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हेल्थ : ब्लैडर कैंसर के बारे में लोगों में जागरूकता कम है। इसे 'यूरोथेलियल कार्सिनोमा' कहा जाता है। यह बीमारी इसलिए फैलती है क्योंकि मूत्राशय की कोशिकाएं सीमा से अधिक बढ़ जाती हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि पुरुषों में इस विकार का खतरा अधिक होता है। यह भारत में कैंसर के सत्रह सबसे प्रचलित प्रकारों में से एक है। हर साल लगभग 21,000 लोगों में ब्लैडर कैंसर का निदान किया जाता है। ऐसा अनुमान है कि इनमें से लगभग 50 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो जाती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में रोग की गंभीरता तीन से चार गुना अधिक होती है।लोगों में जागरूकता कम है। इसे 'यूरोथेलियल कार्सिनोमा' कहा जाता है। यह बीमारी इसलिए फैलती है क्योंकि मूत्राशय की कोशिकाएं सीमा से अधिक बढ़ जाती हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि पुरुषों में इस विकार का खतरा अधिक होता है। यह भारत में कैंसर के सत्रह सबसे प्रचलित प्रकारों में से एक है। हर साल लगभग 21,000 लोगों में ब्लैडर कैंसर का निदान किया जाता है। ऐसा अनुमान है कि इनमें से लगभग 50 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो जाती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में रोग की गंभीरता तीन से चार गुना अधिक होती है।लोगों में जागरूकता कम है। इसे 'यूरोथेलियल कार्सिनोमा' कहा जाता है।
यह बीमारी इसलिए फैलती है क्योंकि मूत्राशय की कोशिकाएं सीमा से अधिक बढ़ जाती हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि पुरुषों में इस विकार का खतरा अधिक होता है। यह भारत में कैंसर के सत्रह सबसे प्रचलित प्रकारों में से एक है। हर साल लगभग 21,000 लोगों में ब्लैडर कैंसर का निदान किया जाता है। ऐसा अनुमान है कि इनमें से लगभग 50 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो जाती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में रोग की गंभीरता तीन से चार गुना अधिक होती है।कार्सिनोमा' कहा जाता है। यह बीमारी इसलिए फैलती है क्योंकि मूत्राशय की कोशिकाएं सीमा से अधिक बढ़ जाती हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि पुरुषों में इस विकार का खतरा अधिक होता है। यह भारत में कैंसर के सत्रह सबसे प्रचलित प्रकारों में से एक है। हर साल लगभग 21,000 लोगों में ब्लैडर कैंसर का निदान किया जाता है। ऐसा अनुमान है कि इनमें से लगभग 50 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो जाती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में रोग की गंभीरता तीन से चार गुना अधिक होती है।लोगों में जागरूकता कम है। इसे 'यूरोथेलियल कार्सिनोमा' कहा जाता है। यह बीमारी इसलिए फैलती है क्योंकि मूत्राशय की कोशिकाएं सीमा से अधिक बढ़ जाती हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि पुरुषों में इस विकार का खतरा अधिक होता है। यह भारत में कैंसर के सत्रह सबसे प्रचलित प्रकारों में से एक है। हर साल लगभग 21,000 लोगों में ब्लैडर कैंसर का निदान किया जाता है। ऐसा अनुमान है कि इनमें से लगभग 50 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो जाती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में रोग की गंभीरता तीन से चार गुना अधिक होती है।लोगों में जागरूकता कम है। इसे 'यूरोथेलियल कार्सिनोमा' कहा जाता है। यह बीमारी इसलिए फैलती है क्योंकि मूत्राशय की कोशिकाएं सीमा से अधिक बढ़ जाती हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि पुरुषों में इस विकार का खतरा अधिक होता है। यह भारत में कैंसर के सत्रह सबसे प्रचलित प्रकारों में से एक है। हर साल लगभग 21,000 लोगों में ब्लैडर कैंसर का निदान किया जाता है। ऐसा अनुमान है कि इनमें से लगभग 50 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो जाती है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में रोग की गंभीरता तीन से चार गुना अधिक होती है।