- Home
- /
- लाइफ स्टाइल
- /
- जानें, फ़र्टिलिटी और...
x
इस समय हर तरफ़ डर, तनाव और अनिश्चितता का माहौल है. इनकी वजह से हमें कई तरह गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं तो हो ही रही हैं साथ ही फ़र्टिलिटी पर भी बुरा असर पड़ रहा है. हालांकि इन सबसे बचकर हमें मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने की ज़रूरत है. फ़र्टिलिटी की परेशानियों से जूझ रहे कपल माइंडफुलनेस (ख़ुद को हमेशा ख़ुश रखने का तरीक़ा) जैसे प्रोग्राम का सहारा ले सकते हैं. दुनिया भर के फ़र्टिलिटी एक्सपर्ट माइंडफुलनेस के लिए सलाह देते हैं, इस प्रोग्राम से फ़र्टिलिटी की समस्यों से उबारने में मदद मिलती है. इसमें योग, मेडिटेशन और नकारात्मक विचारों से बाहर आने की कुछ टेक्निक्स भी शामिल होती हैं.
फ़र्टिलिटी और तनाव के पीछे का विज्ञान
इस बारे में हुई कई स्टडीज़ बताती हैं कि बहुत ज़्यादा तनाव किसी भी महिला की प्रेग्नेंसी के लिए घातक साबित होता है. हमारा शरीर एक स्तर तक ही तनाव सहन कर पाता है. तनाव लेने की वजह से कार्टिसोल जैसे तनाव पैदा करनेवाले हॉर्मोन मस्तिष्क और ओवरी के बीच होनेवाली सिग्नलिंग को बाधित करते हैं, जिससे ओव्यूलेशन बढ़ जाता है यानी कि एग बहुत जल्दी रिलीज़ हो जाता है. इसके साथ ही अधिक तनाव आपको मानसिक रूप से भी बुरी तरह से बीमार बना देता है, जिसकी वजह से आप पार्टनर के साथ क्वॉलिटी टाइम भी स्पेंड नहीं कर पाती हैं. तनाव से निपटने के लिए कई महिलाएं शराब और सिगरेट का भी सहारा लेती हैं, जिससे स्थिति और बिगड़ जाती है. लेकिन जब हम माइंडफुलनेस जैसे प्रोग्राम को अपनी दिनचर्या में शामिल करते हैं तो इस समस्या से निजात पाने और पॉज़िटिव रिज़ल्ट की संभावना बढ़ जाती है.
तनाव कम करने के तरीक़े
तनाव को कम करने के लिए ग्रुप थेरैपी, इंडिविजुअल कॉग्निटिव बिहेवियर थेरैपी और से तनाव की वजह से हो रही फ़र्टिलिटी की परेशानियों को दूर करने में मदद मिलती है. इसके अलावा भी कई तरीक़े हैं, जिनसे ख़ुद को फ़िट रखा जा सकता है.
एक्सरसाइज़
तनाव कम करने और फ़र्टिलिटी बढ़ाने के लिए शारीरिक रूप से ऐक्टिव रहना बहुत ज़रूरी होता है. सप्ताह में 1 से 5 घंटे तक का वर्कआउट, जैसे चलना, प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ा देता है. लेकिन अगर कोई महिला बहुत अधिक मेहनतवाला काम करती हैं तो उनमें प्रेग्नेंसी की संभावना भी कम हो जाती है.
वज़न क़ाबू में रखना
तनाव अधिक होने की वजह से कई बार हम बहुत अधिक खाने लगते हैं, ऐसे में वज़न बढ़ जाता है. जिसका असर फ़र्टिलिटी पर भी होता है. कई रिसर्च बताते हैं कि, जो महिलाएं अधिक मोटी होती हैं, उन्हें गर्भधारण करने में अन्य महिलाओं की तुलना में तीन गुना अधिक परेशानी होती है.
स्वस्थ आहार लेना
एक उम्र के बाद हमें अपनी डायट का बहुत ख़्याल रखना चाहिए. प्रोसेस्ड और एक्स्ट्रा फ़ैटी फ़ूड कुछ देर के लिए मूड तो बना देते हैं, लेकिन सेहत के साथ खिलवाड़ कर जाते हैं. इससे फ़र्टिलिटी और प्रेग्नेंसी भी प्रभावित होती है. रिसर्चर्स की मानें तो, जो महिलाएं साबुत अनाज, ओमेगा-3 फ़ैटी एसिड, मछली और सोया से भरपूर आहार लेती हैं, उनके गर्भधारण की संभावना उन महिलाओं की तुलना में अधिक होती है, जो बहुत ज़्यादा फ़ैट वाले और प्रोसेस्ड फ़ूड खाती हैं.
Tagsजनता से रिश्ता न्यूज़जनता से रिश्ताआज की ताजा न्यूज़छत्तीसगढ़ न्यूज़हिंन्दी न्यूज़भारत न्यूज़खबरों का सिसिलाआज का ब्रेंकिग न्यूज़आज की बड़ी खबरमिड डे अख़बारJanta Se Rishta NewsJanta Se RishtaToday's Latest NewsChhattisgarh NewsHindi NewsIndia NewsKhabaron Ka SisilaToday's Breaking NewsToday's Big NewsMid Day Newspaper
Kajal Dubey
Next Story