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पीटी उषा के जन्मदिन पर जानें उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें और उनकी सफलता की कहानी

Tara Tandi
27 Jun 2022 7:19 AM GMT
पीटी उषा के जन्मदिन पर जानें उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें और उनकी सफलता की कहानी
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आज देश में कई महिला एथलीट हैं जो देश का नाम रोशन कर रही हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में अपना शानदार प्रदर्शन दे रही हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज देश में कई महिला एथलीट हैं जो देश का नाम रोशन कर रही हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में अपना शानदार प्रदर्शन दे रही हैं। बीते सालों में हुए ओलंपिक खेलों में कई भारतीय महिला एथलीट ने देश के लिए पदक जीते और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की श्रेणी में अपना स्थान बनाया। लेकिन महिलाओं की ओलिंपिक में हिस्सेदारी बढ़ाने के पीछे का श्रेय उन महिला खिलाड़ियों पर है, जो सबसे पहले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतिस्पर्धा में शामिल हुईं और भारत का प्रतिनिधित्व किया। इन्हीं में से एक नाम हैं पीटी उषा का। पीटी उषा ओलंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला एथलीट हैं। वैसे तो पीटी उषा किसी पहचान की मोहताज नहीं। उन्होंने अपने कदमों से करियर की राह चुनी और देश की महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया। आज पीटी उषा का जन्मदिन हैं। महिला एथलीट पीटी उषा के जन्मदिन पर जानें उनके जीवन से जुड़ी रोचक बातें और उनकी सफलता की कहानी।

पीटी उषा का जीवन परिचय
महिला एथलीट पीटी उषा का जन्म 27 जून 1964 को केरल के कोझीकोड जिले में स्थित पयोली गांव में हुआ था। उनका जीवन गरीबी में गुजरा। जब वह स्कूल में थी, तो उन्होंने दौड़ना शुरू किया। चौथी कक्षा में उनके शारीरिक शिक्षा के अध्यापक ने जिले के चैंपियन मुकाबले में प्रतिभाग करने के लिए कहा। इस प्रतियोगिता में पीटी उषा ने जिला चैंपियन को हरा दिया, जो उनके ही स्कूल में पढ़ती थीं।
पीटी उषा की शिक्षा
उसके बाद से पीटी उषा अपने स्कूल के लिए जिला स्तर के मुकाबले में शामिल होने लगीं। खेलों में उनके प्रदर्शन को देखते हुए केरल सरकार ने पीटी उषा को छात्रवृत्ति से सम्मानित किया। इसके बाद पढ़ाई और ट्रेनिंग के लिए पीटी उषा ने कन्नूर के एक विशेष खेल विद्यालय में दाखिला लिया।
पीटी उषा का करियर
करियर के तौर पर उनके जीवन में उस समय मोड़ आया जब 1976 में नेशनल स्कूल गेम्स के दौरान पीटी उषा के कोच ओ. एम. नाम्बियार की उन पर नजर पड़ी। इसके बाद पीटी उषा की अंतरराष्ट्रीय खेलों में शामिल होने का मौका मिला। 1980 में पीटी उषा के अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत हुई, जब कराची में पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट में पीटी उषा ने चार स्वर्ण पदक जीते।
उसके बाद पीटी उषा तीन ओलंपिक खेलों मॉस्को (1980), लॉस एंजिल्स (1984) और सियोल (1988) में शामिल हुईं लेकिन पदक पाने से चूक गईं। लाॅस एंजिल्स ओलंपिक के फाइनल तक पहुंचीं। देश के लिए यह बड़ी उपलब्धि थी। उनसे पहले कोई भारतीय महिला एथलीट ओलंपिक फाइनल में नहीं पहुंची थी। पीटी उषा ने एशियाई खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन किया। साल 1991 में पीटी उषा ने वी श्रीनिवासन से शादी की। कुछ साल ब्रेक के बाद 1998 में एथलेटिक्स में फिर से वापसी की।
पीटी उषा के पदक
महज 20 साल की उम्र में पीटी उषा को अर्जुन पुरस्कार, पद्म श्री से सम्मानित किया गया। इसके अलावा विश्व ट्रॉफी से सम्मानित किया गया। भारतीय ओलंपिक संघ ने भी पीटी उषा को 'स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द सेंचुरी' और 'स्पोर्ट्स वुमन ऑफ द मिलेनियम' के लिए नामित किया था। साल 2000 में भारत की इस सर्वश्रेष्ठ एथलीट ने करियर से संन्यास ले लिया।
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