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Pollution प्रदूषण: प्रदूषित हवा में सांस लेने की वजह से ना सिर्फ बुजुर्ग बल्कि छोटे बच्चे भी सेहत से जुड़ी कई तरह समस्याएं झेल रहे हैं। प्रदूषण को सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ता है। जिसकी वजह से व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी होने लगती है। हालांकि इस बात को ज्यादातर सभी लोग जानते होंगे। लेकिन क्या आप यह बात जानते हैं कि बढ़ता वायु प्रदूषण न सिर्फ फेफड़े बल्कि आपकी आंख और कान को भी नुकसान पहुंचा सकता है। जी हां, मेडिकल एक्सपर्ट की मानें तो खराब वायु गुणवत्ता की वजह से लोगों की आंखों के साथ अब कान पर भी बुरा असर पड़ने लगा है।
डॉ के अनुसार बढ़ता वायु प्रदूषण न सिर्फ व्यक्ति के फेफड़ों पर बल्कि उसकी आंखों और कानों की सेहत को भी खतरे में डाल रहा है। नाक और मुंह की तरह आंखों और कान को ढकना काफी मुश्किल है। जिसकी वजह से फेफड़ों की ही तरह आंखों और कान पर भी वायू प्रदूषण का बुरा असर पड़ता है। यह समस्या बच्चों और बड़ों, दोनों के लिए परेशानी का कारण है, खासकर उन लोगों के लिए जो शहरों में रहते हैं और जहां पॉल्युशन की मात्रा अधिक बनी रहती है।
वायु प्रदूषण से होने वाली आंखों की समस्याएं-
प्रदूषित हवा आंखों से जुड़ी कई समस्याओं का कारण बन सकती हैं जैसे-
-सालों तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से कॉर्निया को क्षति पहुंचती है, हालांकि यह तुरंत नहीं होता है। लेकिन अगर लंबे समय तक ड्राई आई की समस्या बनी रहती है, तो यह कॉर्निया को क्षतिग्रस्त कर सकती है, जिससे लंबे समय में दृष्टि प्रभावित होती है।
-प्रदूषण की वजह से आंखों पर खुजली होने पर आंखों को रगड़ने से भी कॉर्निया पर असर पड़ता है।
-जो लोग कांटैक्ट लेंस पहनती हैं, उन्हें जोखिम और बढ़ जाता है, क्योंकि उनकी आंखें पहले से ही ड्राई होती है।
-प्रदूषण के कण आंखों को ड्राई बनाकर आंखों में खुजली, जलन और चुभन का कारण बन सकते हैं।
-प्रदूषण के कण आंखों में इन्फेक्शन का कारण बन सकते हैं, जिससे आंखों की पुत्तली और ज्यादा खराब हो सकती है।
-बढ़ते पॉल्युशन से कंजंक्टिवाइटिस जैसी आंख की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
-बच्चों में कैटरैक्ट और ग्लौकोमा की संभावना बढ़ सकती है।
-बढ़ते पॉल्युशन से कंजंक्टिवाइटिस जैसी आंख की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली कान की समस्याएं-
पॉल्युशन के कण व्यक्ति की कान की सेहत के लिए भी खतरा बन सकते हैं। बढ़ते प्रदूषण की वजह से कान के पर्दे सिकुड़ने लगते हैं, जिसकी वजह से बहरेपन की समस्या सामने आ सकती है। नाक-कान-गला रोग विशेषज्ञ इसे चिंताजनक स्थिति मान रहे हैं।
-प्रदूषण की वजह से नाक व गले की एलर्जी बढ़ रही है, और इस एलर्जी का असर कान के पर्दे पर पड़ रहा है। जिसकी वजह से कान के पर्दे सिकुड़ रहे हैं। बता दें, यह समस्या बच्चे व बूढ़े में सबसे अधिक है।
-पॉल्युशन के कण कान के अंदर चले जाने से कान में दर्द और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
-पॉल्युशन से ज्यादा धूल-मिट्टी का एक्सपोजर होने से जोर-जोर से आवाज सुनाई देना, और कान में दर्द जैसी शिकायत पैदा हो सकती है।
-वायु प्रदूषण से साइनोसाइटिस, जुकाम और एलर्जी होती है, जो बाद में कानों को बहुत ज्यादा प्रभावित करती है। जैसे-टिनिटस बीमारी जुकाम के बाद प्रभावित करती है। ऐसे में जुकाम और एलर्जी को हल्के में लेने की गलती न करें।
-जुकाम में नाक से कान के बीच स्थित यूस्टेकियन ट्यूब में नाक से पानी चला जाता है। इस पानी की वजह से मध्य कान में संक्रमण हो जाता है। कई बार कफ के कारण ट्यूब ब्लॉक हो जाती है। इससे कान में संक्रमण होने के साथ मरीज की सुनने की क्षमता भी कम हो जाती है।
-जहरीले केमिकल्स और धुल मिट्टी से भरी हवा का संपर्क कान की नसों को नुकसान पहुंचता है, इससे कान में खुजली, सूजन, और जी मचलाना जैसे समस्याएं हो सकती हैं।
बचाव के उपाय-
-अगर आप पॉल्यूशन वाले इलाके में रह रहे हैं तो रोजानाअपनी आंखों को कई बार साफ पानी से धोएं।
-प्रदूषण से बचने के लिए जहां तक संभव हो, घर के आसपास नए पौधे लगाएं।
-घर से बाहर निकलते समय चारों ओर उड़ने वाले हानिकारक कणों को आंखों में जाने से रोकने के लिए आंखों पर सनग्लासेस पहनें।
-प्रदूषण से बचने के लिए खुद की बॉडी को हाइड्रेटेड रखें। यह आपकी आंखों के साथ आपके पूरे शरीर के लिए भी अच्छा है।
-सुबह और शाम बहुत ज्यादा प्रदूषित हवा में बाहर न घूमें।
-स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और नियमित अपना हेल्थ चेकअप करवाएं।
-विटामिन रिच सब्जियां और फल डाइट में शामिल करें।
-रोजाना कम से कम 30 मिनट का व्यायाम करें।
-आंखों की सेहत बनाए रखने के लिए आंखों से जुड़े व्यायाम का अभ्यास करें।
-एक अच्छा एयर प्यूरीफायर घर में रखना जरूरी है।
Sanjna Verma
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