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लाइफ स्टाइल
मस्तिष्क की बीमारियों का सटीक इलाज नए माइक्रोस्कोप से होगा
Bhumika Sahu
21 Dec 2021 5:30 AM GMT
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हमारा मस्तिष्क बेहद संवेदनशील होता है। यही कारण है कि इससे जुड़ी बीमारियों के इलाज में भी अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए न्यूरोसर्जरी ओटी में दो करोड़ रुपये की एक ऐसी माइक्रोस्कोप मशीन लगाई गई है, जिसमें ऑपरेशन के दौरान रंगों के सहारे डॉक्टर खराब कोशिकाओं की डायग्नोसिस कर उसे हटा सकेंगे।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क।हमारा मस्तिष्क बेहद संवेदनशील होता है। यही कारण है कि इससे जुड़ी बीमारियों के इलाज में भी अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए न्यूरोसर्जरी ओटी में दो करोड़ रुपये की एक ऐसी माइक्रोस्कोप मशीन लगाई गई है, जिसमें ऑपरेशन के दौरान रंगों के सहारे डॉक्टर खराब कोशिकाओं की डायग्नोसिस कर उसे हटा सकेंगे।
यह माइक्रोस्कोप डॉक्टरों को बताएगा कि कहां-कहां कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हैं। किन कोशिकाओं में बीमारी है या आगे फैलने की आशंका है। इनके अलग-अलग रंग दिखेंगे। माइक्रोस्कोप कोशिकाओं के आकार को 20 गुना बड़ाकर दिखाएगा।
न्यूरोसर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह का कहना है कि मस्तिष्क में कई पार्ट होते हैं, एक तो ब्रेन, दूसरे उसमें वेजल का जाल, तीसरे ट्यूमर या ब्लीडिंग प्वाइंट आदि। इनकी पहचान में सामान्य माइक्रोस्कोप से थोड़ी मुश्किल आती है।
कोशिकाएं एक जैसी होती हैं इसलिए इस बात की संभावना रहती है कि खराब कोशिकाओं के साथ स्वस्थ सेल भी सर्जरी के दौरान कट सकते हैं, जिससे मरीज का नुकसान हो सकता है। अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित कोशिकाओं का रंग ऑपरेटिंग न्यूरोसर्जिकल माइक्रोस्कोप बता देगा। इससे खराब कोशिकाओं को हटाना बेहद आसान हो जाएगा, जहां-जहां गड़बड़ी दिखेगी, वहां रंगों से पहचान हो सकेगी।
अभी तक 15 साल पुराने माइक्रोस्कोप से सर्जरी
न्यूरोसर्जन अभी तक 15 साल पुराने माइक्रोस्कोप से सर्जरी कर रहे हैं। इससे कोशिकाओं के रंग एक जैसे दिखते हैं। नतीजे में ब्रेन की बीमार कोशिकाओं के साथ स्वस्थ नसों की कोशिकाएं भी कट जाती है। ब्लीडिंग हो सकती है, ट्यूमर की कोशिकाएं छूट जाएं वह दोबारा उभर सकती हैं, मरीज को ऑपरेशन के बाद पैरालिसिस हो जाने का खतरा रहता है।
ऑटोमेटिक वीडियो रिकार्डिंग भी
माइक्रोस्कोप में अत्याधुनिक कैमरा लगा है, जिससे ऑटोमोटिक रिकार्डिंग होती रहेगी। सर्जन किस तरह ऑपरेशन कर रहे हैं पल-पल कैमरे में कैद होगा। यह रिकॉर्डिंग मरीज को दी जा सकेगी ताकि वह कानूनी प्रक्रिया में उसका साक्ष्य के तौर पर इस्तेमाल कर सके। इससे डॉक्टर भी कानूनी तौर पर सुरक्षित रह सकेंगे।
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