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अच्छा सेंस ऑफ ह्यूमर रिश्तों को खुशनुमा बनाने में मददगार होता है।
याद है आप पिछली बार कब खुलकर हंसे थे? इसका जवाब साफ है क्योंकि लोग इतने ज्यादा बिजी और स्ट्रेसफुल लाइफ जी रहे हैं कि वो हंसना ही भूल गए हैं और कोविड के बाद से तो लोग मेंटली और ज्यादा परेशानी का सामना कर रहे हैं। जरा-जरा मामूली सी बात पर गुस्सा होकर दूसरों पर चिल्लाना और बातचीत बंद कर देना ये आम बात हो चली है। जो व्यक्ति के पर्सनल ही नहीं प्रोफेशनल लाइफ पर भी असर डाल रहा है। तो इससे दूर रहने और हैप्पी रहने के लिए जीवन में हंसते-मुस्कुराते रहना जरूरी है।
ब्रेन के लिए फायदेमंद
हंसने-हंसाने की आदत ब्रेन की सेहत के लिए बहुत फायदेमंद साबित होती है। दरअसल हंसते समय ब्रेन से सेरोटोनिन हॉर्मोन का सिक्रीशन तेज़ी से होने लगता है, जो दर्द, तनाव और उदासी को दूर करने में मददगार होता है। इतना ही नहीं जब हम किसी खुशमिज़ाज व्यक्ति के साथ हंसी-मज़ाक कर रहे होते हैं तो इससे ब्रेन के कॉग्नेटिव फील्ड (मस्तिष्क का यही हिस्सा चिंतन के लिए जि़म्मेदार होता है) की सक्रियता बढ़ जाती है और नर्वस सिस्टम पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता है।
बढ़ती है सहजता
अच्छा सेंस ऑफ ह्यूमर रिश्तों को खुशनुमा बनाने में मददगार होता है। बातचीत के दौरान अगर थोड़ा हंसी-मज़ाक हो तो इससे सामने वाला व्यक्ति सहज महसूस करता है। जब हम किसी के सामने मज़ाकिया लहजे में कोई बात कहते हैं तो उसके मस्तिष्क में इसकी त्वरित प्रतिक्रिया होती है। फिर वह भी उसी अंदाज़ में उसका जवाब देने लगता है। इससे हलके-फुलके माहौल में विचारों और भावनाओं की शेयरिंग आसान हो जाती है।
रिश्ते हंसने-हंसाने के
सदियों पहले हंसी-मज़ाक की अहमियत को समझते हुए पारिवारिक व्यवस्था में खासतौर पर कुछ ऐसे रिश्ते बनाए गए हैं, जहां व्यक्ति हमउम्र लोगों के साथ खुलकर हंस-बोल सके। पहले संयुक्त परिवारों से ऐसे रिश्ते परिवार के माहौल को खुशनुमा बनाए रखते थे। मिसाल के तौर पर अगर किसी परिवार के टीनएजर लड़के या लड़की को माता-पिता ने डांट दिया तो उसकी भाभी उसी वक्त मज़ाक वाले अंदाज़ में उसके साथ बातचीत शुरू कर देती हैं, इससे डांट सुनने और डांटने वाले दोनों का सारा तनाव दूर हो जाता था।
ऑफिस में हंसी
अगर ऑफिस में लोग खुशमिज़ाज हों तो उनकी कार्यक्षमता पर इसका सकारात्मक असर पड़ता है। अगर काम ज्य़ादा हो, तब भी थकान महसूस नहीं होती। खासतौर पर अगर किसी कलीग से कोई शिकायत करनी हो तो उससे क्रोध भरे स्वर में बात करने के बजाय अगर हंसते हुए उसे उसकी गलती की ओर ध्यान दिलाया जाए तो वह भी बिना किसी नाराज़गी के अपने भीतर बदलाव लाने की कोशिश करेगा। इस तरह अगर हम थोड़ी सी हंसी दूसरों को भी देने की कोशिश करें तो इससे हमारे सभी रिश्तों में मधुरता बनी रहेगी।
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Apurva Srivastav
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