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बच्चा जब भी जन्म लेता है उसके बाद ही रोना शुरु कर देता है। कभी-कभार तो बच्चा अगर रोए नहीं तो नर्स उसे थपकी देकर भी रुलाने की कोशिश करती हैं
बच्चा जब भी जन्म लेता है उसके बाद ही रोना शुरु कर देता है। कभी-कभार तो बच्चा अगर रोए नहीं तो नर्स उसे थपकी देकर भी रुलाने की कोशिश करती हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, जन्म के बाद बच्चे का रोना बहुत ही जरुरी होता है। यदि बच्चा जन्म के बाद रोए तो वह स्वस्थ होता है, लेकिन यदि बच्चा जन्म के बाद नहीं रोता तो यह एक चिंता का कारण भी बन सकता है। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बच्चा जैसे ही रोता है तो इससे यह पता चलता है कि उसके फेफड़ों तक सीमित मात्रा में ऑक्सीजन पहुंच रहा है और बच्चा पूरे तरीके से स्वस्थ भी है। जबकि कई माता-पिता बच्चे के रोने से परेशान भी हो जाते हैं। लेकिन बच्चे का रोना कोई परेशानी का कारण नहीं होता। तो चलिए आपको बताते हैं आज की बच्चे का रोना क्यों जरुरी होता है...
क्यों रोता है बच्चा?
बच्चा जब अपनी मां के गर्भ में होता है तो वो एक थैली में होता है। इस थैली को साइंटीफिक भाषा में एम्नियोटिक सैक कहते हैं। इस थैली में एम्नियोटिक नाम का द्रव भरा हुआ रहता है जिसके कारण बच्चे के फेफड़ों में ऑक्सीजन नहीं होती। गर्भ में बच्चे को सारा पोषण मां से गर्भनाल के जरिए ही मिलता है। जब बच्चा पैदा होता है तो वह इस गर्भनाल से जुड़ा होता है, जिसे गर्भ से बाहर आने के बाद काट दिया जाता है। इसे काटने के बाद बच्चे को उल्टा लटकाकर उसकी पीठ पर थपकी के द्वारा फेफड़ों में से एम्नियोटिक नाम का द्रव निकाला जाता है। ताकि फेफड़े में अच्छे से हवा जा सके। फिर बच्चा रोना लगता है, इससे यह पता चलता है कि बच्चे के फेफड़े एकदम स्वस्थ है और बच्चा स्वंय भी पूरी तरह से स्वस्थ है।
क्यों जरुरी है बच्चे का रोना?
बच्चे की मांसपेशियों की होती है कसरत
बच्चे के रोने से उसकी मांसपेशियों की कसरत होती है। यह बच्चे के शारीरिक विकास के लिए भी बहुत ही जरुरी होती है। रोने से बच्चों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसलिए जन्म के बाद बच्चे का रोना बहुत ही आवश्यक है।
बच्चे की बात कहने का माध्यम
बच्चे जब छोटे होते हैं तो वह बोल नहीं पाते। ऐसे में कई बार माता-पिता के लिए उनकी बात को समझ पाना मुश्किल होता है। बच्चे का रोना भी उसकी बात कहने का एक तरीका ही होता है। इससे पता चलता है कि उसे भूख लगी है, उसने पेशाब किया है या फिर उसने दूध पीना है। शोध के मुताबिक यह बात साफ हुई है कि बच्चे मां बाप का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए रोते हैं और ध्यान मिल जाने पर वह चुप भी हो जाते हैं।
मानसिक विकास के लिए रोना जरुरी
बच्चे के मानसिक विकास के लिए भी उसका रोना बहुत ही आवश्यक माना जाता है। यदि आपका बच्चा जन्म लेते ही रोता है तो इससे यह साफ होता है कि वह शारीरिक, मानसिक दोनों रुप से पूरी तरह से स्वस्थ है। किन्तु कई बच्चे जन्म के दो मिनट तक नहीं रोते। डॉक्टर भी बच्चे को रुलाने के लिए प्राथमिक उपचार भी करते हैं। यदि बच्चों को कोई ओर पररेशानी है तो उन्हें आईसीई में भी रखा जाता है। शोध के अनुसार, बच्चा 1-5 मिनट के बीच में ही रोना या फिर अपने हाथ-पैरों को हिलाना शुरु भी कर देता है। जिससे यह पता चलता है कि वह पूरी तरह से स्वस्थ है।
रोना होता है नॉर्मल
बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए उसका रोना बहुत ही अच्छा माना जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो 24 घंटे में बच्चे का 2-3 घंटे तक रोना बहुत ही नॉर्मल होता है। यह रोना बच्चे के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। परंतु यदि बच्चा 4-5 घंटे रोता है तो यह चिंता का विषय हो सकता है। ऐसे में आपको बच्चे को डॉक्टर को जरुर दिखाना चाहिए। बच्चे को कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी भी हो सकती है।
Ritisha Jaiswal
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