लाइफ स्टाइल

मलेरिया, डेंगू बढ़ा सकते हैं कोरोना का खतरा, अपनाएं सुरक्षित रहने के ये तरीके

Admin2
26 Jun 2021 7:21 AM GMT
मलेरिया, डेंगू बढ़ा सकते हैं कोरोना का खतरा, अपनाएं सुरक्षित रहने के ये तरीके
x

नई दिल्ली। देश के कई हिस्सों में मानसून (Monsoon) की दस्तक हो चुकी है और कोविड-19 (Covid-19) का खतरा पहले से ही बना हुआ है. आमतौर पर मानसून में हर कोई अपने स्वास्थ्य को लेकर सतर्क हो जाता है, लेकिन कोरोना के कारण लोग इस बार पहले ही अलर्ट मोड पर हैं. इस विकट स्थिति में हेल्थ से जुड़े कई सवाल उठते हैं, जिनका या तो समाधान डॉक्टर कर सकते हैं या एक्सपर्ट. ऐसे में कोविड-19 के एक्सपर्ट और मशहूर महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया बारिश और कोरोना के बीच खुद के सुरक्षित रखने के तरीके बता रहे हैं.

बारिश मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा देती है. साथ ही इसमें फंगस, भोजन और पानी से फैलने वाली बीमारियां और दूसरे स्किन इंफेक्शन का खतरा बना रहता है. ऐसे में कोविड संबंधी व्यवहार के साथ-साथ जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाएं और सफाई का खास ध्यान रखें. हमेशा साफ और हो सके तो फिल्टर किया हुआ या उबला हुआ पानी पिएं. पकाने से पहले सब्जियों और फलों को अच्छी तरह से धो लें. कच्चे या छिलका निकले हुए फलों को ना खाएं. मच्छरों से बचने के लिए जालियां, मच्छरदानी जैसे उपाय करें. खिड़कियों और दरवाजों को मेश से बंद करना जरूरी है. आसपास सफाई रखें और पानी जमा ना होने दें. पहली बारिश के बाद अचानक बदले मौसम में फ्लू का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन इन मामलों को गंभीरता से लें और बुखार आने पर डॉक्टर से मिलें.

पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें और ज्यादा से ज्यादा शरीर ढंकने की कोशिश करें. अगर शरीर का कोई अंग खुला है, तो वहां मॉस्क्यूटो रेपेलेंट लगाएं. बाहर जाएं, तो अपने साथ एक्स्ट्रा मास्क रखें, क्योंकि अगर आप भीग गए, तो गीला मास्क जर्म्स से सुरक्षा नहीं दे पाएगा. बाहर का पानी पीने से बचें और अपने साथ पानी की बोतल रखें. पैरों को साफ और सूखा रखें और मानसून के दौरान फंगल इंफेक्शन से बचें.

आम कोविड-19 और सीजनल फ्लू के लक्षणों में बुखार होना या बुखार जैसा महसूस होना, ठंड लगना, खांसी, सांस लेने में तकलीफ, थकान, गले में खराश, बहती या भरी हुई नाक, मांसपेशियों में दर्द या शरीर में दर्द और सिरदर्द शामिल हैं. ऐसे में अगर आपको इस तरह के कोई लक्षण नजर आ रहे हैं, तो तुरंत रैपिड एंटीजन टेस्ट या RT-PCR जांच कराएं. खासतौर से कोविड-19 मरीज के संपर्क में आए लोग जांच का ध्यान रखें. हालांकि, कोविड-19 होने पर स्वाद और सूंघने की शक्ति का जाना या ऑक्सीजन सेच्युरेशन का गिरना, सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियां हो सकती हैं. ये लक्षण सीधे कोविड-19 की ओर इशारा कर सकते हैं.

इन बीमारियों में कोविड की तरह ही बुखार, बेचैनी, सिरदर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियां हो सकती हैं. ये दोनों हल्के अपर रेस्पीरेटरी लक्षणों से लेकर गंभीर बीमारी तक का कारण बन सकती है. इसके अलावा पहले से मौजूद मलेरियल एनीमिया के कारण इन मरीजों को कोविड-19 का खतरा ज्यादा होता है. दोनों बीमारियां शरीर में खून के थक्के जमा सकती हैं, जिसके चलते पल्मोनरी थ्रोम्बोसिस का खतरा बढ़ जाता है. दोनों परेशानियों में साइटोकीन सूजन भी हो सकती है. डेंगू के मरीजों में निष्क्रिय इम्यून प्रतिक्रिया दिखाई देती है और दूसरे संक्रमण के लिए अनुकूल स्थिति तैयार करती है. मलेरिया बीमारी वाले इलाकों में कोविड मामलों का कम प्रसार होने के बावजूद सह-संक्रमण की गंभीरता काफी ज्यादा है और इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. हाल ही में आई स्टडीज में पता चला है कि कोविड सेरोलॉजी में डेंगू मरीज गलत-पाजिटिव रिजल्ट दिखा सकते हैं. इसी तरह मलेरिया सेरोलॉजी कोविड मरीजों पॉजिटिव मिल सकते हैं.

इस बात के कोई वैज्ञानिक सबूत नहीं है कि कोविड-19 की कोई भी लहर बच्चों को अलग से प्रभावित करेगी. अब तक हमने देखा है कि बच्चे वायरस से ज्यादा गंभीर प्रभावित नहीं हुए. ऐसा शायद इसलिए क्योंकि उनके पास खास रिसेप्टर्स नहीं हैं. पहले से बीमार बच्चों का ज्यादा ध्यान रखे जान की जरूरत है, क्योंकि उनपर गंभीर बीमारी का जोखिम ज्यादा है. हालांकि, कोविड के साथ बच्चों में मल्टी सिस्टम इन्फ्ल्मेटरी सिंड्रोम के केस देखे गए हैं, लेकिन यह याद रखें कि ऐसे मामले दुर्लभ हैं. पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि पांच से ज्यादा उम्र के बच्चे मास्क पहने, भीड़ में जाने से बचें, पानी पीते रहें और पोषक आहार लें. किसी अन्य परेशानी से बचने के लिए बच्चे के नियमित टीकाकरण कराते रहें. खासतौर से दो साल के बच्चों को मास्क नहीं पहनाने चाहिए.

गर्भवती महिलाओं में कुछ बीमारियों का जोखिम सबसे ज्यादा होता है. इसके अलावा महिलाओं को वेक्टर-जनित बीमारियों का खतरा भी बना रहता है. यह याद रखें कि कोविड-19 के कारण महिलाओं में अब गंभीर बीमारियों की खबरें सामने आई हैं. फेडरेशन ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स इन इंडिया (FOGSI) ने गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता से वैक्सीन दिए जाने की सिफारिश की है.

Next Story