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आइये जानते है रंगभरी एकादशी कैसे मनाये और उसका महत्व

Triveni
23 Feb 2023 4:11 PM GMT
आइये जानते है रंगभरी एकादशी कैसे मनाये और उसका महत्व
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फाइल फोटो


शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। इसे आमलकी एकादशी, आंवला एकादशी के नाम से भी जानते हैं। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन पहली बार भगवान शिव और माता पार्वती काशी आए थे। इसी कारण यह पर्व वाराणसी में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन शिव जी और माता पार्वती को गुलाल लगाई जाती है। इसके साथ बाबा विश्वनाथ मां गौरी के साथ नगर के भ्रमण में निकलते हैं। ऐसे में भक्तगण पूरे हर्षोल्लास से उनका स्वागत करते हुए रंग और गुलाल लगाते हैं। जानिए रंगभरी एकादशी की तिथि, मुहूर्त और महत्व।

रंगभरी एकादशी 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ- 02 मार्च, गुरुवार को सुबह 06 बजकर 39 मिनट से शुरू

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त- 03 मार्च , शुक्रवार को सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक

तिथि- उदया तिथि के हिसाब से रंगभरी एकादशी 3 मार्च 2023 को है।

सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 06 बजकर 45 बजे से दोपहर 03 बजकर 43 मिनट तक

सौभाग्य योग- सुबह से शाम 06 बजकर 45 मिनट तक

रंगभरी एकादशी 2023 महत्व

माना जाता है कि रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव काशी नगरी में माता पार्वती और अपने गणों के साथ होली खेलते हैं। इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार किया जाता है और उन्हें दूल्हे के रूप में सजाया जाता है। इसके बाद विश्वनाथ जी के साथ माता पार्वती का गौना कराया जाता है। इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा करने के साथ अबीर-गुलाल चढ़ाना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

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