लाइफ स्टाइल

जानें, बंगाल के खानपान के बारे में और सीखें चितोल माछेर मुइठा बनाने का तरीक़ा

Manish Sahu
9 Aug 2023 4:17 PM GMT
जानें, बंगाल के खानपान के बारे में और सीखें चितोल माछेर मुइठा बनाने का तरीक़ा
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लाइफस्टाइल: मुंबई की अनन्या बैनर्जी लेखिका, घुमक्कड़, फ़ूड डिज़ाइनर, कुक, होम शेफ़, चित्रकार और वक़ील जैसी तमाम भूमिकाओं में फ़िट बैठती हैं. अनन्या काफ़ी समय तक यूरोप में भी रही हैं. उसी दौरान जर्मन, फ्रेंच, इटैलियन, जापानी ज़ायकों के बारे में सीखा. अनन्या को बंगाली और ओड़िया पकवानों में महारत हासिल है. फ़ूडी और ज़ी बांग्ला रनाघोर जैसे लोकप्रिय कुकिंग शो में भाग ले चुकीं अनन्या यूट्यूब चैनल अनन्या-र रनाघोर की होस्ट हैं. हाल ही में इनकी कुक बुक बांग्ला गैस्ट्रोनॉमी-द जर्नी ऑफ़ बंगाली फ़ूड प्रकाशित हुई है.
पूर्वी बंगाली खानपान
अनन्या बताती हैं बंगाली लोग जब मिलते हैं तब उनकी बातचीत खानपान, फ़ुटबॉल और राजनीति के इर्द-गिर्द केंद्रित रहती है. आमतौर पर ग़ैर बंगाली लोगों को लगता है कि बंगाली खानपान में केवल मछली ही होती है, पर ऐसा नहीं है. बंगाली खानपान में बेहतरीन वेजेटेरियन डिशेज़ होती हैं और लाजवाब मिठाइयां भी. बंगालियों के बारे में यह कहावत मशहूर है कि बंगाली खाने के लिए जीते हैं. वे खाने पर काफ़ी पैसा ख़र्च करते हैं. मौजूदा बंगाली व्यंजनों पर मुग़ल, ब्रिटिश, ऐंग्लो-इंडियन, पुर्तगाली, पारसी और चाइनीज़ पाककला का प्रभाव दिखता है. रसगुल्ला, संदेश और मिष्टी दोई ने बंगाल को दुनिया के खानपान के नक़्शे पर विशेष जगह दिलाई है. चिंगरी मलाई करी, कोशा मान्गशो, कोबिराजी कटलेट, पोस्तो, इलीश भापे जैसे व्यंजन भी मशहूर हैं.
वर्ष 1905 में हुए बंगाल विभाजन के बाद पश्चिमी बंगाल के लोगों को घोटी और पूर्वी बंगाल में रहनेवालों को बंगाल कहा जाने लगा. जहां घोटी किचन में औपनिवेशिक प्रभाव दिखता है, वहीं बंगाल रसोई में खाने को खट्टा बनाया जाता है. घोटी और बंगाल एक ही भाषा बोलनेवाले लोग हैं, पर मैरिनेशन से लेकर मसालों के इस्तेमाल तक में काफ़ी विविधता देखी जाती है. बंगाल खानपान में मोरिच बाटा (मिर्च पेस्ट) और पंच फोरन (पांच मसालों का मिश्रण) को अधिक महत्व दिया जाता है. बंगाल व्यंजनों में मुस्लिम प्रभाव अधिक होता है. उनमें लहसुन और प्याज़ का इस्तेमाल घोटी व्यंजनों की तुलना में अधिक होता है. उनमें मसालों का भी दिल खोलकर इस्तेमाल होता है. घोटी और बंगाल यानी बांग्ला बोलनेवाले दोनों समुदायों को अपनी कुकिंग पर गर्व है. जहां घोटी लोग कम तीखे और हल्की-सी मिठास से भरे व्यंजन पसंद करते है, बंगाल समुदाय चटपटे और मसालेदार व्यंजनों का दीवाना है.
चितोल माछेर मुइठा की रेसिपी (बंगाल अंदाज़ में)
सामग्री
डम्पिलंग्स (मुइठा) के लिए
1 कप चितोल माछ (नाइफ़ फ़िश), कीमा की हुई
1 टेबलस्पून अदरक पेस्ट
1 टेबलस्पून हरी मिर्च पेस्ट
1 मध्यम आकार का आलू, उबालने के बाद छीलकर मसला हुआक
1 टीस्पून भुना हुआ जीरा पाउडर
नमक, स्वादानुसार
3 टेबलस्पून सरसों का तेल
ग्रेवी के लिए
3 टेबलस्पून सरसों का तेल
1 मध्यम आलू, चौकोर कटा हुआ
2-3 लौंग
1 इंच दालचीनी की डंडी
2 हरी इलायची
1 तेज पत्ता
1 कप प्याज़ का पेस्ट
1 टेबलस्पून अदरक-लहसुन पेस्ट
1/2 टीस्पून मिर्च पाउडर
1 टीस्पून धनिया पाउडर
1 टीस्पून जीरा पाउडर
1 मध्यम आकार का टमाटर, कटा
नमक, स्वादानुसार
शक्कर, स्वादानुसार
1/2 टीस्पून ग्रीन चिली पेस्ट
1 टीस्पून घी
1/2 टीस्पून गरम मसाला पाउडर
2 टेबलस्पून धनिया पत्तियां
2 कप पानीध
विधि
1. कीमा की हुई मछली, अदरक, हरी मिर्च पेस्ट, मसले आलू, जीरा पाउडर और नमक मिला लें.
2. एक गहरे नॉन-स्टिक पैन में पर्याप्त मात्रा में पानी उबालें. अपने हाथों को हल्का-सा गीला करके पहले से तैयार किए मिश्रण से छोटे-छोटे बॉल्स बना लें.
3. इन बॉल्स को उबलते पानी में डालें और उन्हें 2-3 मिनट तक पकाएं. बॉल्स को छानकर बगल में रख दें (ओवर कुकिंग न करें, नहीं तो बॉल्स रबर जैसे हो जाएंगे).
4. पैन में सरसों का तेल गर्म करें. उसमें बॉल्स डालकर उनका रंग सुनहरा होने तक शैलो-फ्राय करें.
5. ग्रेवी बनाने के लिए एक पैन में सरसों का तेल गर्म करें. उसमें चौकोर कटे आलू डालें. उनके हल्के सुनहरे भूरे होने तक शैलो-फ्राय करें. फिर उन्हें छानकर अलग रख लें.
6. पैन में बचे तेल में लौंग, दालचीनी, इलायची और तेज पत्ता डालकर हल्का भूनें. इसमें प्याज़ का पेस्ट, अदरक-लहसुन पेस्ट, मिर्च पाउडर, हल्दी, धनिया और जीरा पाउडर डालें. मिश्रण के भूरा हो जाने तक भूनें. उसके बाद टमाटर, नमक, शक्कर और हरी मिर्च का पेस्ट डालकर तेल अलग होने तक भूनें.
7. अब 2 कप पानी डालें और ग्रेवी में उबाल आने दें. उसके बाद फ़िश डम्प्लिंग्स और भुने आलू डालकर ढक्कन लगा दें. 2 मिनट तक पकने दें.
8. घी और गरम मसाला छिड़ककर अच्छे से मिलाएं. धनिया पत्तियों से सजाकर गर्मा गरम सर्व करें.
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