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ऑक्सीमीटर। तो आखिर क्या है यह उपकरण, कैसे काम करता है ये? और कोरोना काल में क्यों इतना जरूरी हो गया है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आजकल न्यूज़ और इंटरनेट पर कोरोना, ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ ही एक और चीज़ के बारे में बहुत सुनने को मिल रहा है और वो है ऑक्सीमीटर। तो आखिर क्या है यह उपकरण, कैसे काम करता है ये? और कोरोना काल में क्यों इतना जरूरी हो गया है यह, जानेंगे इन सबके बारे में आज यहां।
क्या है ऑक्सीमीटर?
ऑक्सीमीटर ब्लड में ऑक्सीजन लेवल चेक करने का छोटी सी मशीन है जो दिखने में किसी कपड़े या पेपर क्लिप के समान होती है। और सबसे अच्छी बात कि इसे कहीं भी कैरी किया जा सकता है। शायद इसी वजह से इसे पोर्टेबल ऑक्सीमीटर भी कहा जाता है।
कैसे काम करता है यह उपकरण?
ऑक्सीजन लेवल चेक के लिए इसे हांथ की किसी भी उंगली में फंसाएं। जांच के दौरान ऑक्सीमीटर में अपनी उंगली ठीक से सेट करें। क्योंकि ऐसा न करने पर रीडिंग गलत हो सकती है। ऑक्सीमीटर, ऑक्सीजन लेवल के साथ हार्ट बीट भी चेक करता है। कुछ एक सेकेंड के भीतर ही सारी जानकारी ऑक्सीमीटर के स्क्रीन पर शो होने लगती है।
कितना ऑक्सीजन लेवल होना चाहिए?
हेल्दी बॉडी का ऑक्सीजन लेवल 95 से 100 के बीच होता है। लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते यह 92, 90 तक भी आ जा रहा है। तो ऐसे में घबराने की जगह डॉक्टर्स से संपर्क करें। और जिस भी शहर में हैं वहां ऐसे अस्पताल की खोजबीन शुरू कर दें जहां पर वेंटीलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध है। कोरोना संक्रमित व्यक्तियों को हर एक घंटे पर ऑक्सीमीटर द्वारा ऑक्सीजन लेवल की जांच करते रहना चाहिए।
इसलिए जरूरी है घर में ऑक्सीमीटर
कोरोना की गंभीर स्थिति को देखते हुए एक्सपर्ट ऑक्सीमीटर घर पर रखने की सलाह इसलिए दे रहे हैं जिससे लोग अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें। और स्थिति गंभीर होने से पहले ही मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के साथ ही इलाज भी हो सके।
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