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जीवन में टीचर ही नहीं ये भी होते हैं हमारे जीवन के गुरु, जानिए कैसे?

Deepa Sahu
3 Sep 2021 3:24 PM GMT
जीवन में टीचर ही नहीं ये भी होते हैं हमारे जीवन के गुरु, जानिए कैसे?
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बात जब टीचर्स की आती है,

बात जब टीचर्स की आती है, तो सबसे पहले हर किसी के दिमाग में स्कूल से लेकर कॉलेज तक के शिक्षक आ जाते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इनके द्वारा दी गई शिक्षा ही उस नींव को तैयार करती है, जो व्यक्ति को ज्ञान की सीढ़ी पर चढ़कर सफल होने व बेहतर जीवन जीने में मदद करती है। हालांकि, इनके अलावा भी हमारे जीवन में ऐसे लोग हैं, जिनका महत्व किसी टीचर से कम नहीं है। जाने-अनजाने ये हमें ऐसी सीख दे जाते हैं, जो हमें हमारा जीवन बेहतर बनाने में मदद करती है। (सभी तस्वीरें: इंडियाटाइम्स)

माता-पिता
ये हमारे जिंदगी के पहले गुरु होते हैं। मुंह से निकले पहले शब्द के साथ ही खड़े होकर लिया गया पहला कदम, सब इनके कारण ही संभव हो पाता है। इसके बाद भी जब तक वे हमारे साथ होते हैं, हम उनसे कुछ न कुछ सीखते ही रहते हैं। कभी प्यार तो कभी डांट से ये हमें सही रास्ते और सफलता की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं और बस यही उम्मीद करते हैं कि हम खुश व स्वस्थ रहें।
दादा-दादी, नाना-नानी
कहा जाता है कि लोग अपने बच्चों से भी ज्यादा ग्रैंडकिड्स को प्यार करते हैं और ऐसा शायद आपने भी महसूस किया ही होगा। स्नेह, दया, सम्मान, छोटी-छोटी खुशियों के मजे लेना जैसी कई चीजें दादा-दादी या नाना-नानी बड़े लाड से खेल-खेल या बातों-बातों में ही सिखा जाते हैं। वहीं इनकी कहानियां मॉरल साइंस का वो ज्ञान देती हैं, जो शायद लोगों को किताबों से भी न मिल पाएं और जो व्यक्ति के व्यक्तित्व को बचपन से ही निखारने में मदद करती है।

दोस्त
कहते हैं कि व्यक्ति की पहचान उसके दोस्तों से होती है। ये दिखाता है कि हम सभी के जीवन पर दोस्तों का कितना बड़ा असर होता है। बचपन से फ्रेंडशिप करने का जो सफर शुरू होता है, वो हमेशा जारी ही रहता है। कभी कोई नया दोस्त मिलता है, तो कोई पीछे छूट जाता है। हालांकि, जो चीज हमारे साथ रहती है वो है इनके साथ बिताए पल और उससे मिले अनुभव। ये एक्सपीरियंस हमारी पर्सनैलिटी पर जबरदस्त असर डालते हैं।

ऑफिस में मिले लोग

व्यक्ति जब करियर शुरू करता है, तो उसे अपने आसपास हर तरह के लोग मिलते हैं, जो जाने-अनजाने में ही उसके व्यक्तित्व को प्रभावित करते जाते हैं। अच्छे कलीग और हेड आपके आत्मविश्वास को बढ़ाते हुए आगे बढ़ने में मदद करते हैं। वहीं अगर साथी कर्मचारी या लीड अच्छा न हो, तो उनके साथ के अनुभव आपको खुद को मजबूत बनने के लिए मजबूर कर देते हैं। ऐसा जब होता है तब आप भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में भी सक्षम हो जाते हैं।
बच्चे
अब आप सोचेंगे कि भला बच्चे क्या सिखा सकते हैं? लेकिन सच तो ये है कि इनका आसपास होना भी कई चीजें सिखा जाता है। बच्चे व्यक्ति की भावनाओं को जीवित रखने में सबसे ज्यादा मदद करते हैं और सिखाते हैं कि कैसे छोटी सी चीज में भी खुशी का अनुभव किया जा सकता है। कभी-कभी तो वे बातों-बातों में कुछ ऐसा कह जाते हैं कि पैरंट्स तक की बोलती बंद हो जाती है।
एक्ट्रेस काजोल तक ने अपनी जिंदगी में इसका अनुभव किया है। उन्होंने करीना कपूर के शो में बताया था कि कैसे उन्होंने जब अपनी बेटी नीसा के पूजा में बैठने से इनकार करने पर उसे डांटा था और जबरन बिठाया था, तब उनके बेटे युग ने उनसे कहा था कि सच बोलने पर उन्हें नीसा को डांटना नहीं चाहिए था। काजोल ने इसे अपने लिए 'उल्टे हाथ का थप्पड़' बताया था।


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