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बच्चों में आत्मविश्वास पैदा होने दे, नेतृत्व क्षमता का होगा विकास
जनता से रिश्ता। कोरोना काल से पहले अक्सर हर घर में यह दिखाई दे रहा था कि माता-पिता, इनमें माताएँ ज्यादा, अपने 6 से लेकर 15 साल के बच्चों को उनकी किसी न किसी बात को लेकर टोकती रहती थीं। ऐसा नहीं है कि अब ऐसा नहीं हो रहा है, हो रहा है लेकिन अब उनके स्वास्थ्य को लेकर टोका-टाकी होती है। बच्चों को उनकी हर बात के चलते यह कहना कि ऐसा नहीं करना चाहिए, तुम्हें समझ नहीं है क्या, तुमने क्यों किया इत्यादि-इत्यादि के चलते बच्चों में कभी भी स्वयं निर्णय लेने की क्षमता पैदा नहीं हो पाती है। वह अपने हर निर्णय को लेने से पहले यह सोचता है कि यदि मैं ऐसा कर दूंगा तो मेरी माँ या पिता मुझे डाँटेंगे। हर मां-बाप अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देना चाहते हैं। वो चाहते हैं कि उनका बच्चा सबसे अलग नजर आए। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने बच्चे के अंदर नेतृत्व क्षमता को विकसित करें। इसके लिए जरूरी है कि आप उसके द्वारा उठाए गए कदमों को आलोचना न करें अपितु उनकी सराहना करें। यदि बच्चे नपे कुछ गलत किया है तो उसे प्यार से तर्क सहित समझाएं जिससे उसे अपनी गलती को अहसास होने के साथ-साथ उसे सही करने की क्षमता का विकास हो। जिस बच्चे में आत्मविश्वास भरपूर होता है वही बच्चा हर काम में आगे रहता है। यही आत्मविश्वास बच्चे में नेतृत्व क्षमता को विकसित करता है।