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Lifestyle: प्रेग्नेंसी में बड़ सकती है निमोनिया की शिकायत
हेल्थ: निमोनिया फेफड़ों से जुड़ा संक्रमण है, जो कई बार घातक भी हो जाता है। डैफोडिल्स बाय आर्टेमिस (ईस्ट ऑफ कैलाश) में प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. अपूर्वा गुप्ता कहती हैं कि गर्भवती महिलाओं में भी निमोनिया के संक्रमण का खतरा अन्य महिलाओं जितना ही बना रहता है, लेकिन गर्भावस्था की स्थिति में संक्रमण होने से महिला की स्थिति ज्यादा गंभीर होने का खतरा बना रहता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भावस्था के दौरान शरीर कई तरह के बदलाव से गुजरता है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कमजोर रहती है। इस अवस्था को मैटरनल निमोनिया के नाम से पहचाना जाता है। ऐसे में इसके रिस्क फैक्टर और लक्षणों पर ध्यान देते हुए बचाव में कदम उठाना जरूरी है।
इन स्थितियों में बढ़ जाता है खतरा: गर्भावस्था के दौरान शरीर की ज्यादा ऊर्जा गर्भ में पल रहे शिशु के संरक्षण में लगती है, जिससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। इसके अलावा शिशु एवं गर्भाशय के बढ़ते आकार के कारण फेफड़े की क्षमता पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में कुछ बैक्टीरिया या वायरस का संक्रमण गंभीर होकर निमोनिया का कारण बन सकता है। इनके अतिरिक्त, गर्भावस्था के दौरान तंबाकू के सेवन, एनीमिया, अस्थमा या लंबे समय तक कोई अन्य बीमारी रहने से भी निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है।
कब होता है मां और बच्चे को खतरा?
गर्भावस्था में निमोनिया मां और बच्चे, दोनों की सेहत के लिए खतरा है। मैटरनल निमोनिया से शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। इससे मां के साथ ही गर्भ में पल रहे बच्चे को भी ऑक्सीजन की पूरी आपूर्ति नहीं हो पाती है, जो उसके विकास को बाधित करती है। दूसरी ओर, संक्रमण का मूल कारण भी खून के रास्ते शरीर में फैलने का खतरा रहता है। इससे समय से पहले प्रसव या प्रसव के समय बच्चे का वजन कम होने जैसी समस्या हो सकती है। बच्चा यदि संक्रमण का शिकार हो जाए, तो जन्म के बाद उसके विकास में बाधा आ सकती है।
इन लक्षणों पर रखें नजर: बार-बार खांसी आना, कफ बनना, सांस उखड़ना, बुखार होना, नाक जाम होना आदि इसके लक्षण हैं। यदि कोई लक्षण ज्यादा समय तक रहे और सामान्य इलाज से लाभ न दिखे, तो डॉक्टर से परामर्श करके निमोनिया की जांच करानी चाहिए। समय पर जांच होने से समस्या का पता लग जाता है और इलाज संभव हो पाता है। कुछ एंटीबायोटिक दवाओं और एंटीवायरल थेरेपी से बैक्टीरिया या वायरस दोनों ही कारणों से हुए निमोनिया का इलाज संभव है। समय पर इलाज मिल जाए, तो मां और बच्चा, दोनों खतरे से बचे रहते हैं।