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हार्ट अटैक के मरीजों में एक बात कॉमन, जानलेवा होगा या नहीं पहले ही लगा सकेंगे पता

Neha Dani
2 Jun 2022 4:30 AM GMT
हार्ट अटैक के मरीजों में एक बात कॉमन, जानलेवा होगा या नहीं पहले ही लगा सकेंगे पता
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इसे देखकर आप भी समझ पाएंगे कि कैसे हार्ट अटैक से जान जाने के खतरे को समझा जा सकता है.

मशहूर सिंगर के के की मौत के बाद शुरुआती जांच से लग रहा है कि उन्हें हार्ट अटैक आया होगा. बहुत ज्यादा पसीना, दम घोंटने वाली भीड़ और सांस लेने में दिक्कत- ये हार्ट अटैक के वॉर्निंग सिग्नल होते हैं. लेकिन ज्यादातर फिट दिखने वाले और 60 साल से कम उम्र के लोग इसी गलतफहमी में रहते हैं कि हार्ट अटैक बुढ़ापे की बीमारी है. हालांकि ये बात भारतीयों के केस में कई बार गलत साबित होती है.

हार्ट अटैक के मरीजों में एक बात कॉमन
दिल्ली के जी बी पंत अस्पताल में पिछले कुछ वर्षों से 20% दिल के मरीज 18 से 45 वर्ष के बीच के आ रहे हैं. अस्पताल ने दो वर्ष पहले ऐसे 154 मरीजों पर स्टडी की. इन सभी मरीजों में से किसी को भी डायबिटीज नहीं थी, इनमें से कोई भी सिगरेट नहीं पीता था. लेकिन इन सभी में एक बात कॉमन थी. इन सभी का Stress Level High था.
मरीजों के DNA स्टडी में पता चली ये बात
इन मरीजों की DNA स्टडी में ये पता चला कि इनके क्रोमोजोम्स की टेलोमियर Length काफी कम थी. टेलोमियर (Telomeres) DNA के कोने पर लगी कैप की तरह होते हैं जो कि सिकुड़ चुके थे. डॉक्टरों के मुताबिक जन्म के हिसाब से इनकी उम्र 18 से 45 थी लेकिन डीएनए स्टडी के हिसाब से इन सभी की उम्र 60 पार कर चुकी थी. यानी आपको हाई बीपी, डायबिटीज या कोई और बीमारी ना भी हो तो भी हो सकता है कि दिमागी तनाव आपके दिल पर बहुत भारी पड़ जाए.
2 वर्षों की रिसर्च से सामने आई खास बात
हार्ट अटैक आपके लिए कितना बड़ा खतरा बन सकता है. इसे समझने के लिए दिल्ली के जी बी पंत अस्पताल के डॉक्टरों ने इंजीनियरस के साथ मिलकर एक मॉडल तैयार किया है. 3 हजार 191 दिल के मरीजों पर दो वर्ष की स्टडी के बाद इस मॉडल को तैयार किया गया है. ये पहला ऐसा मॉडल है जो पूरी तरह भारतीय मरीजों के आधार पर बना है. इसमें 31 अलग अलग पैरामीटर्स के आधार पर ये तय किया जाता है कि हार्ट अटैक के मरीज को जान जाने का खतरा कितना है और कितनी संभावना है कि वो लंबे समय तक जी सकता है. हालांकि ये मॉडल डॉक्टरों के लिए है, लेकिन इसे देखकर आप भी समझ पाएंगे कि कैसे हार्ट अटैक से जान जाने के खतरे को समझा जा सकता है.
वॉर्निंग साइन्स को पहचानें
अब हम आपको ये बताएंगे कि कैसे आप हार्ट अटैक के वॉर्निंग साइन को पहचान सकते हैं और ये भी बताएंगे कि हार्ट अटैक आ भी गया तो वो कौन से लोग हैं जिनमें हार्ट अटैक के शुरुआती 30 दिनों के अंदर जान जाने का खतरा है. भारत में हर साल सबसे ज्यादा मौतें हार्ट अटैक की वजह से होती है. हर साल तकरीबन 20 लाख लोगों की मौत दिल की बीमारी से हो जाती है.
सालाना इतनी मौतों की वजह बनता है हार्ट अटैक
भारत में हर साल प्रति एक लाख में से 272 लोग दिल की बीमारी के शिकार होकर मारे जाते हैं. जबकि विश्व का औसत 1 लाख पर 235 है. हर वर्ष तकरीबन 13 से 14 लाख लोग दिल के मरीज हो जाते हैं. इनमें से 8 प्रतिशत लोगों की मौत हार्ट अटैक आने के 30 दिन के अंदर ही हो जाती है, यानी तकरीबन सवा लाख लोग पहले हार्ट अटैक के 30 दिन के अंदर ही जान गंवा बैठते हैं.
तैयार किया गया खास मॉडल
डॉक्टरों के सामने बड़ा सवाल ये है कि 14 लाख दिल के मरीजों में से वो सवा लाख लोग कौन से हैं जो हार्ट अटैक आने के 30 दिन में ही मारे जाएंगे. इसके लिए दिल्ली के जी बी पंत अस्पताल के डॉक्टरों ने इंजीनियर्स के साथ मिलकर एक मॉडल तैयार किया है. 3 हजार 191 दिल के मरीजों पर दो वर्ष की स्टडी के बाद इस मॉडल को तैयार किया गया है. ये पहला ऐसा मॉडल है जो पूरी तरह भारतीय मरीजों के आधार पर बना है. इसमें 31 अलग-अलग पैरामीटर्स के आधार पर ये तय किया जाता है कि हार्ट अटैक के मरीज को जान जाने का खतरा कितना है और कितनी संभावना है कि वो लंबे समय तक जी सकता है. हालांकि ये मॉडल डॉक्टरों के लिए है, लेकिन इसे देखकर आप भी समझ पाएंगे कि कैसे हार्ट अटैक से जान जाने के खतरे को समझा जा सकता है.
ये हैं वॉर्निंग साइन
उम्र कितनी है?

हार्ट अटैक के वक्त सीने में दर्द हुआ या नहीं?

कितनी देर में मरीज अस्पताल पहुंचा

हीमोग्लोबिन का लेवल क्या है- 13 से उपर के लेवल को हार्ट के लिए अच्छा माना जाता है.

हार्ट की पंपिग का स्तर क्या है? (इसे मेडिकल भाषा में Ejection-Fraction कहा जाता है. अगर इसका रिजल्ट 25 से कम है तो खतरा बड़ा है और ऐसे कुछ और मानकों को टेस्ट के जरिए चेक करके अब डॉक्टर भारतीय मरीजों के दिल का सही हाल बता सकते हैं.)

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