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National Maritime day 2022: आज राष्ट्रीय समुद्री दिवस के मौके पर जानिए समुद्री दिवस का महत्व

Kajal Dubey
5 April 2022 2:41 AM GMT
National Maritime day 2022: आज राष्ट्रीय समुद्री दिवस के मौके पर जानिए समुद्री दिवस का महत्व
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इस समय संसार विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ा है. केवल एक ही चिंगारी पूरी दुनिया को विश्वयुद्ध में धकेल सकती है जिसके असर को देखने के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

जनता से रिश्ता वेब्डेस्क। इस समय संसार विश्वयुद्ध के मुहाने पर खड़ा है. केवल एक ही चिंगारी पूरी दुनिया को विश्वयुद्ध में धकेल सकती है जिसके असर को देखने के लिए इंतजार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. रूस यूक्रेन युद्ध के तनाव चलते हर देश को अपने सीमा और अन्य विवाद याद आने लगे हैं. वहीं पाकिस्तान के हालात ने भी भारत (India) को अलर्ट पर ला दिया है. आज भारत को अपनी सीमाओं की सुरक्षा (Defense) पर पहले से कहीं ज्यादा ध्यान देने की की जरूरत है जिसमें जमीनी सीमा के अलावा समुद्री सीमा भी शामिल है. इसलिए 5 अप्रैल को मनाए जाने वाले राष्ट्रीय समुद्री दिवस (National Maritime day) का महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है.

पहला स्वदेशी जहाज
देश में राष्ट्रीय समुद्री दिवस सबसे पहले 5 अप्रैल 1964 को मनाया गया था, लेकिन भारत में स्वदेशी नौपरिवहन का आगाज वास्तव में 5 अप्रैल 1919 को हुआ था, जब सिंधिया स्टीम नेवीगेशन कंपनी लिमिटेड ने अपनी पहली नौका एसएस लॉयल्टी समुद्र में उतरी थी. यह भारत की पहला स्वदेशी जहाज भी माना जाता है.
इस खास जहाज की कहानी
यह जहाज मूलतः एक ब्रिटिश जहाज था जो 1890 में भारत में ही निर्मित हुआ था. 485 फुट लंबा यह जहाज 5940 टन का था इसे ग्वालियर के महाराज ने 1914 में खरीदा था जो बाद में उन्हीं के नाम की कंपनी ने खरीद लिया था. इस कंपनी में वालचंद हीराचंद और नरोत्तम मोरारजी की भागीदारी थी. इस जहाज की पहली यात्रा 5 अप्रैल 1919 को शुरू हुई थी.
चार साल बाद ही बंद हुआ लेकिन
इस जहाज की यात्री क्षमता 700 यात्रियों की थी जिसे बाद में कार्गो जहाज में बदल दिया था और केवल चार साल बाद ही इसका उपयोग बंद कर दिया था. लेकिन यह जहाज और इसकी पहली यात्रा को भारत के समुद्री व्यापार के लिहाज से अहम अवसर माना जाता है यही वजह है कि 5 अप्रैल को ही हर साल यह दिवस मनाया जाता है.
आज के समय की मांग
युद्ध की वजह से जहां वैश्विक स्तर पर तनातनी का माहौल है, वहीं इसका असर सीधे तौर पर अंतरराष्ट्रीय नौपरिवहन पर हो रहा है. दुनिया में व्यापारिक वर्चस्व का महत्व बहुत पहले ही रहा है और युद्ध के दिनों में व्यापारिक मार्गों की संवदेशनशीलता हमेशा ही ज्यादा ही रही है. ऐसे में रूस युक्रेन युद्ध के बाद समुद्री व्यापारिक यातायात और मार्गों की रक्षा और ज्यादा जरूरी हो गई है.
एक वजह चीन भी
भारत में समुद्री व्यापार और यातायात आजादी से पहले पूरी तरह से अंग्रेजों पर निर्भर था. लेकिन आजादी की बाद हिंद महासागर में समुद्री यातायात में भारत का एक अतंरराष्ट्रीय महत्व है. पूर्वी एशिया में जिस तरह से चीन दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों को परेशान कर उनके समुद्री यातायात के लिए खतरा बढ़ा है. उसी का नतीजा है कि भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने मिलकर क्वाड समूह की स्थापना की है.
भारत के व्यापार की समुद्री यातायात पर निर्भरता
आज के समय भले ही जमीनी सीमाओं पर ज्यादा जोर दिया जाता रहा हो, लेकिन भारत जैसे देश जिसका 95 प्रतिशत व्यापार समुद्री यातायात पर निर्भर हो, उसी से इस उद्योग के महत्व का पता चलता है. हाल ही में भारत ने 400 अरब का रिकॉर्ड व्यापार किया है जिसमें समुद्री यातायात की अहम भूमिका रही है.
इस साल देश 59वां राष्ट्रीय समुद्री दिवस मना रहा है. पिछले दो सालों में देश के साथ समुद्री परिवहन उद्योगों को भी कोविड-19 महामरी के कारण आर्थिक और अन्य समस्याएं झेल रहा था. इसी को देखते हुए इस साल की थीम "सस्टेनेबल शिपिंग बियोंड कोविड-19" यानि "कोविड-19 के आगे संधारणीय नौवहन" रखी गई है.


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