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जानें 16 श्रृंगार का धार्मिक महत्व के बारे में.

Tara Tandi
31 July 2022 12:21 PM GMT
जानें 16 श्रृंगार का धार्मिक महत्व के बारे में.
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हरियाली तीज आज 31 जुलाई को है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद महिलाएं 16 श्रृंगार (Hariyali Teej 16 Shringar) करके निर्जला व्रत रखती हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हरियाली तीज आज 31 जुलाई को है. हरियाली तीज के दिन महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद महिलाएं 16 श्रृंगार (Hariyali Teej 16 Shringar) करके निर्जला व्रत रखती हैं. इसके बाद मां पार्वती (Devi Parvati) और भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करती है. विवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. इस खास त्योहार पर महिलाओं के द्वारा किये जाने वाले 16 श्रृंगार में हर श्रृंगार का खास महत्व होता है. जानें 16 श्रृंगार (16 Shringar) का धार्मिक महत्व के बारे में.

1 बालों में गजरा/फूल: बालों को महिलाओं का गहना कहा जाता है, बालों को गजरे व फूलों से सजाने पर उनकी खुशबू से मन की सेहत पर अच्छा असर होता है और सुगंध से मन तरंगित व खुश रहता है.
2- बिंदी: माथे पर बिंदी लगाने से व्यक्त‍ित्व प्रभावशाली होता है. मस्तक के बीच के स्थान पर बिंदी लगाने से तीसरा नेत्र जाग्रत होता है. बिंदी लगाने का मनोवैज्ञानिक असर होता है और इससे महिलाओं के आत्मविश्वास और आत्मबल में वृद्धि होती है. साथ ही मस्तिष्क भी शांत रहता है और सुकून का अनुभव होता है.
3. सिंदूर: शरीर-रचना विज्ञान के अनुसार जिस स्थान पर सिंदूर सजाया जाता है, वह ब्रह्मरंध्र और अहिम नामक मर्मस्थल के ठीक ऊपर होता है, जो अत्यंत कोमल होता है. यहां सिंदूर लगाने से इस स्थान की सुरक्षा होती है. इसके अलावा सिंदूर में कुछ ऐसे धातु होती है जो चेहरे पर झुर्रियों के असर को कम करती हैं और महिलाओं के शरीर में विद्युतीय उत्तेजना नियंत्रित करती हैं.
4. गले में हार या मंगल सूत्र: मंगल सूत्र व इनके मोतियों से होकर निकलने वाली वायु महिलाओं के इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है. मान्यता के अनुसार, गले में स्वर्ण धातु धारण करने से छाती और ह्रदय स्वस्थ रहते हैं. इसके अलावा इसमें मौजूद काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं.
5. कान में झुमके व बाली: कान छिदवाने से आंखों की रोशनी तेज होती है. दरअसल, कान के निचले हिस्से में एक प्वॉइंट होता है, जिसके पास से आंखों की नसें गुजरती हैं. जब कान के इस प्वॉइंट को छिदवाकर इसमें बाली पहनते हैं तो इससे आंखों की रोशनी तेज होने में मदद मिलती है.
6. मांग टिका: सिर के बीचोबीच पहना जाने वाला मांग टिका महिलाओं की सुंदरता बढ़ाने के अलावा मस्तिष्क संबंधी क्रियाएं संतुलित और नियमित रखता है.
7. चूड़ियां व ब्रेसलेट: महिलाओं की चूड़ियां जब हाथों की कलाई पर टकराती हैं तो उससे शरीर में रक्त प्रवाह बेहतर होता है. साथ ही ये महिलाओं के शरीर में हार्मोंस संतुलित रखने में सहायक होती हैं.
8. बाजूबंद: इसे बाजुओं में पहनने से बांह स्थित केंद्रों पर दवाब पड़ता है जो महिलाओं को लंबे समय तक सुंदर और जवां बनाए रखता है.
9. कमरबंद: इसे पहनने से महिलाओं में हर्निया की आशंका कम होती है.
10 अंगूठी: अंगुलियों में अंगूठी पहनने से आलस्य और सुस्ती में कमी आती है.
11. बिछिया: बिछिया एक्यूप्रेशर उपचार पद्धति पर कार्य करती है जिससे शरीर के निचले अंगों के तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियां सबल रहती हैं. यह एक खास नस पर प्रेशर बनाती है जो कि गर्भाशय में समुचित रक्त संचार प्रवहित करती है, जिससे गर्भधारण क्षमता बेहतर होने में मदद मिलती है.
12. नथनी: जिस जगह नथ पहनी जाती है, उस जगह एक तरह का एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है जो प्रसव पीड़ा के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है.
13. पायल: पायल पैरों से निकलने वाली शारीरिक विद्युत ऊर्जा को शरीर में संरक्षित रखती है. महिलाओं के पेट और निचले अंगों में वसा (फैट) बढ़ने की गति को रोकती है. साथ ही चांदी की पायल पैरों से घर्षण करके पैरों की हड्डियां मजबूत बनाती हैं.
14. मेहंदी: मेहंदी हथेलियों को सुंदर बनाने के साथ-साथ शरीर को ठंडा रखती है और चर्म रोग को दूर करने में मदद करती है.
15. काजल: काजल लगाने से आंखों को ठंडक मिलती है और इससे आंखों से जुड़ी कई समस्याएं दूर होती हैं.
16. मेकअप: चेहरे पर हल्का मेकअप व नेल पेंट लगाने से महिलाओं के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है.
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