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थप्पड़ मारकर बढ़ाई जाती है लोगों की सुंदरता, नाम है स्लेप थेरेपी

Ritisha Jaiswal
2 Dec 2021 8:34 AM GMT
थप्पड़ मारकर बढ़ाई जाती है लोगों की सुंदरता, नाम है स्लेप थेरेपी
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दुनियाभर में सुंदरता बढ़ाने के तमाम नुस्खे प्रयोग में लाए जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि सुंदरता बढ़ाने के लिए दुनिया में एक बहुत ही अजीबोगरीब थेरेपी

दुनियाभर में सुंदरता बढ़ाने के तमाम नुस्खे प्रयोग में लाए जाते हैं. क्या आप जानते हैं कि सुंदरता बढ़ाने के लिए दुनिया में एक बहुत ही अजीबोगरीब थेरेपी (Slap Therapy) प्रचलित है. इसमें थप्पड़ मारकर लोगों की सुंदरता बढ़ाई जाती है. इसे स्लेप थेरेपी के नाम से जाना जाता है. यह साउथ कोरिया में बहुत ही ज्यादा पापुलर है.

स्लेप थेरेपी का इस्तेमाल साउथ कोरिया में महिलाएं सैकड़ों सालों से करती आ रही हैं. इसमें महिलाएं अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए अपने गालों में हर रोज 50 थप्पड़ खाती हैं. माना जाता है कि इस थेरेपी से त्वचा में निखार आता है. इससे महिलाएं पहले से ज्यादा सुंदर हो जाती हैं.
साउथ कोरिया में प्राचीन काल से प्रचलित
हालांकि स्लेप थेरेपी का मतलब यह नहीं कि किसी को तेज थप्पड़ मारा जाए. इसमें बहुत आराम-आराम से और हल्के हाथों से गालों पर थप्पड़ लगाया जाता है. इस थेरेपी का इस्तेमाल महिलाएं स्वयं अपने हाथों से कर सकती हैं. ये समझ लीजिए कि आपको अपने हाथों से अपने दोनों गालों का तेज थपथपाना होगा. भले ही ये थेरेपी साउथ कोरिया में प्राचीन काल से प्रचलित है, लेकिन धीरे-धीरे पूरी दुनिया में यह थेरेपी फैल रही है
साउथ कोरिया के लोग मानते हैं कि इस थेरेपी के जरिए जब गालों पर हल्के थप्पड़ लगाए जाते हैं तो चेहरे के प्रत्येक हिस्से में ब्लड का फ्लो तेज हो जाता है. इससे स्किन को साफ होने में मदद मिलती है. थप्पड़ खाने से चेहरे पर खून बहाव ताजे तरीके से होने लगता है. इससे चेहरा ग्लो करने लगता है. आपको जानकर हैरानी होगी कि साउथ कोरिया की महिलाएं इस थेरेपी का इस्तेमाल प्रतिदिन करती हैं.
पुरुष भी करते हैं इस थेरेपी का इस्तेमाल
बचपन से ही कोरिया की महिलाएं इस थेरेपी का इस्तेमाल करने लगती हैं. इसीलिए बड़े होकर भी उनकी स्किन इतनी ग्लो करती रहती है. महिलाओं के अलावा साउथ अफ्रीका में पुरुष भी इस थेरेपी का इस्तेमाल करते हैं. कोरिया के लोगों का मानना है कि इस थेरेपी का सही तरीके से इस्तेमाल करने पर त्वचा को लंबे समय तक जवां बनाकर रखा जा सकता है. इस कारण इसे 'एंटी एजिंग थेरेपी' भी कहते हैं.


Ritisha Jaiswal

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