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लाइफ स्टाइल
मानसून में बेहतर स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेदिक के अनुसार करें अपने आहर में बदलाव
Kajal Dubey
27 April 2023 5:25 PM GMT
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आयुर्वेद, साल को सूर्य की गति के आधार पर छह ऋतुओं में विभाजित करता है. विज्ञान के अनुसार, मानसून की शुरुआत गर्मियों के दौरान खोई हुई शक्ति को फिर से पाने का एक आदर्श समय है. तापमान और आर्द्रता में अचानक आए परिवर्तन की शुरुआत पाचनतंत्र को कमज़ोर कर देती है और पाचन संबंधी बीमारियां, जैसे सूजन, कब्ज़, गैस, एसिडिटी और अपच की ओर ले जाती है. आत्मंतन वेलनेस सेंटर के सेंटर के वेलनेस डायरेक्टर डॉ मनोज कुटेरी ने मानसून में आहार परिवर्तन की एक लिस्ट बनाई है, जिन्हें आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए फ़ॉलो कर सकते हैं.
पत्तेदार साग कम इस्तेमाल करें
चूंकि बरसात का मौसम रोगाणुओं के फैलाव का पसंदीदा मौसम भी होता है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप पत्तेदार साग को ज़्यादातर ना ही कहें. हरी पत्तेदार सब्ज़ियों के बजाय, करेला, लौकी, परवल, टिंडा, लौकी, कद्दू, आइवी लौकी, यम और शकरकंद आदि को अपने आहार में शामिल किए.
मसालेदार और नमकीन भोजन से बचें
मानसून के दौरान मसालेदार, नमकीन और तैलीय खाद्य पदार्थों से पूरी तरह से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पाचन में कठिनाई होगी, जिसके परिणामस्वरूप अधिक अपच, सूजन और पानी की कमी हो जाती है.
मौसमी भोजन का अधिक सेवन करें
इस मौसम में प्रतिरक्षा प्रणाली और आंत स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया जाना ज़रूरी हो जाता है. इसलिए मौसमी फलों जैसे-पपीता, नाशपाती, अनार, प्लस, सेब, चेरी को अपने आहार में शामिल करें. जामुन, अमरूद आदि आपके आहार में ज़रूर होना चाहिए. गर्मियों के फलों जैसे कस्तूरी तरबूज, तरबूज और खरबूजा आदि से बचना चाहिए.
मानसून के मौसम में खाद्यजनित संक्रमण विकसित होने का ख़तरा होता है, इसलिए व्यक्ति को अस्वच्छ भोजन और पेय से दूर रहना चाहिए है. जंक फ़ूड और असमय भोजन करने से पाचनतंत्र और भी सुस्त हो जाता है. ख़राब खान-पान और व्यायाम की कमी हमारे आंत के माइक्रोबायोम को और परेशान कर सकती है और सभी शारीरिक कार्यों को प्रभावित कर सकती है. सड़क किनारे ख़राब भोजन और पानी के सेवन के कारण लोगों में मतली, उल्टी और पेट दर्द आमतौर पर देखा जाता है.
ढेर-सारा पानी पिएं
अपने सिस्टम से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करने के लिए ढेर सारा पानी पिएं. पानी पीने से आपका पाचन तंत्र भी मज़बूत होता है. आयुर्वेद अमा के नाम से जानी जाने वाली अवधारणा में विश्वास करता है, जो पाचन के बाद बनने वाले ज़हरीले मेटाबोलाइट्स हैं. पानी का सेवन इसे काफ़ी हद तक कम करने में मदद करता है. इसके अलावा मानसून विशिष्ट जड़ी-बूटियों जैसे अदरक, लौंग, लहसुन, जीरा, सौंफ, अजवाइन, नींबू आदि भी अपने आहार में जगह दें.
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