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रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों को लौटा दी थी नाइटहुड की उपाधि, जानिए वजह

Neha Dani
7 May 2022 4:30 AM GMT
रबीन्द्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों को लौटा दी थी नाइटहुड की उपाधि, जानिए वजह
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उन्होंने उस पर पूरे 100 पंक्तियों की एक कविता भी लिख दी थी। अपने जीवनकाल में रवींद्रनाथ जी ने कुल 2,230 गाने लिखे थे।

भारत के लिए राष्ट्रगान लिखने वाले श्री रवींद्रनाथ टैगोर जी की जयंती हर साल 7 मई को मनाई जाती है। वे महान कवि, संगीतकार, चित्रकार, नाटककार, दार्शनिक आदि थे। रवींद्रनाथ टैगोर जी गुरु देव के नाम से भी जाने जाते थे। वे प्रतिभा के धनी थे और कई क्षेत्रों में उन्होंने अपना योगदान दिया था। सिर्फ 8 साल की उम्र में ही उन्होंने अपनी पहली कविता लिखी थी और 16 साल तक उम्र में उन्होंने कहानियां और नाटक लिखना शुरू कर दिया था।

कोलकाता में हुआ जन्म
रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में हुआ था। वे अपने माता पिता की तेरहवीं संतान थे। बचपन में उनके करीबी उन्हें प्यार से रबी बुलाते थे। बहुत ही कम उम्र में गुरुदेव ने अपनी माता को खो दिया था। चूंकि उनके पिता एक पिता यात्री थे, इसलिए उनका पालन पोषण नौकरों ने किया था। 1883 में रवींद्रनाथ जी का विवाह मृणालिनी देवी के साथ हुआ था।
भारत के अलावा बांग्लादेश के लिए भी लिखा राष्ट्रगान
रवींद्रनाथ जी ने भारत के राष्ट्रगान जन-गण-मन के अलावा बांग्लादेश का राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' भी लिखा था। इसके अलावा कहा जाता है कि श्रीलंका के राष्ट्रगान का कुछ हिस्सा रवींद्रनाथ जी की कविता से प्रेरित है। रवींद्रनाथ बंगाल की खराब आर्थिक स्थिति से इतने दुखी थे कि उन्होंने उस पर पूरे 100 पंक्तियों की एक कविता भी लिख दी थी। अपने जीवनकाल में रवींद्रनाथ जी ने कुल 2,230 गाने लिखे थे।


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