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देश ही नहीं, अब ग्लोबल स्तर पर पहुंचा गणपति उत्सव

SANTOSI TANDI
19 Sep 2023 7:56 AM GMT
देश ही नहीं, अब ग्लोबल स्तर पर पहुंचा गणपति उत्सव
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पहुंचा गणपति उत्सव
गणपति बप्पा मोरया... मंगल मूर्ति मोरया'...महाराष्ट्र में गणपित के आगमन की तैयारियां शुरू हो चुकी है। लोगों ने पंडाल सजाना शुरू कर दिया और अब बस बप्पा के आने की देरी है। इस वक्त महाराष्ट्र में सभी इस वाइब्रेंट और धमाकेदार त्यौहार के जश्न में डूबे दिखेंगे। क्या बच्चे और क्या बूढ़े, सभी भगवान गणेश के आने का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
इस साल महाराष्ट्र एक नए अंदाज में इस जश्न को मना रहा है। महाराष्ट्र टूरिज्म ने इसे देश में नहीं बल्कि ग्लोबल स्तर पर लाने का विचार किया है। इसी उद्देश्य से गणेश इंटरनेशनल फेस्टिवल 2023 का शुभारंभ हो चुका है। यह इंटरनेशनल फेस्टिवल का पहला संस्करण है, जो 18-28 सितंबर तक मुंबई, पुणे, पालघर और रत्नागिरी में मनाया जा रहा है।
इस दौरान इन जगहों के महत्व और सांस्कृतिक समृद्धि को भी विस्तार से समझने का मौका मिलेगा। यह उत्सव महाराष्ट्र के लिए जितना खास है, उतना ही खास हमारे लिए भी बना। पर्यटन निदेशालय, महाराष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय गणेश महोत्सव 2023 के लिए हरजिंदगी को निमंत्रण दिया था।
इतने बड़े त्यौहार में इस तरह मुझे भी जाने का मौका मिला और मैं अपने अनुभवों के जरिए आपके साथ इसके एक-एक पल को साझा करूंगी। मेरे साथ-साथ आप भी इस आयोजन के जरिए महाराष्ट्र की आध्यात्मिकता, इतिहास और रोमांच के समृद्ध कल्चर के बारे में जानें। इस उत्सव में मैं भी पहली बार शामिल हुई थी और हमारी यात्रा पालघर में शुरू हुई।
यह यात्रा पालघर से क्यों शुरू हुई और यह खास क्यों है, इसके बारे में हमने थॉमस कुक के महाराष्ट्र पर्यटन के अंतर्राष्ट्रीय गणेश महोत्सव 2023 के टूर मैनेजर धर्मिन पारेख से पूछा। उन्होंने इस आयोजन के पीछे के उद्देश्य के बारे में बात करते हुए कहा, "पालघर महाराष्ट्र का ही एक ऐसा तालुका है, जिसके बारे में लोग कम जानते हैं। यहां आदिवासी लोग रहते हैं और टूरिज्म चाहता है कि इनके बारे में लोगों को पता लगे।
यहां ऐसी कई विशेषताएं हैं, जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है और हम वहीं आगे तक पहुंचाना चाहते हैं। आपको यहां अधिकतम संख्या में पंडाल देखने को मिलते हैं। हम चाहते हैं कि लोग विशेष रूप से त्यौहारी सीजन के दौरान पालघर आएं और घूमें।" चलिए इस यात्रा के बारे में आपको भी विस्तार से बताएं। (गणेश का यह मंदिर भी है बेहद खास)
कुछ इस तरह शुरू ही पालघर के कार्यक्रम की यात्रा
अब आप किसी को अपने कार्यक्रम में इनवाइट करेंगे, तो बस उसे इन्विटेशन देंगे, लेकिन महाराष्ट्र टूरिज्म ने बड़े ही क्रिएटिव तरीके से इसका आह्वान किया। मुंबई से पालघर की यात्रा के दौरान हमें हमारे पासपोर्ट और बोर्डिंग पासेस मिले। जी हां, यह पर्यटन पासपोर्ट थे जिसमें गणेश चतुर्थी के उत्सव से जुड़ी तमाम हाइलाइट्स दी गई थीं। साथ ही, एक डिटेल्ड आइटीनेररी भी दी गई। इस आइटीनेररी को अगले 4 दिनों तक फॉलो किया जाना है। इस पासपोर्ट बुक में गणेश चतुर्थी के बारे में बताया गया है। साथ ही, इस उत्सव के दौरान महाराष्ट्र टूरिज्म का उद्देश्य भी बताया गया है।
पालघर जिले के ढेकाले गांव में इस तरह गुजरा पहला दिन
यह पालघर जिले में स्थित एक आदिवासी गांव है। ठाणे, महाराष्ट्र के Lesser Known एरिया ढेकाले अपने आप में बहुत ही अलग और खास रहा। इस छोटे से गांव न सिर्फ हमने देखा, बल्कि यहां के लोगों और कल्चर को जानने की कोशिश की। इस बीच हमें पता चला कि यह अजूबों से भरा एक गांव है। पहले दिन हम यहां स्थित शंकर मंदिर गए, जहां के हॉट वॉटर स्प्रिंग बहुत ज्यादा चर्चित हैं। इस जगह की खासियत यह है कि खूब बारिश के बाद भी इस मंदिर में स्थित हॉट वॉटर स्प्रिंग का पानी ठंडा नहीं होता। इस मंदिर को सातिवाली नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा हमें यहां खूबसूरत ढेकाली डैम और वॉटर फॉल देखने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ।
गांव के गणपति पंडाल की रौनक थी बेहद खास
गणपति उत्सव में आएं और पंडाल न देखें, ऐसा कैसे हो सकता है। जैसे ही हम ढेकाले की संकरी गलियों से आगे गुजरे हमने एक खूबसूरत गणपति पंडाल देखा। टूरिज्म के स्टाफ ने सभी के लिए हेरिटेज वॉक का आयोजन किया था। पंडाल देखना और लोगों से मिलना भी उसी का हिस्सा था। स्थानीय लोग भगवान गणेश को लाने की तैयारी कर रहे थे। रंग-बिरंगी लाइट और चमचमाती हुई डेकोरेशन से सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। इस बीच सबसे ज्यादा मन लुभाया गांव के बच्चों ने। उन्होंने अपनी जोरदार परफॉर्मेंस से लोगों को आकर्षित किया। भगवान के इस पंडाल को सजाने के लिए और तमाम चीजों के लिए गांव के लोग एक साथ आते हैं। जिससे जितना हो सकता है, वह उतना योगदान देता है और इस तरह से गणपति बप्पा का स्वागत और सेवा की जाती है। (400 साल पुराने गणपतिपुले मंदिर का रहस्य)
हम भाग्यशाली थे कि हम गांव द्वारा तैयार किए गए इस पंडाल को देख सके। इसके बाद होटल में पालघर के आर्टिस्ट द्वारा एक डांस परफॉर्मेंस का आयजोन था। यह एक आदिवासी परफॉर्मेंस 'तारपा नृत्य' था, जो बेहद लोकप्रिय है।
इस नृत्य के बारे में हम आपको आगे जरूर बताएं। 4 दिनों के हमारे इस सफर को आप पढ़ना न भूलें। अगर यह लेख पसंद आया तो इसे लाइक और शेयर करें।
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