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मौसम में बदलाव के साथ ही त्वचा से जुड़ी कई परेशानियां भी पनपने लगती हैं। इन्हीं में से एक हैं कान में फुंसी का निकलना। कान में फुंसी होना बहुत दर्दनाक होता हैं और यह आपके लिए असहनीय स्थिति पैदा करती हैं। कान में फुंसी के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि कान की सफाई नहीं करना, कान में अधिक पसीना आना, त्वचा के ऑयली होना आदि। बाजार में इसके लिए भी दवाइयां मौजूद हैं। लेकिन आप चाहें तो कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर इससे निजात पाई जा सकती हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही उपचार बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से कान में निकली फुंसी से निजात पाई जा सकती हैं। आइये जानते हैं इन उपायों के बारे में...
लहसुन
लहसुन में एंटीसेप्टिक और एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं। कान की फुंसी को ठीक करने का यह आसान और सुरक्षित है। इस उपाय को करने के लिए आप 2-3 लहसुन की कली और सरसों का तेल कड़ाही में गरम करें। तेल को थोड़ा पकाने के बाद ठंडा होने के लिए रख दें। इसे दिन में 2-3 बार अपने पिंपल पर लगाएं। लहसुन के तेल का उपयोग कान के दर्द के इलाज के लिए भी किया जाता है।
रबिंग अल्कोहल
त्वचा की समस्याओं के लिए शराब एक एंटीसेप्टिक एजेंट के रूप में काम करती है। यह संक्रमण को फैलने से नियंत्रित करने में मदद करती है। आप एक कॉटन पैड लें और उसमें रबिंग अल्कोहल की कुछ बूंदें डालें। इसके बाद आप इसे सावधानी पूर्वक कान में लगाएं। ऐसा आप दिन में दो बार कर सकते हैं। ऐसा करने से बैक्टीरिया बिल्डअप खत्म हो जाता है और संक्रमण से बचाव होता है।
दालचीनी
दालचीनी में मौजूद एंटी इंफ्लेमेटरी गुण कान की फुंसी की सूजन कम करने में मदद कर सकते हैं। इस उपाय को करने के लिए चुटकी भर दालचीनी में चुटकी भर काली मिर्च का पाउडर मिक्स करके उसमें पानी डालकर गाढ़ा घोल तैयार कर लें। इसके बाद आप इस लेप को कान की फुंसी में लगा लें। दिन में 2-3 बार इस घरेलू नुस्खें को आजमा कर देखें। जब तक फुंसी ठीक न हो जाए इस लेप का इस्तेमाल करें। अच्छे रिजल्ट्स देखने के लिए आप इसे रात में सोने से पहले कान पर लगाएं।
विच हेज़ल
विच हेज़ल पिंपल का उपचार करने सहित त्वचा की कई समस्याओं के लिए एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक उपाय है। इसके एंटी माइक्रोबियल गुण संक्रमण को मारने में मदद करते हैं। विच हेज़ेल सॉल्यूशन में एक कॉटन पैड या रूई का टुकड़ा भिगोएँ। अब इसे निचोड़ लें और फिर इसे अपने पिंपल और पास की त्वचा पर कोमल हाथों से लगाएं। ऐसा दिन में दो बार करें।
तुलसी
तुलसी को एंटी ऑक्सीडेंट्स का खजाना माना जाता है, जो त्वचा को डीप क्लीन करके विषैले तत्वों को त्वचा की गहरी सतह से बाहर निकालने में मदद करते हैं। इस उपाय को करने के लिए तुलसी की पत्ती के लेप में थोड़ा सा कपूर मिलाकर कान की फुंसी पर लगाएं। इससे आपको दर्द और सूजन दोनों में राहत मिल जाएगी। अच्छे रिजल्ट्स देखने के लिए आप इस लेप को रात में सोने से पहले लगाएं। साथ ही दिन में 2 से 3 बार इस लेप को जरूर लगाएं।
नीम
नीम के आयुर्वेदिक और औषधीय गुणों से कौन अनजान है, इस पेड़ का हर भाग किसी ना किसी तरह हमारे शरीर को निरोगी बनाने में मदद करता है। तो आप 4 से 5 नीम की पत्तियाँ लें और उन्हें अच्छी तरह से पीस लें, फिर आप उसमें ½ चम्मच शहद मिलाएं। अब एक रुई का फोहा लें, उसे इस मिश्रण में डुबोये और का पर रखें। ये नुस्खा फुंसी को तुरंत पकाकर उसे अपने आप फोड़ देता है और मवाद को भी सोख लेता है।
टी ट्री ऑयल
एक चाय का चम्मच टी ट्री ऑयल और उसमें 9 भाग पानी मिलाएं। रुई की सहायता से इसे पिंपल पर लगाएं। सूखने दें। 1 दिन में दो से तीन बार ऐसा किया जा सकता है। टी ट्री ऑयल एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज से युक्त होता है। इसलिए किसी भी तरह के मुंहासे में इसका प्रयोग असरदार है। ये घरेलू उपचार कान में निकले हुए पिम्पल्स या फोड़े-फुंसी को कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
सरसों का तेल
सरसों का तेल एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल और एंटी इंफ्लेमेटरी होता है। इसे कान की फुंसी पर लगाने से फंगल इंफेक्शन दूर हो जाता है। सरसों के तेल में औषधीय गुण होते हैं। हालांकि, बिना डॉक्टर की सलाह के आप इसे कान के अंदर न डालें। अगर कान की फुंसी पर इसे मला जा सकता है। जब आपको कान के फोल्ड्स में खुजली हो या त्वचा उभरी हुई सी नजर आए तब ही आप सरसों के तेल की एक बूंद उस पर लगा लें। इससे दाना बड़ा नहीं होगा और सूजन भी अधिक नहीं होगी।
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Kajal Dubey
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