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एक्सपर्ट्स से जानें, 18 फीसदी कपल इनफर्टिलिटी के शिकार, क्या पंचकर्म में है इस समस्या का इलाज
Manish Sahu
24 July 2023 12:05 PM GMT
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लाइफस्टाइल: भारत की आबादी भी तेजी से बढ़ रही है और यहां बांझपन की समस्या भी लगातार पांव पसार रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, भारत की 18 फीसदी आबादी बांझपन का शिकार है. खानपान की गलत आदतों, देरी से शादी करना और स्वास्थ्य पर ध्यान न देने की वजह से ये बीमारी बढ़ रही है. बांझपन के मामले में शहरों में स्थिति ज्यादा खराब है. लगातार बढ़ते जा रहे आईवीएफ क्लीनिक इस बात का प्रमाण हैं कि शहरों में यह समस्या कितनी तेजी से बढ़ रही है.
इनफर्टिलिटी की समस्या के समाधान के लिए लोग आईवीएफ का सहारा लेते हैं, लेकिन कई मामलों में ये ट्रीटमेंट कारगर नहीं हो पाता है. ऐसे में क्या बांझपन के इलाज के लिए पंचकर्म और आयुर्वेद के तरीकों को अपनाया जा सकता है? आइए इस केस के जरिए जानते हैं.
शादी के छह साल बाद भी कंचन को बच्चा नहीं हो रहा था. अपनी इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने कई जगह इलाज भी कराया, लेकिन संतान का सुख नहीं मिला. ऐसे में उन्होंने आयुर्वेद और पंचकर्म चिकित्सा का सहारा लिया. ट्रीटमेंट के कुछ महीने बाद ही कंचन ने गर्भधारण कर लिया.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
दिल्ली में आशा आयुर्वेदा की मेडिकल डायरेक्टर डॉ. चंचल शर्मा ने TV9 से बातचीत में बताया कि पंचकर्म और आयुर्वेद में बांझपन का इलाज संभव है. उन्होंने चिकित्सा के इन तरीकों को अपनाकर इनफर्टिलिटी का शिकार हुए कई कपल का सफल ट्रीटमेंट किया है.
डॉ चंचल बताती हैं कि अगर किसी महिला का बार-बार गर्भपात, हयड्रोसलपिक्स या ट्यूब ब्लॉक होती है तो पंचकर्म और आयुर्वेद के तरीकों से इसका इलाज संभव है.
डॉ चंचल के मुताबिक, बांझपन की समस्या से जूझ रहे अधिकतर कपल आईवीएफ का सहारा लेते हैं, लेकिन ये कई मामलों में सफल नहीं होता है, लेकिन आयुर्वेद के जरिए बांझपन का इलाज आसानी से हो सकता है. इसमें महिला और पुरुष को किसी कठिन प्रक्रिया से भी नहीं गुजरना पड़ता है. लेकिन पंचकर्म में ये आसानी से होता है.
इस विधि में आयुर्वेदिक औषधियों और तेल को कैथेटर के जरिए महिला के गर्भाशय में डाला जाता है. इससे ट्यूब ब्लॉकेज, बार बार गर्भपात, गर्भाशय फाइब्रॉएड, और अनियमित पीरियड्स, सहित कई प्रकार की बीमारियों का इलाज हो जाता है.
आयुर्वेद में उत्तर बस्ती से होता है ट्रीटमेंट
डॉ चंचल बताती हैं कि आयुर्वेद में उत्तर बस्ती विधि के जरिए बांझपन का इलाज किया जाता है. इलाज से प्रजनन अंगों के अलावा पूरे शरीर में पोषक तत्वों की आपूर्ति की जाती है, जिससे शरीर में ऊर्जा स्तर बढ़ता है. इससे शरीर संतान प्राप्ति के लिए तैयार होता है. उत्तर बस्ती से इलाज काफी अच्छा होता है. इस विधि से कई ऐसी महिलाएं भी मां बनी है जिनपर आईवीएफ प्रक्रिया का कोई असर नहीं हुआ था.
20 से 30 फीसदी मामलों में पुरुष होते हैं बांझपन का शिकार
डॉ. चंचल के मुताबिक, समाज में एक गलत धारणा यह है कि महिलाएं ही बांझपन का शिकार होती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. पुरुष भी बांझपन से पीड़ित होते हैं. 20 से 30 फीसदी मामलों में संतान न होने का कारण पुरुष की खराब फर्टिलिटी होती है. ऐसा पुरुष में स्पर्म काउंट की कमी और स्पर्म की खराब गुणवत्ता की वजह से होता है.
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