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यह लखनऊ है, वह शहर जो मुअज़्ज़िन की आवाज़ पर जागता है.
लाइफस्टाइल | इस शहर को ज़रूर देखा जाना चाहिए इसके शिल्प के लिए, स्वाद के लिए, इसकी आत्मा के लिए और उससे भी बढ़कर उस गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए, जो राजनीति की गूंज के बावजूद आज तक मौजूद है. यह लखनऊ है, वह शहर जो मुअज़्ज़िन की आवाज़ पर जागता है. इस शहर की अपनी गति है, शोर-शराबे के बीच भी यहां भागमभाग नहीं है और यहां की रातें मंदिर की घंटियों की टनटनाहट के सामने आत्मसमर्पित हो जाती हैं
आप मुस्कुराते हैं जब आप सर क्लिफ़ रिचर्ड जैसे दिखनेवाले व्यक्ति का म्युरल (भित्तिचित्र) देखते हैं; आप ख़ुश होते हैं जब आप चाव से दही में डूबी हुई चटपटे स्वाद वाली चने की टिक्की खाते हैं. आप मुस्कुराते हैं, जब सड़क पर होने वाले झगड़े पर भी आप तहज़ीब की भाषा में सुनते हैं,‘साहब आपको शर्म नहीं आती ग़लत साइड पे पार्किंग करने में.’
आप समझ ही गए होंगे कि हम कहां की बात कर रहे हैं. यह क्लिफ़ रिचर्ड की जन्मभूमि है, यह शहर बेहतरीन चाट के लिए मशहूर है. यह वह शहर है जिसकी टैग लाइन ही है,‘मुस्कराइए कि आप लखनऊ में हैं.’ पहली बार आने वालों के लिए उत्तर प्रदेश की यह राजधानी घूमने-फिरने के ढेर सारे विकल्प देती है. यहां अवध के पुराने जादू और शहर के बदलते मिज़ाज को महसूस करने के लिए हमने घूमने के लिए तीन दिन की योजना बनाई.
संस्कृति की दहलीज़ परऐसे शहर में आकर कोई भी रोमांचित होगा, जो कुछ सदियों पहले सांस्कृतिक पुनरुत्थान का केंद्र था. हम यहां के गोमती नगर के विभूति खंड में स्थित शहर के नए-नवेले फ़ाइवस्टार होटल हयात रिजेंसी में ठहरे थे. इसके जनरल मैनेजर कुमार शोभन ख़ुद लखनऊ के रहने वाले हैं. वह बताते हैं कि किस तरह वे होटल की शुरुआत से ही सर्वश्रेष्ठ स्तर की सेवा के साथ-साथ यहां के रहने के अनुभव को समकालीन स्वरूप देने की कोशिश कर रहे हैं. उनके अनुसार,‘‘हमारी प्रिठहशक्षित और उत्साही टीम और ब्रैंड के लाजवाब अंदाज के चलते, चाहे कॉफ़ी मीटिंग हो या खाने की मेज... हमारे मेहमानों को सामाजिक अदान-प्रदान, सहयोग और उत्सव मनाने का भरपूर मौक़ा मिलता है. 19 सूइट्स के साथ 206 कमरों वाला यह होटल ख़ूब करीने से सजा है. यह प्रकाशमान और खुला स्थान उपलब्ध कराता है. हमने एक सूइट लिया, जिसमें बुनियादी ज़रूरत की सभी चीज़ें मौजूद थीं और इसकी साज-सजावट भी अलहदा थी. 43 इंच का एलईडी एचडी टीवी, मल्टी फ़ंक्शनल वर्क प्लेस, बैठने का आरामदेह स्थान और बेहतर सुविधा-संपन्न बाथरूम यानी हमारे स्टे को सही मायने में ‘नवाबी’ कहा जा सकता था. इसके बाद शुरू हुआ घूमने-फिरने का सिलसिला. अकेली घूमने वाली महिलाओं को सलाह: शहर में घूमने के लिए आारामदेह पोशाक पहनें, स्कार्फ़ साथ रखें और बेहतर होगा कि टैक्सी किराए पर लें. लखनऊ की हमारी यात्रा शुरू हुई पुराने अवध की गलियों से. चौक का इलाक़ा, जहां आज मशहूर टुंडे कबाब (जी हां, वही मुंह में रखते ही घुल जाने वाले कबाब जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्हें पहली बार एक बिना दांतों वाले राजकुमार के लिए तैयार किया गया था) मिलते हैं. चौक की घुमावदार गलियों में आपको मिलेंगी बेहतरीन चिकनकारी की दुकानें. हाथ से की जाने वाली यह चिकनकारी मशीन की एम्ब्रॉयडरी से कहीं महंगी होती है. बेहतर यह भी होगा कि आप किसी स्थानीय के साथ शॉपिंग करें. हमारी ख़रीदारी कुछ इतनी हो गई थी कि वापसी की हमारी यात्रा ख़ूब महंगे सामान के साथ लदी-फदी रही.
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