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जानें कैसे येलो फंगस व्हाइट- ब्लैक फंगस से अलग है? और भी बहुत कुछ

Tara Tandi
26 May 2021 10:09 AM GMT
जानें कैसे येलो फंगस व्हाइट- ब्लैक फंगस से अलग है?  और भी बहुत कुछ
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देशभर में कोरोनावायरस का कहर जारी है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | देशभर में कोरोनावायरस का कहर जारी है. इस संक्रमण की वजह से इम्युनिटी कमजोर होती है. जिसकी वजह से कई तरह की बीमारी हो सकती हैं. इस बीमारी में से एक ब्लैक फंगस है. ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई राज्यों ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया है. इसके बाद व्हाइट और येलो फंगस ने दस्तक दी है. येलो फंगस का सबसे पहला केस उत्तर प्रदेश में आया था. येलो फंगस सबसे ज्यादा खतरनाक होता है क्योंकि इसका पता लगाना मुश्किल होता है जिसकी वजह से इलाज समय पर नहीं होता है. आइए जानते हैं येलो फंगस ब्लैक और व्हाइट फंगस से कैसे अलग है.

येलो फंगस
येलो फंगस जिसे म्यूकर स्पेटिक भी कहा जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक ये फंगस इंसानों में नहीं छिपकली में होता है. हालांकि कोरोना के इलाज में स्टेरॉयड और इम्यूनोसप्रेसेंट शमिल है जो शरीर की इम्युनिटी को कमजोर करता है.
येलो फंगस के लक्षण
वजन कम होना, भूख न लगना और सुस्ती आना येलो फंगस के लक्षण हो सकते हैं. अगर इसका समय पर पता नहीं चली को गंभीर लक्षण देखने को मिल सकते हैं जिसमें धसी हुई आंखें, घाव को ठीक होने में समय लगना और अंग काम करना बंद कर देते हैं.
ब्लैक फंगस
अब तक ब्लैक फंगस के 10,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. फंगस कुछ गंभीर मामलों में आंखों, नाक, चेहरे, फेफड़ों और यहां तक ​​कि मस्तिष्क को भी प्रभावित करता है. विशेषज्ञों के अनुसार, ब्लैक फंगस के होने का कारण स्टेरॉयड का दुरुपयोग करना हो सकता है. जिन लोगों को लंबे समय तक स्टेरॉयड दिया जाता है, उन्हें अन्य बीमारियां होती हैं या ऑक्सीजन पर लंबे तक रहने के कारण इसका खतरा अधिक बढ़ जाता है. अगर समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह जानलेवा भी हो सकता है.
व्हाइट फंगस
ब्लैक फंगस के मुकाबले में व्हाइट फंगस के मामले में कम आए है. ब्लैक फंगस कमजोर इम्युनिटी और स्वच्छता नहीं रखने से संक्रमण का अधिक खतरा होता है. इलाज में देरी होना खतरनाक हो सकता है.
येलो फंगस होने के कारण
ह्यूमिडिटी और साफ- सफाई नहीं रखने के कारण येलो फंगस फैलता है. इसके अलावा बासी खाना खाने की वजह से भी इसका संक्रमण हो सकता है.
येलो फंगस का इलाज
पीले फंगस की एक ही दवा है. एम्फोटेरिसिन बी इंजेक्शन है, जो एक एंटिफंगल दवा है जिसका उपयोग ब्लैक फंगस के इलाज के लिए भी किया जा रहा है.
बरतें ये सावधानी
1. अपने घर और आसपास को साफ रखें
2. बासी भोजन का सेवन न करें
3. कमरे में नमी को नियंत्रण में रखें. बहुत अधिक नमी होने के कारण फंगस फैल सकता है. क्रॉस वेंटिलेशन बनाए रखने की कोशिश करें.
4. कोविड-19 के मरीजों को जल्द से जल्द अपना इलाज शुरू कर देना चाहिए ताकि पीली फंगस जैसी बीमारी न हों.


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