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अंबेडकर को क्यों कहते हैं, जानिए भारत के संविधान का निर्माण और बाबा साहेब की भूमिका

Tara Tandi
14 April 2022 6:41 AM GMT
अंबेडकर को क्यों कहते हैं, जानिए भारत के संविधान का निर्माण और बाबा साहेब की भूमिका
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अंबेडकर को क्यों कहते हैं, जानिए भारत के संविधान का निर्माण और बाबा साहेब की भूमिका

भारत का संविधान इसे अन्य देशों से अलग बनाता है। यह संविधान ही है जो हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत का संविधान इसे अन्य देशों से अलग बनाता है। यह संविधान ही है जो हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा करता है तो वहीं एक नागरिक के तौर पर उनके कर्तव्यों को सुनिश्चित करता है। इसी भारतीय संविधान के निर्माता के तौर पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर मशहूर हैं। बाबा साहेब अंबेडकर की संविधान के निर्माण में भूमिका अतुल्य है। कई लोगों ने इस बाबत तमाम दलीलें दीं लेकिन डाॅ. अंबेडकर के योगदान और भूमिका को भारतीय संविधान में नकारा नहीं जा सकता है। 14 अप्रैल 1891 को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का जन्म हुआ था। भीमराव अंबेडकर को बचपन से भेदभाव का सामना करना पड़ा। हालांकि उन्होंने कठिनाइयों से हार नहीं मानी और 32 डिग्री हासिल की। एक कुशल अर्थशास्त्री रहे डॉ. बी आर अंबेडकर की जयंती के मौके पर जानें कि संविधान निर्माण में बाबा साहेब की क्या भूमिका है।

भारत का संविधान
देश की आजादी के बाद भारतीय संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा में कुल 379 सदस्य थे, जिसमें 15 महिलाएं थीं। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे। यह उस दौर में बहुत बड़ी बात थी कि जब छुआछूत और जाति-पाति मानी जाती थी, तब एक अस्पृश्य व्यक्ति को प्रभावशाली पद मिला हो। कई विशेषज्ञों के मुताबिक, संविधान सभा में बाबा साहेब का चयन उनकी प्रशासनिक दक्षता और राजनीतिक प्रभाव के कारण हुआ था।
संविधान निर्माण के लिए जिस ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन हुआ उसके मुखिया के तौर पर अंबेडकर का निर्वाचन हुआ। दरअसल उस समय नेहरू ने संविधान सभा के उद्देश्यों की एक रूपरेखा प्रस्तुत की थी, तब एक अन्य सदस्य रहे जयकर ने राय दी कि किसी भी प्रस्ताव पर मुस्लिम लीग के प्रतिनिधि के बिना मतदान नहीं किया जा सकता। इस पर अंबेडकर ने भी पहली बार हस्तक्षेप करते हुए कहा अपनी राय दी। उनकी सलाह से बहुत सारे कांग्रेसी नेता प्रभावित हुए।
अंबेडकर का संविधान निर्माण में योगदान
यहां से उनकी भूमिका संविधान सभा की ड्राफ्टिंग को लेकर मजबूत होती गई। उन्होंने संविधान सभा के चर्चा का संचालन और नेतृत्व किया। अंबेडकर ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों के विषय में संबंधित अनुच्छेदों पर बहस के दौरान अपना नजरिया सबके सामने रखा। बतौर ड्राफ्टिंग कमेटी अध्यक्ष बाबा साहेब ने कई समितियों की ओर से आए सभी प्रस्तावों को अनुच्छेदों में सूत्रबद्ध किया। संविधान की सम्पादकीय जिम्मेदारी भी मुख्य तौर पर अंबेडकर ने ही उठाई। जिसे बाद में ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य रहे टी.टी. कृष्णमाचारी ने संविधान सभा के सामने रखा।
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