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जानें क्यों बच्चों को इंतजार करना पड़ेगा कोरोना का टीका लगवाने के लिए, एक्सपर्ट्स ने दिया जवाब

Gulabi
21 Jan 2021 11:39 AM GMT
जानें क्यों बच्चों को इंतजार करना पड़ेगा कोरोना का टीका लगवाने के लिए, एक्सपर्ट्स ने दिया जवाब
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बच्चों में महामारी का खत्म होना एक अहम भूमिका

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस के लिए कंपनियों ने वैक्सीन विकसित की है जिसमें तीन बड़ी दवा कंपनियों फाइजर, मॉडर्न और एस्ट्राजेनेका का भी नाम शामिल है. जहां सभी परिणामों के बाद इन कंपनियों ने सूचनी दी कि इनके द्वारा बनाई गई वैक्सीन लगभग 90 प्रतिशत प्रभावी है. पिछले महीने फाइजर और मॉडर्न की वैक्सीन को अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) से इमरजेंसी अप्प्रोवेल मिला. इस समय ये वैक्सीन एडल्ट्स को दी जा रही है.


बच्चों में महामारी का खत्म होना एक अहम भूमिका
प्रीति मालानी जो ऐन अर्बोर में मिशिगन विश्वविद्यालय में संक्रामक रोगों की डॉक्टर हैं उनका कहना है कि COVID-19 का टीका पहले कभी नहीं लगा है, और बहुत सारी चीजें हैं इसके बारे में जानने के लिए शायद ही इससे पहले इतनी जल्दी कोई वैक्सीन बनाई गई है. इसलिए इसकी सुरक्षा से जुड़े सवाल पूछना काफी जरूरी है. वहीं उनका कहना है कि COVID-19 वैक्सीन हर हफ्ते हजारों लोगों की जान बचा सकती है.


और क्योंकि COVID-19 बच्चों और एडल्ट को अलग तरह से प्रभावित करता है, इसलिए ये समझना जरूरी है कि क्या वैक्सीन सभी पर समान रूप से अच्छे से काम कर सकती है. क्योंकि बच्चों में इस महामारी का खत्म होना एक अहम भूमिका निभाएगा. लेकिन जब तक एक्सपर्ट इस बात को नहीं जान लेते कि ये वैक्सीन बच्चों के लिए कितनी सुरक्षित और प्रभावी हैं, तब तक वे टीका नहीं लगवा पाएंगे.

उनका का कहना है कि जब तक ये नहीं पता चल जाता है कि ये वैक्सीन पूरे तरीके से सुरक्षित और प्रभावी है. तब तक इसके लिए बहुत सारे कदम उठाने की जरूरत है. ताकी ये सभी आयु वर्ग को दी जा सके.

बच्चों क्यों इंतजार करना पड़ेगा?
वैक्सीन की मंजूरी के बाद इसे सबसे पहले स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों को दिया जा रहा है. इसके बाद सूची में बुजुर्ग लोग शामिल हैं. फिर एडल्ट्स को दिया जाएगा. लेकिन बच्चों क्यों इंतजार करना पड़ेगा आइए यहां जानें…

बच्चों को इस लिस्ट में आगे ना रखने के बहुत से कारण है पहला ये कि उन लोगों को ज्यादा प्रथामिकता दी जा रही है. जो हाई रिस्क पर है जिन्हें कोविड-19 होने के सबसे ज्यादा चानसेज हैं. जिसमें स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों, किराने और परिवहन सेवाएं में काम कर रहे लोग शामिल है.

बच्चों और किशोरों को टीका लगाना जरूरी
ज्यादातर बच्चे जो कोरोनो वायरस से संक्रमित हो जाते हैं, उन्हें हल्के रोग होते हैं. और कुछ गंभीर रूप से बीमार हो सकते हैं. और छात्र अपने मां- बाप और दादा-दादी को ये बीमारी फैला सकते हैं. इसलिए बच्चों और किशोरों को टीका लगाना जरूरी हो जाता है. एक्सपर्ट का कहना है कि "जब तक बच्चों का टीकाकरण नहीं होता हम महामारी को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होंगे." लेकिन ऐसा करने से पहले, वैज्ञानिकों को यह अध्ययन करने की आवश्यकता है कि बच्चों में ये टीका कैसे काम करता है.

एक डॉक्टर का कहना है कि इस महामारी कि शुरूआत में लगभग एक मिलियन से अधिक बच्चे संक्रमित हुए थे. और जो बच्चे बीमार नहीं हुए, उनके ऊपर कई अन्य तरह से प्रभाव पड़ा जैसे पढ़ाई में रुकावट, तनाव और मानसिक-स्वास्थ्य समस्याएं आदि.

जैकबसन कहना कि……
एक एक्सपर्ट ने कहा कि बच्चों को इस वैक्सीन कीअनुमति न देना अन्याय हो सकता है. लेकिन उन्हें अभी ये अवसर नहीं दिया जा सकता. क्योंकि नियमों के अनुसार आप उस आयु वर्ग को वैक्सीन नहीं देते हैं जिसका आपने अध्ययन नहीं किया है. जैकबसन कहना है कि एक वैक्सीन बच्चों के लिए भी उतना ही सुरक्षित होना चाहिए जितना कि एडल्ट्स के लिए सुरक्षित है.

उन्होंने कहा कि अन्य टीकों की काम करने की सक्षमता से पता चलता है कि ये दवाएं सभी आयु वर्ग में समान तरीके से काम नहीं करती हैं. जैसे फ्लू का टीका 6 महीने से कम उम्र के बच्चों में काम नहीं करता है. और खसरा, मम्प्स (mumps) और रूबेला (rubella) वैक्सीन एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों में काम नहीं करता है. और 9 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को हर साल एक नहीं बल्कि फ्लू की दो टीके की आवश्यकता होती है. और बड़े बच्चों को एचपीवी वैक्सीन की अधिक खुराक की जरूरत होती है, इसलिए उम्र एक बड़ी भूमिका निभाती है. लगभग 8 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को भी टीका परीक्षण में भाग लेने से इनकार करने का अधिकार है, चाहें फिर उनके माता-पिता क्यों ना चाहते हों.


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