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हर साल इसके कारण लाखों की मौत हो जाती है। मौत, सिंगल डोज वैक्सीन भी 98% तक कम कर सकती है खतरा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वैश्विक स्तर पर महिलाओं में होने वाला सबसे आम प्रकार का कैंसर है। हर साल इसके कारण लाखों की मौत हो जाती है। भारत में भी इसका खतरा बढ़ता देखा जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक इस कैंसर के हर पांच में से एक मामला भारत से रिपोर्ट किया जाता रहा है। यह एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) संक्रमण के कारण होता है जो महिलाओं में सबसे आम यौन संचारित संक्रमण है। हालांकि वैक्सीन के माध्यम से इस संक्रमण के जोखिम को कम किया जा सकता है। वर्तमान में एचपीवी वैक्सीन की तीन खुराक निर्धारित की गई है, जो इस रोग के जोखिम से बचाने में सहायक है।
हालांकि एक हालिया अध्ययन में शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि एचपीवी वैक्सीन की अगर आप एक भी डोज ले लेती हैं, तो भी यह आपको एचपीवी संक्रमण और इसके कारण होने वाले सर्वाइकल कैंसर के खतरे से बचा सकती है। वैक्सीन की एक डोज भी 98 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाओं को यह वैक्सीन जरूर प्राप्त करना चाहिए ताकि वैश्विक स्तर पर इस कैंसर के खतरे को कम किया जा सके।
single dose HPV vaccine is highly effective provides up to 98 per cent protection latest study says2 of 5
सर्वाइकल कैंसर के लिए टीकाकरण - फोटो : Pixabay
एचपीवी वैक्सीन का प्रभाविकता के लिए अध्ययन
केन्या में 2,275 महिलाओं पर वैक्सीन की प्रभाविकता का परीक्षण किया गया जिसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि वैक्सीन की पहली डोज के 18 महीने के बाद भी, बाइवलेंट टीके एचपीवी के दो स्ट्रेनों के खिलाफ 97.5 प्रतिशत प्रभावी थे, वहीं नॉनबाइवलेंट टीकों को एचपीवी के सात स्ट्रेनों के खिलाफ 89 प्रतिशत प्रभावी पाया गया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर महिलाएं एचपीवी के किसी एक वैरिएंट से संक्रमित भी हो जाती हैं तो भी टीके उन्हें वायरस के अन्य स्ट्रेनों से बचा सकते हैं।
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एचपीवी वैक्सीन की प्रभाविकता - फोटो : istock
सिंगल डोज वैक्सीन भी प्रभावी
जर्नल एनईजेएम में प्रकाशित अध्ययन के परिणाम को हाल ही में 35वें अंतर्राष्ट्रीय पैपिलोमावायरस सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया। अध्ययन के प्रमुख और सिएटल में यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन प्रोफेसर डॉ रुआने बरनबास कहते हैं, एचपीवी वैक्सीन के एक डोज की प्रभाविकता, इसके कई खुराकों की तरह ही प्रभावी पाई गई है। यानी कि अगर बड़ी आबादी को सिंगल डोज वैक्सीन भी लग जाती है तो इससे जानलेवा रोग के खतरे को काफी हद तक कम करने में मदद मिल सकती है।
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काफी कम है टीकाकरण की दर - फोटो : Pixabay
अब तक सिर्फ 15% महिलाओं का ही हुआ है टीकाकरण
आंकड़े बताते हैं कि वर्तमान में, दुनियाभर में सिर्फ 15 प्रतिशत महिलाओं को ही एचपीवी का टीका लगाया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य 2030 तक 15 साल की 90 प्रतिशत लड़कियों को एचपीवी का टीका देने का है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सर्वाइकल कैंसर वैश्विक स्तर पर बढ़ता गंभीर खतरा है जिससे बचाव में टीकाकरण की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। सरकारों को टीकाकरण को लेकर लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
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एचपीवी वैक्सीन सर्वाइकल कैंसर से बचा सकती है। - फोटो : ANI
अध्ययन के निष्कर्ष
केन्या मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर जर्नल प्रोफेसर सैम कुर्की कहते हैं, ये निष्कर्ष गेम-चेंजर हो सकते हैं जो एचपीवी वायरस के कारण होने वाले सर्वाइकल कैंसर के मामलों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, शोधकर्ताओं ने कहा कि टीके कितने समय तक अलग-अलग समूह के लोगों में प्रभावी हो सकते हैं, यह जानने के लिए और अधिक अध्ययन की आवश्यकता है।