्व में राजमा की कई वैरायटी हैं लेकिन सबसे ज्यादा खाया जाने वाला चकत्तेदार लाल व सफेद राजमा ही है. राजमा की कुछ फलियों का उपयोग जानवरों को चारे के लिए भी होता है.
7,000 साल से हो रही है इसकी खेती
राजमा का इतिहास हजारों साल पुराना है. भारत में भी यह हजारों सालों से खाया जा रहा है, लेकिन इसका उत्पत्ति स्थल भारत नहीं है. पूसा इंस्टिट्यूट में वरिष्ठ वनस्पति विज्ञानी डॉ. बिश्वजीत चौधरी ने अपनी पुस्तक Vegetables में बताया है कि राजमा दक्षिण व मध्य अमेरिका की मूल उत्पत्ति है और वहां ये हजारों साल पहले से ही उगना शुरू हो गया था. एक अन्य जानकारी के अनुसार करीब 7,000 साल पहले दक्षिणी मेक्सिको और पेरू में इसकी खेती की गई. बाद में इसकी वैरायटी बढ़ती चली गई
कहा यह भी जाता है कि हजारों साल पूर्व मिसिसिपी नदी के किनारे बने बागानों में काम करने वाले गुलाम अफ्रीकी मसालेदार राजमा के साथ चावल खाते थे. यूं तो भारत के अधिकतर क्षेत्रों में राजमा उगाया जा रहा है, लेकिन सबसे अधिक पौष्टिक और स्वादिष्ट राजमा उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक के कुछ भाग और तमिलनाडु व आंध्रप्रदेश में उगाया जाता है.
'चरकसंहिता' में इसे स्वादिष्ट लेकिन भारी बताया गया है
भारत में ईसा पूर्व सातवीं-आठवीं सदी में लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथ 'चरकसंहिता' में फलियों की कई किस्मों और उनके गुण-अवगुण के बारे में जानकारी दी गई है. ग्रंथ में बताया गया है कि राजमा (राजामाष:) खाने में रुचिकर और मधुर होता है, लेकिन यह वात को बढ़ाता है. इसे शरीर के लिए भारी भी बताया गया है. आधुनिक विज्ञान के अनुसार 100 ग्राम उबले हुए राजमा में कैलोरी 127, पानी 67%, प्रोटीन 8.7 ग्राम, फाइबर 6.4 ग्राम के अलावा विटामिन सी व ए, कैल्शियम, और आयरन की उचित मात्रा होती है.
इन्हीं विशेषताओं के चलते इसे शरीर के लिए परफेक्ट आहार माना जाता है. तभी तो फूड एक्सपर्ट मानते हैं कि नॉनवेज का बेहतर विकल्प है राजमा. विशेष बात यह है कि इसमें प्रोटीन तो बहुत है, लेकिन फाइबर भी खूब है, इसलिए इसे खाने से मोटापा नहीं बढ़ता, जैसे की कि नॉनवेज खाने से बढ़ सकता है. यानी राजमा मे शरीर को मजबूत करने के लिए नॉनवेज से बेहतर विटामिन्स व मिनरल्स आदि हैं.
हड्डियों को मजबूत करता है, ब्लड शुगर को रोकता है
विज्ञान पत्रिका इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल मैक्रोमोलेक्यूल्स (International Journal of Biological Macromolecules) में जानकारी दी गई है कि Kidney Beans (राजमा) में कुछ ऐसे यौगिक होते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के प्रसार और विकास को रोकने में मदद कर सकते हैं. फूड एक्सपर्ट मानते हैं कि राजमा हड्डियों में मजबूती पैदा करता है. साथ ही शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है. राजमा में ग्लाइसेमिक इंडेक्स (ब्लड शुगर बढ़ाने वाले तत्व) अन्य दालों की अपेक्षा काफी कम होता है, जिससे शरीर में ब्लड शुगर नहीं बढ़ता. राजमा में प्रोटीन तो होता है, लेकिन उसकी तासीर नॉनवेज जैसी नहीं होती, इसलिए यह लीवर को नुकसान नहीं पहुंचाता. रिसर्च यह भी बताते हैं कि राजमा ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल करने में मदद करता है. इसमें पाए जाने वाले विटामिन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने में मदद करते हैं.
एलर्जी हो सकती है, ज्यादा खाया तो पेट फुला देगा
राजमा के कुछ नुकसान भी हैं. अधिक खाए जाने पर इसे पचाने में समस्या आ सकती है. जिन लोगों को मूंगफली या सोया खाने से एलर्जी है, उन्हें राजमा से भी एलर्जी हो सकती है. जिसके चलते सांस लेने में कठिनाई, मितली और पेट दर्द के लक्षण पैदा हो सकते हैं. राजमा में एंटी पोषक (Antinutrient) तत्व भी होते हैं, जो शरीर में मिनरल्स को पचाने में बाधा पैदा करते हैं. लेकिन इसे अच्छी तरह भिगोया जाए और पकाया जाए तो यह निष्प्रभावी हो जाते हैं. अधिक राजमा खा लिया तो पेट फूल सकता है और डकारें भी आती रहेंगी
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