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Lifestyle: आज के दिन मनाया जाता है "Global Hug Your Kids Day"

Sanjna Verma
15 July 2024 10:57 AM GMT
Lifestyle: आज के दिन मनाया जाता है Global Hug Your Kids Day
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नई दिल्ली New Delhi: आज ग्लोबल हग योर किड्स डे है। अपने बच्चों को बांहों में भरकर जोर की झप्पी देने का दिन। हर साल जुलाई महीने के तीसरे सोमवार को इसे मनाया जाता है। ग्लोबल हग योर किड्स डे यानि अपने बच्चे को आलिंगनबद्ध करने का दिन। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तो इसकी अहमियत और बढ़ जाती है। ये दिन हमें मौका देता है कि हम अपने बच्चों के साथ एक अतिरिक्त समय गुजार सकें, उन्हें थोड़ा और समझ सकें। आखिर
ऐसे दिन की जरूरत क्या हैऔर कब हुई इसकी शुरुआत! कहानी मर्मस्पर्शी है।
दिल्ली के मनोचिकित्सक इस डे के बारे में बताया।उन्होंने कहा- मिशेल निकोल्स ने इस डे की नींव रखी। पहला ग्लोबल हग योर किड्स डे 2008 में मनाया गया। उन्होंने अपने बेटे मार्क की मौत के बाद ये फैसला लिया। मार्क आठ साल की उम्र में कैंसर से जिंदगी की जंग हार गया। उसकी मृत्यु के दस साल बाद, मिशेल निकोल्स माता-पिता को याद दिलाना चाहती थीं कि बचपन क्षणभंगुर है और उन्हें अपने बच्चों को गले लगाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करना चाहिए।वैसे भी किसी को गले लगाना अपना स्नेह जताने का सबसे बढ़िया तरीका है। संभवतः हज़ारों सालों से एक सांस्कृतिक और पारिवारिक रिवाज़ रहा है, शायद मानवता की शुरुआत से ही। इसे अपना दुलार, अपने भाव दर्शाने का अचूक मंत्र कहा जा सकता है। वैसे यह सुकून पहुंचाने के तरीके के रूप में एक सहज क्रिया भी हो सकता है।
Global Hug Your Kids Day मनाना भी सबसे सरल और आसान दिनों की तरह ही है। बस अपने लाडले या लाडली को गले ही तो लगाना है। वैसे तो मां पिता के प्यार को मापने का कोई पैमाना नहीं है लेकिन इस एक दिन को थोड़ा और खास बनाएं और अपने बच्चों को ग्लोबल हग योर किड्स डे के सम्मान में एक अतिरिक्त झप्पी दें। बच्चे को सराहें और उसे अति विशिष्ट फील कराएं।
चिकित्सक मानते हैं कि एक झप्पी कई समस्याओं का हल है। एक प्यारा भरा हग सेहत के लिए भी नेमत है। डॉक्टर्स कहते हैं कि इससे तनाव कम होता है। वो भी तब जब बच्चों के लिए भटकाव के सौ कारण हों। आजकल
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तो सबसे बड़ा है। अगर बड़ों की समस्याएं हैं तो बच्चों के लिए भी कम नहीं। तेजी सी भागती दुनिया में 10 सेकंड या उससे अधिक की झप्पी उनके और आपके भी तनाव को कम कर सकती है.आखिर इस दिन की जरूरत हमारे भारतीय समाज में क्यों होनी चाहिए? इस सवाल पर कहते हैं, मेरा मंत्र है फर्स्ट फेक इट एंड देन मेक इट। दरअसल, हमारे यहां आलिंगन संस्कृति नहीं है तो ऐसे में एक दिन से ही शुरुआत कर देते हैं। इसके बाद रोज आदत डालें और देखें बदलाव स्वत: आ जाएगा। एक खास बात गले लगाते वक्त शब्दों को बड़ी सावधानी से इस्तेमाल करना न भूलें।
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