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हाथरस । सर्दियों में बच्चे कई तरह के संक्रमण से प्रभावित हो जाते हैं। इस मौसम में छोटे बच्चों में निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है। बच्चों में ज्यादातर निमोनिया के केस बैक्टीरिया या वायरस के इंफेक्शन के कारण होते हैं। जिला महिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि निमोनिया सांस से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है जो मौसम बदलने सर्दी लगने से हो जाती है। बदलते मौसम में बच्चों की देखभाल करना जरूरी है।
बच्चे को निमोनिया है या फिर साधारण सर्दी इसकी जांच के लिए अभिभावक जब बच्चा सो रहा हो तो ये देखें कि उसकी छाती कितनी बार उठती है। अगर आपका बच्चा एक साल से कम उम्र का है और वह एक मिनट में 50 बार से अधिक बार सांस लेता है तो एक समस्या है। यदि आपका बच्चा 1 से 5 साल का है और वह एक मिनट में 40 बार से अधिक सांस लेता है तो यह एक समस्या है। उन्होंने बताया कि बुखार खांसी सांस तेज चलना पसली चलना या पसली धसना निमोनिया के लक्षण हैं। बच्चे में ऐसे लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।
डॉ. कुमार ने बताया कि सर्दी के मौसम में दिन में करीब 10 मामले साधारण निमोनिया के आ रहे हैं। सर्दी के मौसम में ओपीडी में प्रतिदिन निमोनिया से पीड़ित 50 प्रतिशत बच्चों का उपचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि शिशु को पहले छह महीनों तक मां का ही दूध पिलाएं। मां का दूध बच्चे की इम्यूनिटी बढ़ाएगा। मां के दूध में एंटीबॉडीज होती हैं जो बच्चे को रोगों से बचाने में मददगार साबित होती है। ठंड से बचाव के लिए बच्चे को गर्म कपड़े पहनाएं। ठंडी हवा से बचाने के लिए बच्चे के कान को ढंके मोजे पहनाएं। उन्होंने बताया कि बच्चों को निमोनिया से बचाव करने के लिए पीसीवी वैक्सीन लगवाएं जो बीमारी से बचाव में बेहद कारगर है।
शहर की रहने वाली मिन्नी ने बताया कि उनका ढ़ाई माह का बच्चा जिसे सर्दी लग गई है। जिसकी वजह से उसे खांसी-जुकाम की समस्या हुई है। डॉक्टर साहब को दिखाया है उन्होंने निमोनिया की शिकायत बताई है।
निमोनिया से बचाव के लिए उपाय-मजबूत इम्यून सिस्टम के लिए स्तनपान कराते रहें। समय पर निमोनिया का टीका लगवाने से भी बच्चे को निमोनिया से बचाया जा सकता है। बच्चे को छूने से पहले हाथों को अच्छी तरह से साफ कर लें। ऊनी कपड़े पहनाकर सर्द हवाओं से बचाकर रखना चाहिए। ज्यादा ठंड होने पर कमरे को गर्म करना चाहिए।