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लाइफ स्टाइल
ऑफिस का काम बिगाड़ता है पुरुषों की मेंटल हेल्थ, ये टिप्स आएंगे काम
Kajal Dubey
15 May 2023 5:18 PM GMT
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तनाव की वजह
ज़्यादातर पुरुषों को काम की वजह से तनाव मिलता है। पर इस तनाव की वजह सीधे तौर पर काम ना होकर उसे जुड़े दूसरे फैक्टर भी होते हैं। सबसे पहले इनको सुधारने की कोशिश की जानी चाहिए। इनको जान लीजिए।
- काम का दबाव
- निर्णय करने में कठिनाई
- नौकरी को लेकर असुरक्षा
- कम्युनिकेशन साफ ना होना
- कंपनी में अहमियत ना मिलना
- काम के लंबे घंटे
मेंटल हेल्थ का असर
मेंटल हेल्थ अच्छी ना होने से दिक्कत सिर्फ खुद पुरुषों को नहीं होती है बल्कि इसका असर किसी न किसी तरह से पूरे परिवार को भी झेलना पड़ता है। और सिर्फ परिवार ही नहीं ऑफिस के साथियों पर भी इसका असर पड़ता है। काम का तो इतना घाटा होता है कि महीनों लग जाते हैं, इसको सुधारने में।
दरअसल जब तनाव घेरे होता है, तो पुरुष छुट्टियां बहुत लेते हैं। उनका काम में मन भी नहीं लगता है। और ये सारी कंडीशन पुरुषों को एक बेहद कठिन दौर में ले आती हैं।
मेंटल हेल्थ पर नहीं जाता ध्यान
मानसिक तनाव ज़्यादातर पुरुष कर्मचारियों को इसलिए भी घेर लेता है क्योंकि उनके मन में क्या चल रहा है, ये लोगों को पता ही नहीं चल पाता है। वजह वही, पुरुषों की स्ट्रांग इमेज बनती है। उनसे हमेशा स्ट्रांग बने रहने की ही अपेक्षा की जाती है। और पुरुष खुद भी बचपन से ही इस एहसास के आदि हो जाते हैं, वो खुद को इसी इमेज में बांधे रखना चाहते हैं। वो किसी से ये कहने का साहस जुटा ही नहीं पाते हैं कि हां, मुझसे ये काम नहीं हो पा रहा या मैं भी कमजोर स्थिति में हूं।
ऐसा तब और ज्यादा होता है, जब महिलाएं आप से बेहतर काम कर रही हों। तब पुरुषों के मन में खुद को किसी भी तरह साबित करने का दबाव और ज्यादा हो जाता है। इसका कारण भी सोशल प्रेशर ही होता है। लेकिन इन सभी कंडीशन में भी पुरुष सारे तनाव खुद में ही दबाए रहते हैं।
नौकरी हाथ से न चली जाए
पुरुषों के साथ ऑफिस में तनाव की स्थिति में एक दिक्कत और होती है। उनको नौकरी चले जाने का डर सताने लगता है। उनको लगता है कि मानसिक दिक्कतों के बारे में जानकार शायद उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाए। या उन्हें काम करने लायक नहीं माना जाएगा। जबकि कंपटीशन की दुनिया में खुद को पर्फेक्ट दिखाते रहना जरूरी हो जाता है। और फिर होता ये है कि मानसिक दबाव जस का तस दिमाग में घर करता जाता है।
तीन बातों पर रखें ध्यान
- ऑफिस के कामों की वजह से बिगड़ने वाली मेंटल हेल्थ के लक्षण, किसी और वजह से होने वाली मानसिक दिक्कत के लक्षणों से बिलकुल अलग होते हैं।
- मेंटल डिसऑर्डर का असर सबसे पहले अटेंडेंस पर पड़ता है। मेंटल प्रॉब्लम होने पर छुट्टियां कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती हैं।&
- स्टडी में पाया गया है कि मेंटल हेल्थ के खराब होने पर काम में परफॉर्मेंस इंप्रूव हो सकती है लेकिन ऐसा हो ही ये पक्का नहीं है।
मदद मांगने में कैसी शर्म
पुरुष खुद के लिए मदद मांगने से पीछे हटते हैं। उनकी सख्त बने रहने की चाहत उन्हें खुश होने ही नहीं देती है। पर अब समय आ गया है कि अपने सोशल बंधनों से बाहर आकर खुद के लिए मदद मांगी जाए।
समझा जाए कि डिप्रेशन के लिए इलाज बेहद जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया जाएगा तो आपकी कंडीशन खराब होती चली जाएगी। बिना इलाज के डिप्रेशन आपको तो परेशान करेगा ही आपके परिवार को भी परेशान करता रहेगा। इसलिए अपने परिवार के लिए तो आपको अपने इलाज और इससे जुड़ी मदद के लिए आगे आना ही चाहिए।
एक बात दिल में बैठा लीजिए कि दवाइयों और काउंसलिंग से डिप्रेशन या किसी भी तरह के मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है। अगर आपको खुद या किसी दोस्त और परिवार वाले को थोड़ा भी लगता है कि आप डिप्रेशन में हैं, तो डॉक्टर को दिखाने से पीछे न हटें। मेंटल हेल्थ के लिए डॉक्टर से मिलना कमजोरी नहीं बल्कि हिम्मत की बात है।
जब खुद सामना करना हो
डॉक्टर से ट्रीटमेंट और दवाओं से आपका इलाज होगा है तो आपको समस्याओं का सामना करने के स्किल्स भी आ जाएंगे। लेकिन फिर भी कुछ ऐसे स्किल हैं, जिनको सीख कर आप खुद भी दिक्कतों का सामना करने के लिए तैयार होते रहेंगे। इन टिप्स को दिल और दिमाग में बैठा लीजिए-
- देखिए, दिक्कतें तब ज्यादा आती हैं, जब आप जरुरत से ज्यादा अपेक्षा कर लेते हैं। इसलिए ध्यान रखिए अपने लिए ऐसे गोल बनाइए जो रियल हों। जिनको पाना संभव हो। आपको भी तब खुद पर पूरा विश्वास रहेगा कि आप काम कर ले जाएंगे और पूरा करने के बाद आपका कॉन्फ़िडेंस भी बढ़ेगा। इस वक्त सपनीले ख्वाबों को पीछे छोड़ कर रियल वर्ल्ड वाली बात करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा।
- यही वक्त है जब आपको एक सपोर्ट तलाश लेना चाहिए। भले ही वो कोई दोस्त हो या माता-पिता या फिर कोई भी रिश्तेदार, आपको अपने लिए एक सपोर्ट ढूंढना ही होगा। अगर आपको कोई ऐसा नहीं मिल रहा है तो ऑनलाइन हेल्पलाइन का सहारा भी लिया जा सकता है।
- आपको खुद दिक्कतों का सामना करना भी सीखना होगा। मेडिटेशन करें या फिर योगा से मन को शांत रखें। लेकिन परेशानियों को खुद हैंडल करने और हल करने की पूरी कोशिश करें।
- जीवन से जुड़े बड़े निर्णय जैसे नौकरी बदलना, शादी करना या फिर घर खरीदना जैसे निर्णय फिलहाल टाल दें। इनके लिए तभी कदम उठाएं, जब डिप्रेशन खत्म हो चुका हो।
- खुद को किसी एक्टिविटी में बिजी कर लेने का भी यही समय है। आप उन एक्टिविटी को चुनिए, जिनमें आपको असल में रुचि है।
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Kajal Dubey
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