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बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार बना रहा हैं मोबाइल फोन

SANTOSI TANDI
2 Jun 2023 8:26 AM GMT
बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार बना रहा हैं मोबाइल फोन
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बच्चों को वर्चुअल ऑटिज्म का शिकार
बच्चों की जिद से पीछा छुड़ाने के लिए क्या आप भी उन्हें मोबाइल फोन थमा देते हैं. आपका बच्चा भले ही इससे शांत हो जाता है लेकिन काफी देर तक स्क्रीन पर समय बिताने से वह दिमागी रूप से कमजोर हो रहा है. दुनिया भर में हुई कई रिसर्च बताती हैं कि कम उम्र में बच्चों को स्मार्टफोन देना उनके मानसिक विकास को प्रभावित करना है. एक रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल, गैजेट्स और ज्यादा टीवी देखने से बच्चों का भविष्य खराब होता है. वर्चुअल आटिज्‍म का खतरा भी बढ़ रहा है.
वर्चुअल ऑटिज्म क्या है
अक्सर 4-5 साल के बच्चों में वर्चुअल ऑटिज्म (virtual autism) के लक्षण दिखते हैं. मोबाइल फोन, टीवी और कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की लत की वजह से ऐसा होता है. स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल या लैपटॉप-टीवी पर ज्यादा समय बिताने से उनमें बोलने और समाज में दूसरों से बातचीत करने में दिकक्त होने लगती है. हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, इस कंडीशन को ही वर्चुअल ऑटिज्म कहा जाता है. इसका मतलब यह होता है कि ऐसे बच्चों में ऑटिज्म नहीं होता लेकिन उनमें इसके लक्षण दिखने लगते हैं। सवा साल से तीन साल के बच्चों में ऐसा बहुत ज्यादा दिख रहा है.
वर्चुअल ऑटिज्म से बच्चों को कैसे बचाएं
ज्यादा मोबाइल यूज करने से बच्चों में स्पीच डेवलपमेंट नहीं हो पाता और उनका ज्यादातर समय गैजेट्स में ही बीत जाता है. उनका बिहैवियर खराब होने लगता है. कई बार उनके नखरे भी बहुत बढ़ जाते हैं और वे आक्रामक भी हो सकते हैं. स्मार्टफोन से उनके सोने का पैटर्न भी बिगड़ जाता है. ऐसे में पैरेंट्स को बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से दूर रखना चाहिए. गैजेट्स का जीरो एक्सपोजर बच्चों में रखना चाहिए. मतलब उन्हें पूरी तरह इससे दूर रखना चाहिए.
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