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लैब में तैयार होगा मां का दूध, जानें कब और कैसे बाजार में बिकेगा ..

Shiddhant Shriwas
6 Jun 2021 10:46 AM GMT
लैब में तैयार होगा मां का दूध, जानें कब और कैसे बाजार में बिकेगा ..
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नवजात शिशु के लिए मां का दूध संपूर्ण आहार माना गया है. तकनीक ने इस हद तक प्रगति कर ली है कि ब्रेस्ट मिल्क अब प्रयोगशाला यानी कि साइंस लैब में तैयार किया जा सकेगा. इस दूध (Biomilq) में ब्रेस्ट मिल्क की तरह ही पोषक तत्व भरे होंगे.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नवजात शिशु (Newborn Baby) के लिए मां का दूध संपूर्ण आहार माना गया है. यही कारण है कि जन्म के काफी समय बाद तक कई माएं शिशु को ब्रेस्ट फीड (Breast Feeding) कराती हैं. लेकिन कई बार उचित आहार न लेना या अन्य वजहों से ब्रेस्ट मिल्क नहीं बनता है जिसके कारण पेरेंट्स काफी परेशान होते हैं. ऐसे लोगों के लिए राहत भरी एक अच्छी खबर है. तकनीक ने इस हद तक प्रगति कर ली है कि ब्रेस्ट मिल्क अब प्रयोगशाला यानी कि साइंस लैब में तैयार किया जा सकेगा. इस दूध में ब्रेस्ट मिल्क की तरह ही पोषक तत्व भरे होंगे.

इस सिलसिले में अमेरिका की महिला वैज्ञानिकों ने दुनिया में पहली बार प्रयोग किया है. इसके तहत अब मां के दूध की तरह की पौष्टिक दूध लैब में तैयार किया जा सकेगा. वैज्ञानिकों ने इसे 'बॉयोमिल्‍क' कहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस सिलसिले में बात करते हुए वैज्ञानिकों ने बताया कि बॉयोमिल्‍क में मौजूद पोषक तत्वों की लैब टेस्टिंग भी की गई है. बॉयोमिल्‍क में मां के दूध की तरह ही पोषक तत्व, प्रोटीन, फैटी एस‍िड और अन्‍य वसा पर्याप्त मात्रा में रहे, ये कोशिशें की कई हैं. हालांकि, यह भी कहा जा रहा है कि दूध में मौजूद पोषक तत्व ब्रेस्ट मिल्क से अधिक हैं.
बॉयोमिल्‍क को बनाने वाली कंपनी की सह संस्‍थापक और मुख्‍य विज्ञान अधिकारी लैला स्ट्रिकलैंड ने इस विषय में बात करते हुए कहा कि दूध में एंटीबॉडी भले ही मौजूद नहीं है लेकिन बायोमिल्क की न्यूट्रीशनल और बायोएक्टिव कम्पोजीशन किसी भी अन्य प्रोडक्ट के मुकाबले अधिक ही हैं. लैला स्ट्रिकलैंड ने बताया कि बायोमिल्क बनाने का आइडिया उन्हें तब आया जब उनका बेबी समय से पहले ही पैदा हो गया था. तब तक उनके शरीर में ब्रेस्ट मिल्क बनना शुरू नहीं हुआ था. ऐसे में अपने बच्चे को फीडिंग कराने के लिए उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा. उन्होंने इस बारे में कई कोशिशें किन लेकिन सारी कोशिशें बेकार गईं और नतीजा सिफर रहा. इसी से प्रेरित होकर उन्होंने साल 2013 में प्रयोगशाला के अंदर मेमरी कोशिकाओं को पैदा करना शुरू किया. इसके बाद वर्ष 2019 में उन्‍होंने फूड विज्ञानी मिशेल इग्‍गेर को भी साथ लिया और इस प्रयोग को अंजाम दिया. वैज्ञानिकों का कहना है कि तीन सालों में यह दूध बाजार में उपलब्ध हो सकेगा.

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