लाइफ स्टाइल

भूलकर भी न खिलाएं एक साल से कम उम्र के बच्चों को ये 5 चीज़ें

Kajal Dubey
29 April 2023 2:22 PM GMT
भूलकर भी न खिलाएं एक साल से कम उम्र के बच्चों को ये 5 चीज़ें
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नवजात बच्चे पूरी तरह से मां के दूध पर निर्भर होते हैं. यहां तक कि पहले छह महीने तक उन्हें सिर्फ़ मां का दूध ही पिलाया जाता है, यहां तक कि पानी भी नहीं दिया जाता. मां का दूध पानी और दूसरे पोषक तत्वों की ज़रूरत को बेहतर ढंग से पूरा करता है. पर छह महीने बाद जब उनका शरीर इतना बड़ा हो चुका होता है कि उनकी रोज़ाना की पोषक ज़रूरतें सिर्फ़ मां के दूध से पूरी नहीं हो पातीं तो उन्हें खाने के लिए दूसरी चीज़ें, सेमी सॉलिड और सॉलिड फ़ूड भी दिया जाता है.
आपने ग़ौर किया होगा, बड़े बच्चे भूले ही खाने के मामले में नाज़-नखरे दिखाते हों, पर नवजात शिशु शुरू-शुरू में खाने के प्रति कुछ ज़्यादा ही उत्सुकता दिखाते हैं. बच्चे तो स्वाद लेने के लिए लगभग ज़्यादातर चीज़ों को स्वीकार कर लेते हैं, पर आपको सावधानी रखनी चाहिए कि कौन-सी चीज़ें उन्हें नहीं खिलानी चाहिए, कम से कम उनके एक बरस के होने तक. इसका कारण यह है कि बच्चों का पाचनतंत्र अभी ठीक से डेवलप नहीं हुआ होता है. आप जो चीज़ उन्हें उनके भले के लिए खिलाएंगी, उनका उल्टा इफ़ेक्ट बच्चे पर पड़ सकता है.
गाय का दूध
गाय का दूध हमारी सेहत के लिए वरदान है. इसके कई फ़ायदे आपने सुने होंगे. पर बच्चे के मामले में यह दूध इच्छित नतीजा नहीं दे पाता, अगर बच्चे की उम्र एक साल से कम हो तो. शरीर के लिए ज़रूरी प्रोटीन्स से भरपूर गाय के दूध को पचा पाना बच्चे के पाचन तंत्र के लिए टेढ़ी खीर साबित होता है. और बच्चे को पेट फूलने, पेट में दर्द होने और अत्यधिक गैस होने जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. तो बेहतर है, इस शानदार पोषक तत्व को एक साल के बाद बच्चे को पिलाना शुरू करें.
शहद
एक साल से कम उम्र के बच्चों को शहद नहीं खिलाना चाहिए. नवजात बच्चों का इंटेस्टाइन अधिक शक्तिशाली नहीं होता, वह शहद को पचाने में सक्षम नहीं है. देखा जाए तो बच्चों को शहद खिलाने पर क्लोस्ट्रीडियम बोटलिनम नामक बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है. यह बैक्टीरिया बच्चों के लिए ख़तरनाक है. उससे बच्चों के मसल्स कमज़ोर होते हैं, उन्हें कब्ज़ की शिकायत होती है, उनके मसल्स की टोनिंग भी नहीं हो पाती. यानी बात साफ़ है, बड़ों के लिए एनर्जी का स्रोत और कई औषधीय गुणों से भरपूर शहद नवजात बच्चों से दूर ही रखें.
खट्टे फल
विटामिन सी की अधिकतावाले खट्टे फल हम अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए अपनी डायट में शामिल करना नहीं भूलते. पर यही विटामिन सी और एसिड बच्चों के पेट में जाकर उनका पेट ख़राब कर देते हैं. उन्हें दस्त की समस्या हो सकती है. तो नवजात बच्चों को तो फ़ायदेमंद विटामिन सी न ही खिलाएं तो बेहतर होगा.
चॉकलेट
बड़े बच्चों का पसंदीदा, यहां तक कि बड़ी लड़कियों का भी फ़ेवरेट चॉकलेट छोटे बच्चों के लिए स्ट्रिक्टली ‘नो-नो’ है. इसका स्वाद भले ही बच्चों को भाए और वे उसकी मिठास से कुछ मिनटों के लिए चाहे कितने ही ख़ुश हो जाएं, पर एक साल से कम बच्चों को चॉकलेट खिलाने से उन्हें पेट की समस्याएं हो सकती हैं. इसके अलावा दो और बड़ी समस्याएं हैं. पहली-चॉकलेट में कैफ़ीन की काफ़ी मात्रा होती है, जो बच्चों के लिए नुक़सानदेह है और दूसरी-चॉकलेट को मीठा बनाने के लिए इस्तेमाल होनेवाली एक्स्ट्रा चीनी भी बच्चों के लिए हानिकारक है.
गेहूं
गेहूं में एलर्जिन होने के कारण आमतौर छोटे बच्चों को, विशेष रूप से एक साल से कम उम्र के बच्चों को गेहूं से बनी चीज़ें नहीं खिलाते. गेहूं में ग्लूटेन होता है, जिसे पचा पाना आसान नहीं होता. यही कारण है कि बच्चों को सॉलिड फ़ूड खिलाना शुरू करते समय पहले चावल से बनी चीज़ें खिलाई जाती हैं.
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