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जनता से रिश्ता बेवङेस्क | भर्ता हो या फिर बिहारी लिट्टी के साथ खाए जाने वाला चोखा, टमाटर और मटर के साथ लजीज सब्जी भी कम नहीं. अब तो आप समझ ही गए होंगे की बात सब्जियों के राजा 'बैंगन' की हो रही है. बैंगन के स्वाद के अलावा एक और खास बात है कि जो इसे दिल के ज्यादा करीब कर देता है. वह यह कि इस सब्जी का ओरिजिन भारत ही है, यानी यह एक शुद्ध देसी सब्जी है. खाने से जुड़े जानकारों का कहना है कि भारत में यह सब्जी शुरू से पाई जाती थी. परसियन लोग इसे अफ्रीका लेकर गए और अरब लोगों ने स्पेन में इसे पहुंचाया. माना जाता है कि स्पेन से ही बैंगन ने यूरोप का रास्ता लिया. आज बैंगन की कई प्रजातियां मशहूर हैं और दुनियाभर में खाई जाती हैं.
गरम स्थानों पर इसकी पैदावार ज्यादा होती है. भारत में भी लगभग हर हिस्से में बैंगन काफी खाया जाता है. बंगाल का बैगुन भाजा हो या फिर नॉर्थ का बैंगन भर्ता, बिहार का चोखा हो या फिर दक्षिण भारत में सांभर का स्वाद बढ़ाता है बैंगन. इन सबके साथ बैंगन का अंचार और चटनी भी काफी इलाकों में खाई जाती है. अपने खास अंदाज के कारण ही इसे सब्जियों को राजा का खिताब मिला हुआ है. बैंगन विटामिन सी, के, बी6, मैग्निशिमय, फॉस्फोरस, कॉपर, फाइबर, फॉलिक एसिड, पोटैशियम और ऐसे ही कई गुणों से भरा हुआ है. हाई फाइबर के कारण यह खाना पचाने में मदद करता है.
दिल की बीमारियों की अवस्था में भी बैंगन मददगार साबित होता है. इसके एंटीआक्सिडेंट्स कैंसर जैसे रोगों को रोकने में सक्षम हैं. साथ ही यह हड्डियों को भी मजबूत करता है. खाने के साथ ही बैंगन के मेडिसनल गुण भी हैं. कई पारंपरिक और आधुनिक दवाओं में इसका इस्तेमाल किया जाता है. यहां तक कि कई खास अवस्थाओं में बैंगन का प्रयोग वर्जित भी माना जाता है. जैसे कुछ स्थानों पर गर्भवती महिलाओं को बैंगन खाने से रोका जाता है.
साथ ही अपने खास रंग के कारण भी बैंगन सब्जी में एक नया ही रंग डाल देता है. बैंगन के रंग से ही बैंगनी रंग का नाम पड़ा है. इसे आप अलग-अलग ढंग से खा सकते हैं. हमारे पड़ोसी देश चीन और श्रीलंका में बैंगन बहुत चाव से खाया जाता है. हालांकि, कई लोगों को बैंगन से एलर्जी भी होती है. एलर्जी की स्थिति में बैंगन खाने से बचना चाहिए. साथ ही डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए