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हममें से कुछ लोग आटे का सेवन या तो कम कर देते हैं या फिर केवल गेहूं के आटे व उससे बनी चीजों का ही सेवन करते हैं, जो कतई सही नहीं है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि हमें अपने डाइट चार्ट में दूसरे अनाजों से तैयार आटों को भी स्थान देना चाहिए व अपनी सेहत के लिए बेहतर विकल्प चुनना चाहिए।
सेहतमंद रहने के लिए हमें ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए जिसमें मैक्रो न्यूट्रिएंट्स (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा) और माइक्रो न्यूट्रिएंट्स (मिनरल्स और विटामिन्स) संतुलित मात्रा में हो। अनाजों में सभी आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं, शरीर की कार्यप्रणाली को सामान्य बनाए रखने के लिए इनका सेवन जरूरी है। ये हमें ऊर्जा देते हैं, इनमें फाइबर भी भरपूर मात्रा में होता है। पर, इन अनाजों से आटा तैयार करने की प्रतिक्रिया में इनकी पोषकता में कमी आ जाती है। अत: अपने और परिवार की अच्छी सेहत के लिए सही आटे का चुनाव व उससे सम्बंधित कुछ निम्न ध्यान रखना जरूरी है-
आटे विभिन्न प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं-
स्वास्थ्य का साथी – सूप
1. गेहूं का आटा गेहूं से केवल आटा ही नहीं, मैदा, सूजी, दलिया आदि भी तैयार किए जाते हैं। रोटी, ब्रेड, बिस्किट, टोस्ट, केक, पेस्ट्री, नूडल्स, पास्ता, मैक्रोनी आदि जैसी अनगिनत चीजें गेहूं से बने उत्पादों से तैयार होती हैं, यह दुनिया में सबसे अधिक खाया जाता है।
गेहूं को साबुत रूप में खाना सबसे अच्छा रहता है। इसे पीसने के बाद छानना नहीं चाहिए, चोकर युक्त आटे का सेवन करें। व्हाइट ब्रेड की बजाय आटा ब्रेड या होल-ग्रेन ब्रेड खाना बेहतर है। बाजार में होल-ग्रेन नूडल्स, पास्ता व मैक्रोनी भी आसानी से उपलब्ध हैं।
मैदे व उससे बने उत्पादों का सेवन कम से कम करें। दरअसल, मैदा और गेहूं को वह आटा है जिसे बनाने में सभी पोषक तत्व निकल जाते हैं, केवल कार्बोहाइड्रेट बचता है। जिन व्यक्तियों को ग्लूटन और गेहूं से एलर्जी, सिलिएक डिसीज (रोग) और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम है, उन्हें गेहूं नहीं खाना चाहिए।
2. ओट्स या जई का आटा ओट्स या जई की पोषकता को देखते हुए इसे सुपर ग्रेन की संज्ञा दी जाती है। ओट्स विटामिन्स, खनिजों और फाइबर से भरपूर होता है इसीलिए आज इसका सेवन अधिक किया जा रहा है। यह घुलनशील फाइबर बीटा-ग्लुकन का बेहतरीन स्त्रोत है, जो पाचनतंत्र के ठीक से काम करने में मदद करता है। यह शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है। ओट्स खाने के बाद भूख का एहसास काफी देर तक नहीं होता है इसीलिए वजन कम करने के इच्छुकों को इसे खाने की सलाह दी जाती है। बाजार से मैदे की बजाय ओट्स से बने नूडल्स, पास्ता व मैक्रोनी को ही खाएं तथा रोज के आटे में थोड़ी मात्रा में ओट्स का आटा मिलाकर खाएं, यह सेहत के लिए हितकर है।
3. मक्का का आटा मक्का का आटा फाइबर, विटामिन, मिनरल और एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। कार्बोहाइड्रेट व शुगर ज्यादा होने के बावजूद यह हाई ग्लाइसेमिक फूड नहीं है इसीलिए ये रक्त में शुगर के स्तर को तेजी से नहीं बढ़ाता है। यह पित्त दोष शांत करता है व कब्ज की शिकायत होने पर भी इसका सेवन फायदेमंद होता है। इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर को भी ठीक करता है, अत: यह खाने में लाभदायक तो है पर इसे सीमित मात्रा में ही खाने की सलाह दी जाती है।
4. बाजरा का आटा बाजरा का आटा प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, इसे मांसपेशियों को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने के लिए अच्छा माना जाता है। यह श्वसन तंत्र ठीक रखता है, दमा रोगियों के लिए अच्छा माना जाता है। फाइबर अधिक होने से ये पाचन में सहायता करता है, शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम कर हृदय रोगों से बचाव करता है तथा शरीर से विषैले तत्वों को भी बाहर निकालता है। बाजरे के आटे की तासीर गर्म होती है इसीलिए गर्मी के मौसम में ज्यादा ना खाएं क्योंकि पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
5. बार्ली या जौ का आटा जौ के आटे में कैलोरी और वसा की मात्रा ओट्स से भी कम होती है, पर फाइबर खूब होता है। यह वजन कम करने के लिए अच्छा माना जाता है। जौ आंतों में पाए जाने वाले आवश्यक बैक्टीरिया को संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जौ, शुगर के स्तर को काबू रख टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम करता है। जौ की तासीर ठंडी होती है अत: जिन्हें दमा या श्वसन से जुड़ी समस्याएं हैं उन्हें सीमित मात्रा में खाना चाहिए। गर्भवती और स्तनपान करने वाली महिलाओ को भी इसे नहीं खाना चाहिए। जौ में ग्लूटन काफी होता है इसीलिए ग्लूटन की एलर्जी है तो इसे ना खाएं।
6. चने का आटा बेसन में कैलोरी गेहूं के आटे से कम होती है। चने में प्रोटीन की मात्रा बाकी अनाजों से अधिक होती है, इसका सेवन मांसपेशियों को मजबूती देता है। यह रक्त में शुगर के स्तर को बेहतरीन तरीके से नियंत्रित करता है। इसमें मैग्नीशियम भी काफी होता है, ऐसे में इसके सेवन से डायबिटीज की चपेट में आने का खतरा कम होता है। चने के आटे में फोलेट काफी मात्रा में होता है, जो हृदय तंत्र के रोगों के खतरे को कम करता है। इसमें मैदे की तुलना में फाइबर की मात्रा तीन गुनी होती है, इससे कब्ज में भी आराम मिलता है।
7. मल्टी-ग्रेन आटा स्वास्थ्य विशेषज्ञों को मानना है कि एक तरह के आटे की बजाय कई तरह के अनाजों को मिलाकर बना आटा खाएं, इससे पोषकता और स्वाद दोनों ही बढ़ जाते हैं। पोषक तत्व और फाइबर की अधिकता के कारण इसके सेवन से इम्यून तंत्र मजबूत बनता है, शुगर के स्तर को भी काबू रखता है। इसके अतिरिक्त हृदय तथा किडनी के लिए भी इसे अच्छा माना जाता है। बाजार में कई कंपनियों के मल्टी-ग्रेन आटे उपलब्ध हैं वैसे अपनी जरूरतानुसार आप घर पर भी आसानी से तैयार कर सकते हैं। अत: निम्न आटों के बारे में जानकारी हमारी सेहत के लिए अधिक फायदेमंद, हितकारी रहेगी। स्वास्थ्य विशेषज्ञों को मानना है कि एक तरह के आटे की बजाय कई तरह के अनाजों को मिलाकर बना आटा खाएं, इससे पोषकता और स्वाद दोनों ही बढ़ जाते हैं।
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Sanjna Verma
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