लाइफ स्टाइल

कुछ प्रकार के कैंसर वाले मरीजों में डायबिटीज होने का खतरा अधिक जाने पूरी खबर

HARRY
6 Jun 2022 4:53 PM GMT
Patients with some types of cancer are more prone to diabetes
x
कोपेनहेगन के स्टेनो डायबिटीज सेंटर के साइंटिस्टों कई गई ताजा स्टडी में पाया गया है कि कुछ खास तरह के कैंसर मरीजों को डायबिटीज होने का ज्यादा खतरा होता है

एक नई स्टडी में पाया गया है कि कैंसर के मरीजों में डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है. करीब 60 लाख की आबादी वाले देश डेनमार्क में कैंसर मौत का प्रमुख कारण है. अकेले साल 2019 में ही यहां कैंसर के 45,000 से अधिक मामलों का डायग्नोज किया गया था. सबसे हालिया आंकड़ों की मानें तो ये डेनमार्क में कैंसर से बचने के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि है. फिर भी, लंबे समय तक रहने वाले कैंसर प्रभाव और जटिलताएं कई बचे लोगों की जीवन की गुणवत्ता को कम कर देती हैं. आपको बता दें कि कैंसर अपने आपमें एक घातक बीमारी होने के साथ ही कई अन्य बीमारियों का भी खतरा बढ़ा देती है. कोपेनहेगन के स्टेनो डायबिटीज सेंटर के साइंटिस्टों कई गई ताजा स्टडी में पाया गया है कि कुछ खास तरह के कैंसर मरीजों को डायबिटीज होने का ज्यादा खतरा होता है. ऐसी स्थिति में जिन्हें डायबिटीज की बीमारी नहीं होती है, उनकी तुलना में डायबिटीज से ग्रस्त होने वाले कैंसर रोगियों की मृत्युदर अधिक होती है.

यूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन में डिपार्टमेंट ऑफ एक्सरसाइज एंड स्पोर्ट्स के एसोसिएट प्रोफेसर लाइके सायलो (Lykke Sylow) और द नेशनल सेंटर फार कैंसर सर्वाइवरशिप एंड जनरल लेट इफेक्ट्स (सीएएसटीएलई) में प्रोफेसर क्रिस्टोफर जोहान्सन (Christoffer Johansen) और सेंटर फॉर जनरल प्रैक्टिस में कापलैब डाटाबेस की क्रिस्टीन लाइक्केगार्ड एंडरसन (Christen Lykkegaard Andersen) ने बताया कि हमारी स्टडी में पाया गया है कि जो लोग लंग्स, पैनक्रियाएटिक, ब्रेस्ट, ब्रेन, यूरिनरी ट्रैक्ट या यूटेराइन (गर्भाशय) कैंसर से पीड़ित होते हैं, उनमें डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा होता है. इस स्टडी का निष्कर्ष 'डायबिटीज केयर (Diabetic Care)' जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

13 लाख लोगों के 11.2 करोड़ ब्लड सैंपल लिए गएरिसर्चर्स अपनी स्टडी के लिए डेनमार्क के 13 लाख लोगों के 11.2 करोड़ ब्लड सैंपल टेस्ट के व्यापक डाटा का विश्लेषण किया. इनमें से 50 हजार से ज्यादा लोगों को कैंसर था. हालांकि स्टडी में ये बात साफ तौर पर नहीं बताई गई है कि कुछ खास तरह के कैंसर से डायबिटीज का रिस्क क्यों बढ़ जाता है, लेकिन रिसर्चर्स ने कुछ ऐसे सिद्धांत बताए हैं, जिनके आधार पर आगे नई स्टडीज की जा सकती हैं.

स्टडी में क्या निकलायूनिवर्सिटी ऑफ कोपेनहेगन में डिपार्टमेंट ऑफ एक्सरसाइज एंड स्पोर्ट्स के एसोसिएट प्रोफेसर लाइके सायलो (Lykke Sylow) ने बताया कि कैंसर तो वैसे ही पूरी बॉडी ही इफैक्ट होती है. लेकिन कई प्रकार की थेरेपी से डायबिटीज का रिस्क बढ़ सकती है. हम यह भी जानते हैं कि कैंसर ग्रस्त सेल्स ऐसे पदार्थों का स्राव (डिसचार्ज) करती हैं, जो कई बॉडी पार्ट्स को प्रभावित करते हैं और संभवत: इसी से डायबिटीज का रिस्क बढ़ता है. उनके मुताबिक, लैब में जीव की गई स्टडी में भी इसी के संकेत मिले हैं. स्टडी में ये भी पाया गया है कि जिन कैंसर रोगियों को डायबिटीज नहीं हुआ, वे कैंसर के बाद डायबिटीज से भी ग्रस्त होने वाले रोगियों की तुलना में ज्यादा दिन तक जीवित रहे.

स्टडी में पाया गया कि कैंसर के बाद डायबिटीज से ग्रस्त होने पर मृत्युदर 21% रही. यहां ध्यान देने की बात ये है कि ये स्टडी किसी खास प्रकार के कैंसर को लेकर नहीं कई गई है, बल्कि इसमें ऊपर बताए गए सभी प्रकार के कैंसर के बाद होने वाली डायबिटीज का मरीजों की लाइफ पर पड़ने वाले असर को देखा गया.

सही समय पर इलाज मिलना जरूरीरिसर्चर्स ने बताया कि हमारी स्टडी के नतीजे इस बात की जरूरत पर जोर देते हैं कि हमने जिन कैंसर डिजीज के संदर्भ में डायबिटीज का रिस्क बढ़ा हुआ पाया है, कम से कम वैसे रोगियों के मामले में डायबिटीज का टेस्ट कराने पर निश्चित रूप से विचार किया जाना चाहिए.

मतलब ये कि लंग, ब्रेस्ट, ब्रेन, यूटेराइन और यूरिनरी ट्रैक्ट कैंसर के मरीजों के मामले इस पर जरूर ध्यान दिया जाना चाहिए. चूंकि हमारे में डायबिटीज के इलाज की समझ बढ़ चुकी है, इसलिए कैंसर रोगियों के मामले में अगर टाइम पर डायबिटीज का भी इलाज शुरू हो जाए, तो रोगी को कुछ ज्यादा दिन तक जीवित रखा जा सकता है.

Next Story