लाइफ स्टाइल

बिहार में फेमस है प्रेतशीला का खोवा, रोज होती है 50 से 60 किलो बिक्री

Manish Sahu
25 Aug 2023 5:19 PM GMT
बिहार में फेमस है प्रेतशीला का खोवा, रोज होती है 50 से 60 किलो बिक्री
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लाइफस्टाइल: खोवा जिसे मावा या खोया के नाम से भी जाना जाता है. इसका उपयोग मिठाई बनाने के लिए किया जाता है या कई लोग इसे ऐसे ही खाते हैं. यह पूरे देश मे मिल जाता है, लेकिन बिहार के गया स्थित कोरमा गांव के प्रेतशिला का खोया काफी प्रसिद्ध है. प्रेतशिला के समीप 10-12 होटल हैं, जहां शुद्ध खोवा का निर्माण किया जाता है.
बता दें कि प्रेतशिला धार्मिक दृष्टिकोण से हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है और यहां अकाल मृत्यु को प्राप्त लोगों का पिंडदान किया जाता है. पिंडदान करने आने वाले श्रद्धालुओं को नमकीन खाने से मना किया जाता है. जिस कारण यहां खोवा का अधिक डिमांड है.
पिंडदान के लिए आने वाले लोग खोवा का करते हैं सेवन
सालों भर गया के प्रेतशिला पर देश के कोने-कोने से पिंडदानी का आना-जाना लगा रहता है. यहां आस-पास के होटल में बड़े पैमाने पर खोवा तैयार किए जाता है. आम दिनों में यहां रोजाना 50-60 किलो खोवा की बिक्री हो जाती है जबकि पितृपक्ष मेला के दौरान एक क्विंटल से ज्यादा की खपत होती है.
वहीं दूसरे प्रदेशों से आने वाले पिंडदानी खोवा का सेवन करते हैं. साथ हीं अपने साथ प्रसाद के रूप में आधा किलो, 1 किलो या 5 किलो तक यहां से खरीद कर अपने घर ले जाते हैं. यहां खोवा प्रति किलो 400 रुपए बिक्री की जाती है.
अक्षय वट में खोवा से किया जाता है पिंडदान
होटल संचालक दिलीप कुमार चंद्रवंशी बताते हैं कि प्रेतशिला का खोवा काफी प्रसिद्ध है और यहां श्राद्ध करने आने वाले पिंडदानी खोवा खाते भी हैं और अपने साथ प्रसाद के रुप में ले जाते हैं. गया के अक्षय वट में खोवा से पिंडदान करने का महत्व है और जो भी पिंडदानी प्रेतशिला आते हैं, वह अपने साथ खोवा खरीद कर ले जाते हैं. यहां तकरीबन 10 से 12 होटल है जहां रोजाना 10 से 15 किलो खोवा तैयार किया जाता है. यहां के दुकानदार ग्रामीण इलाके से दूध खरीद कर लाते हैं और रोजाना दूध से खोवा तैयार करते हैं.
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