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शरीर पर टैटू बनवाने वाली महिलाओं के लिए खबर, हो रहे इस गंभीर बीमारी से ग्रसित
पूर्वी यूपी में टैटू बनवाने का शगल युवतियों को हेपेटाइटिस का शिकार बना रहा है। ज्यादातर युवतियों को इसका पता विवाह के बाद पहले प्रसव के दौरान चल रहा है। इसका खुलासा बीआरडी मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की रिसर्च में हुआ है। शोध में एक वर्ष के दौरान करीब तीन सौ प्रसूताओं को शामिल किया गया। इस दौरान 65 गर्भवतियों में हेपेटाइटिस-बी की पुष्टि हुई। इनमें से 62 यानी 95.38 फीसदी गर्भवतियों ने टैटू गुदवा रखा था। यह रिसर्च अंतरराष्ट्रीय जर्नल के साथ ही आईसोपार्ब के जरनल में भी प्रकाशित हुआ है। स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रीता सिंह ने यह रिसर्च की। यह रिसर्च विभागाध्यक्ष डॉ. वाणी आदित्य की निगरानी में की गई। उन्होंने बताया कि एक वर्ष के दौरान करीब करीब 6200 गर्भवतियों का प्रसव कराया गया। इस दौरान हेपेटाइटिस-बी की शिकार 65 महिलाएं मिलीं। इनमे से 62 महिलाओं में टैटू गुदवाए थे। रिसर्च के दौरान इन हेपेटाइटिस संक्रमितों और 230 सामान्य गर्भवतियों के जीवनचर्या की तुलना भी की गई।
मेडिकल कॉलेज के स्त्री एवं प्रसूति रोग की विभागाध्यक्ष डॉ. वाणी आदित्य बताया कि यह जानलेवा बीमारी है। इसका सटीक इलाज नहीं है। यह कैंसर का कारक है। 30 फीसदी मामलों में यह क्रानिक हो जाता है। यह लिवर को संकुचित कर देता है। इसके कारण लिवर फेल्योर हो सकता है। जागरूकता के जरिए इससे बचा जा सकता है। महिलाओं को असुरक्षित टैटू खुदवाने से बचना चाहिए। डॉ. रीता सिंह ने बताया कि टैटू गुदवाना युवतियों का प्रमुख शगल हो गया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में युवतियां टैटू पसंद करती हैं। यह उनकी परंपरा में शामिल है। टैटू बनाने वाले कलाकार मशीन में एक ही सुई से कई महिलाओं का टैटू बनाते हैं। इससे संक्रमण तेजी से फैलता है।