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जानिए कौन थे क्रांतिकारी कोमाराम भीम, जिनका रोल जूनियर एनटीआर ने RRR मूवी में प्‍ले किया था

Neha Dani
10 Aug 2022 10:17 AM GMT
जानिए कौन थे क्रांतिकारी कोमाराम भीम, जिनका रोल जूनियर एनटीआर ने RRR मूवी में प्‍ले किया था
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पिता की मृत्यु के बाद, उनका परिवार सांकेपल्ली से सारदापुर चला गया।

जब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, तब भारत भूमि पर कई महान और साहसी वीर पुरुषों ने जन्म लिया, जिन्होंने अन्याय के खिलाफ सिर झुकाने के स्थान पर सिर कटाना अधिक बेहतर समझा। ऐसे ही एक क्रांतिकारी थे कोमाराम भीम। हैदराबाद तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में जन्मे कोमाराम भीम गोंड समुदाय से संबंध रखते थे। उन्होंने बचपन से ही अपने समुदायों पर होने वाले अत्याचारों को बेहद करीब से देखा था। यहां तक कि उनके पिता भी इस अन्याय की आहूति चढ़ गए। जिसके कारण उनके मन में विद्रोह की आग पैदा हुई और उन्होंने खुद की विद्रोही सेना बनाकर निजाम और अंग्रेजों की तानाशाही का मुंहतोड़ जवाब दिया। कुछ समय पहले रिलीज हुई फिल्म आरआरआर में जूनियर एनटीआर ने भी कोमाराम भीम की भूमिका निभाई। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको भारतीय क्रांतिकारी कोमाराम भीम के बारे में बता रहे हैं-


कौन थे कोमाराम भीम
कोमाराम भीम 1901 में हैदराबाद वर्तमान में तेलंगाना के आदिलाबाद जिले में जन्मे गोंड समुदाय के सदस्य थे। वह चंदा और बल्लालपुर राज्यों के आबादी वाले जंगलों में पले-बढ़े थे। अपने बचपन के दौरान, उनका बाहरी दुनिया से कोई संपर्क नहीं था और उन्होंने कोई औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं की थी।

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यूं पैदा हुई विद्रोह की भावना
कोमाराम भीम का भले ही बाहरी दुनिया से बहुत अधिक संपर्क नहीं रहा हो, लेकिन फिर भी उनके मन में विद्रोह की भावना बचपन से ही पनपने लगी थी। वह जमींदारों, पुलिस अधिकारियों और व्यापारियों के हाथों अपने समुदाय के संघर्षों की कहानियों को सुनकर बड़े हुए थे। यहां तक कि उन्होंने यह शोषण अपनी आंखों से भी देखा। आदिवासी बच्चों पर अवैध रूप से पेड़ काटने का आरोप लगाकर उंगलियां काट दी जाती थी। गोंड समुदाय के सदस्यों से जबरदस्ती टैक्स वसूला जाता था, उन पर झूठे केस दर्ज किए जाते थे। यहां तक कि उनकी जमीन पर खेती के अधिकार भी छीन लिए गए। यहां तक कि भीम के पिता को वन अधिकारियों ने आदिवासी अधिकारों का दावा करने के लिए मार डाला। भीम इस हत्या से बुरी तरह आहत हुए थे और पिता की मृत्यु के बाद, उनका परिवार सांकेपल्ली से सारदापुर चला गया।


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