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पौष्टिकता और स्वाद से स्वाद से भरपूर नाशपाती (पेर) उन फलों में शामिल है, जिसे आप रोज़ाना अपनी डायट में शामिल कर सकती हैं. मूल रूप से उत्तरी अफ्रीका और पश्चिमी यूरोप के निवासी इस फल में सेहत का खजाना छुपा हुआ है. हर रोज़ एक नाशपाती खाने से पेट संबंधित गड़बड़ियां नहीं सताती हैं और यह शरीर को डीटॉक्स करने का काम भी करता है. आइए, इसके और फ़ायदों पर भी एक नज़र डालते हैं.
फ़ाइबर से भरपूर
हमारे आसपास पाए जानेवाले फलों में सबसे अधिक फ़ाइबर नाशपाती में होता है. एक औसत आकार के नाशपाती में लगभग 6 ग्राम डायट्री फ़ाइबर पाया जाता है, जो एक भारतीय महिला के रोज़ाना की ज़रूरत का चौथाई हिस्सा है. इसे खाने से ना सिर्फ़ लंबे समय तक पेट भरा रहता है, बल्कि इससे पाचन क्रिया भी दुरुस्त रहती है.
डीटॉक्सिफ़िकेशन
नाशपाती एक रसीला फल है, जिसमें पानी की मात्रा अधिक होती है. यह आंत और लिवर से टॉक्सिन बाहर निकालने में मदद करता है और यह भी निश्चित करता है कि आपका शरीर रोज़ाना साफ़ हो जाए. इसमें मौजूद पोटैशियम शरीर में मौजूद अतिरक्त सोडियम को बाहर निकालने और ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियों से बचाने का काम करता है.
ऐंटी-ऑक्सिडेंट्स से भरपूर
नाशपाती में मौजूद पॉलीफ़ेनॉल्स और फ़्लॉवेनॉइड्स शरीर में मौजूद फ्री रेडिकल्स से लड़कर सेल्यूलर हेल्थ को मज़बूत बनाने का काम करते हैं. यह ना सिर्फ़ कई तरह के कैंसर से बचाते हैं बल्कि इसमें पाया जानेवाला ऐंटी-एजिंग तत्व शरीर और त्वचा का भी ख़्याल रखता है. इसमें विटामिन्स सी भी अच्छी मात्रा में होता है. इसे त्वचा पर लगाकर त्वचा की उम्र बढ़ने से रोकने में भी मदद मिलती है.
ग्लाइसेमिक इंडेक्स में नीचे
हालांकि सभी फलों में प्राकृतिक रूप से शर्करा पाई जाती है, लेकिन अन्य फलों की तुलना में नाशपाती का नंबर ग्लाइसेमिक इंडेक्स (फूड्स में शुगर की मात्रा मापने वाला इंडेक्स) में नीचे आता है और यह हेल्दी ब्लड शुगर लेवल को बनाए रखने में मदद करता है. जब आप नियंत्रित रूप से इसे अपनी डायट में शामिल करती हैं-एक दिन में एक नाशपती- तो शायद ही यह डायबिटीज़ होने या उसके स्तर को बढ़ाने की वजह बने.
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