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कनिपक्कम विनायक मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां स्थित भगवान गणपति की मूर्ति स्वयंभू है। यानी इस मूर्ति को किसी कारीगर ने तराश कर तैयार नहीं किया है, बल्कि इसकी उत्पत्ति खुद से हुई है। यह बहुत सामान्य जानकारी है क्योंकि हमारे देश के कई मंदिरों में ऐसी स्वयंभू मूर्तियां स्थापित हैं।
मूर्ति के बढ़ने की बात कितनी सच?
कहा जाता है कि इस मूर्ति का आकार लगातार बढ़ता जाता है। दावा किया जा रहा है कि पिछले 70 सालों में यह प्रतिमा 2 फीट से ज्यादा लंबी हो गई है। इसके प्रमाण के रूप में मंदिर परिसर में गणपति का कवच भी रखा हुआ है, जो उसके बढ़ते आकार के कारण मूर्ति पर छोटा पड़ गया, इसलिए इसे बचाने के लिए इसे मंदिर में ही रख दिया गया है।
क्या आप पहली आकृति भी देख सकते हैं?
कनिपक्कम विनायक मंदिर में स्थापित गणपति की मूर्ति का आकार इस समय 4 फीट कुछ इंच है। लेकिन जब यह मूर्ति प्रकट हुई और स्थापित की गई, उस समय यह बहुत छोटी थी। कितना छोटा... यह जानने के लिए मंदिर परिसर में स्थित तालाब के मध्य स्थित छत्र के नीचे उसी मूर्ति की प्रतिकृति रखी गई है, जो भीतर स्थापित है। केवल इस प्रतिकृति का आकार वही रखा गया है, जो इसके प्रकट होने के समय मूल मूर्ति का था।
यात्रा कहाँ से शुरू होती है?
आंध्र प्रदेश में स्थित कनिपक्कम विनायक मंदिर दिल्ली से लगभग 2200 किलोमीटर दूर है। यहां जाते समय आप तिरुपति से गुजरेंगे, जहां तिरुमाला पर्वत श्रृंखला पर भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर बना हुआ है। यहां बालाजी के दर्शन कर इस जगह की खूबसूरती को अपनी यादों और कैमरे में सहेज कर आप कनिपक्कम विनायक मंदिर के दर्शन के लिए आगे बढ़ सकते हैं।
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